Monday, October 11, 2010

किस्मत ने हमे ऐसे खेल हें दीखाये,

कुछ पल की खुशिया  फिर गम के साये,
लहरो ने आकर तोड डाला उनको,
साहिल पे थे जो हमने धरोंदे  बनाये,
शूल बन कर उनकी तस्वीर लगी है दिल में
कैसे निकाल दे कॅही जान  न निकल जाये,
हालत मेरी देखकर मुस्कुराते हें वो,
दर्द में जिनके हमने आंसू थे बहाये,
ख्वाबो में भी उनसे मुलाकात नही होती,
जब नींद नही आती तो ख्वाब कैसे आये,
टिम टिमा रहा है  तेरी मुहब्बत का ‘दीपक’,
इन्तजार में जाने कब तूफ़ान  आ जाये,

1 comment:

  1. बहुत ही खुबसुरत अभिव्यक्ति

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