फसाना मुहब्बत का सुनाये किसे,
जख्म इस दिल का दिखाये किसे,
मुहब्बत ही उनकी जिन्दगी है हमारी,
सिवा उनके चाँद हम बताये किसे,
उनसे न की हमने उम्मीदे संगदिली ,
कौन है वो संगदिल बताये किसे,
बातो में उन की जागती थी राते ,
कौन हें वो रात भर जगाये जिससे,
तोडा जो दिल मेरा कसूर नही उनका ,
शख्स हम नही वो दिल दे पायें जिसे ,
इंकार कर दिया उसने ही आज दीपक ,
रखा था अपने मन में अब तक छूपाये जिसे,
सुंदर प्रस्तुति....
ReplyDeleteनवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।
मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !
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