जब से तू मेरे जीवन में आयी है ,
अन्धेरे दिल में रौशनी सी छायी हमें,
लिखता था तन्हाई के जो किस्से अब तक,
उस दिल में तुने नई आरजू जगायी है,
भेजा तुमको खत एक दिया नही जवाब,
और कहे क्या मुहब्बत की रूसवाई है,
पूछता हूँ आज फिर करती हो मुझसे प्यार
खामोश रही अब भी कहूगा तू हरजायी है,
हाँ करना या ना ये मर्जी है तुम्हारी,
तुम्हे ही चाहूँगा जान जब तक समायी ,
तू करेगी हाँ मान जाऊगा खुदा को,
हो जायेगा यंकी दूनिया में बची खुदाई है,
हर पन्ने में छिपी तेरी ही परछाई है,
तन्हा रहने की तो आदत हें हमे ,
काटने को जिन्दगी पास मेरे तन्हाई है,
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