Monday, October 11, 2010

हो तपता सुरज, या पीपल की छाव ,
जहर उगलता शहर , या लहराता गाँव
तुम रहना साथ मेरे,
हो चाहे लडी सुखो की, खुशियो का संसार,
लगे चाहे झडी दुखो की, दर्दो की बौछार  ,
तुम रहना साथ मेरे,
दिन निकले सम्रद्धि का,  या निर्धनता की रात,
हर कोई मेरे साथ हो, या छोड दे मेरा हाथ ,
तुम रहना साथ मेरे,
नाम जाने दुनिया मेरा, या रहूँ  अन्जान ,
सर झुकाये मेरे आगे, या करे अपमान,
 तुम रहना साथ मेरे,

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