वो जब सामने होती है
भूल जाता हूँ में खुद को,
छोड देता हूँ काम सारे,
बस देखता जाता हूँ उनको ,
वो जब सामने होती है
मचलते हें अरमान दिल के,
उसको पाने की दिल में चाहत ,
ख्वाब दिखते हें मंन्जिल के ,
वो जब सामने होती है,
जाने क्यो मन ये होता है,
कॅही इंकार न कर दे वो,
दबी दबी सी आह भरता है,
वो जब सामने होती है,
मेरी जुबान लडखडाती है,
जो कहना चाहता हूँ कहती नही,
बाते इधर उधर की कह जाती हें,
वो जब सामने होती है,
रूक जाती हें आती हूई याद ,
उसके दिखने से पहले बहुत ,
फिर आती जाने के बाद,
वो जब सामने होती है,
मन में सवाल एक उठता है,
जब चाहती नही वो तुझे ,
फिर क्यो तू उसपे मरता है,
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