Monday, October 11, 2010

फसाना मुहब्बत का सुनाये किसे,

जख्म इस दिल का दिखाये किसे,
मुहब्बत   ही उनकी  जिन्दगी है  हमारी,
सिवा उनके चाँद  हम बताये किसे,
उनसे न की हमने उम्मीदे संगदिली ,
कौन है  वो संगदिल बताये किसे,
बातो में उन की जागती थी राते ,
कौन हें वो रात भर जगाये जिससे,
तोडा जो दिल मेरा कसूर नही उनका ,
शख्स हम नही वो दिल दे पायें जिसे ,
इंकार  कर दिया उसने ही आज दीपक ,
रखा था अपने मन में अब तक छूपाये जिसे,

2 comments:

  1. सुंदर प्रस्तुति....

    नवरात्रि की आप को बहुत बहुत शुभकामनाएँ ।जय माता दी ।

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  2. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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