Monday, October 11, 2010

दुनिया की निती में क्या जानू ,


में तो प्रेम पुजारी हॅू,

मन की देवी तुमको मानू,

तुम्हारा प्रेम आभारी हूॅ,

रब को मानू फिर तुमको मानू,

ओर किसी को मानू ना,

प्रेम आराधना प्रेम ही पुजा,

और में कुछ जानू ना,

कौन जीता कौन हारा,

इससे मुझको लेना क्या,

किसने किससे किया क्या,

मुझको लेना देना क्या,

कौन मंन्त्री कौन संन्तरी ,

कौंन हें अभिनेता नेता कौन

किसकी सरकार कौन विपक्ष,

कौन हें लेता देता कौन ,

मुझको उनसे मतलब क्या ,

क्यो में उनकी हिस्टरी जानू,

प्रेम ही ईष्वर प्रेम ही जीवन,

प््रोम ही शक्ति प्रेम ही दूर्जन ,

प््रोम ही बगिया प्रेम ही फूल ,

प्ेा्रम ही कोमल प्रेम ही शूल ,

प्रेम ही सब कूछ हें दुनिया,

इससे बढकर कुछ न मानू,

तुम ही प्रिय तुम से ही प्यार,

होश तुम्ही तुम ही खूमार ,

जूस्तजू तुम्ही तुम ही आरजू ,

तुम ही जीवन तुम ही संसार,

तुम ही मन मंन्दिर में बसीहो ,

तुमको ही नित ध्यान करू,

प्रश्न कोई दुनिया का पुछे ,

पागल उस को जानू में,

तेरे सिवा करे बात किसी की,

मूर्ख उसको मानू में,

पुछे कोई मन में हें क्या ,

में कह दू सूरत तुम्हारी,

कहे कोई हें तू क्या दीपक , कह दूॅ में प्रेम पुजारी ,

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