एक बार बस तुम आजाओ
मेरे होठो पर बन कर गीत
इन साँसो का बन संगीत
एक बार बस तुम छा जाओ
एक बार बस तुम आजाआ,
हृदय मे बन प्रेम ज्वाला
प्यासे का बन नीर प्याला
जन्म - 2 की प्यास बुझाओ
एक बार बस तुम आजाओ
चाह रहे ना कुछ पाने की
इस जीवन की और मर जाने की
जब प्रेम से अंग लगाओ
एक बार बस तुम आजाओ
सर्द मौसम मे बनकर धूप
चाँदनी सा लेकर रूप
मेरी मन बगिया महकाओ
एक बार बस तुम आजाओ
सीप का बन कर मोती
“दीपक“ की बन कर ज्योति
जीवन मे प्यार भर जाओ
अच्छी कविता ...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
ReplyDeletedeepak ji jyoti ban kar jaroor ayegi
ReplyDelete........all the best
3/10
ReplyDeleteसामान्य पोस्ट / अच्छा प्रयास
भावों में और ज्यादा गहराई लायें
शुक्रिया दीपक, बात मानने का।
ReplyDelete" सर्द मौसम मे बनकर धूप
चाँदनी सा लेकर रूप
मेरी मन बगिया महकाओ"
सुन्दर विचार।
ऐसा अवश्य हो
ReplyDeleteप्रेमांकुरण हो चुका है न बधाई
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एक नज़र इधर भी मिसफ़िट:सीधी बात
बच्चन जी कृति मधुबाला पर संक्षिप्त चर्चा
संजय भास्कर जी,
ReplyDeleteउस्ताद जी,
मो सम कौन जी,
गिरिश बिल्लोरे जी,
आप सबका तहे दिल से शुक्रिया
बहुत खूब दीपक भाई... बहुत अच्छा लिखते हैं आप......
ReplyDeleteहृदय मे बन प्रेम ज्वाला
ReplyDeleteप्यासे का बन नीर प्याला
जन्म - 2 की प्यास बुझाओ
एक बार बस तुम आजाओ....
भावुक कर देने वाली रचना --आभार
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@ Shekhar Suman,
ReplyDelete@ ZEAL,
हौंसला अफजाई के लिए धन्यवाद