आये थे जिन्दगी में जो बहारो की तरह ,
बस गये आँखों में वो नजारो की तरह,
चला जा रहा था खीचता हुआ नाव को ,
वो मजधार में मिले हमे किनारो की तरह,
इन आँखों ने न देखा कुछ सिवा उन के ,
बस गये दिल में हमारे वो प्यारो की तरह,
वो मासूम कली लांघ पाती भी कैसे ,
अड गयी दुनिया रहा में दीवारो की तरह,
रोका बहुत दिल ने उन्हे समझाया बहुत ,
छोड गये हमको वो बेसहारो की तरह,
कौशिश तो की बहुत रौशनी की दीपक,
कुछ किस्मत ही रही अपनी अन्धयारो की तरह,
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