Monday, October 11, 2010

उतारता रहूँ  कागज पे जज्बात अपने मन के,
यूं  ही मेरी आॅखो में तुम समाने रहो,
देखकर में तुमको गीत कोई बनाऊ,
तुम सदा यूं ही प्रिय मुस्काते रहो,
पीछे किये कदम रूक जायेगी धडकन,
पल प्रति पल मेरे पास तुम आते रहो,
कच्चे धागो से बंधा रिस्ता ये नाजुक ,
तुम हो साथ मेरे अहसास दिलाते रहो,
फूल कहॅू तुमको कभी गूलाबो की कली ,
प्यार की खुष्बू से ये घर  महकाते रहो ,
इस दिल को बस तुम्हारी ही प्यास है ,
होठो से इस यूं  ही तुम बरसाते रहो,

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