Monday, October 11, 2010

ये पागल दिल ,


क्यो तुम पर मरता हें,

क्यो तुम से प्यार करता हें,

रखता हें क्यो पाने की चाह,

हरपल भरता क्यो सर्द आह,

ये पागल दिल,

तेरे ही सपने सजाता हें,

सब कुछ तुम्हे ही बताता हें,

तुम्हे देखते क्यो भरता नही ,

और पर क्यो ये मरता नही,

ये पागल दिल,

जानता हें मुझसे प्यार नही करती ,

दोस्त के सिवा कुछ नही समझती ,

फिर भी ये मुझको तडपाता हें ,

पूछने को बार बार उकसाता हें,

ये पागल दिल ,

तुम्हे अपना बनाना चहाता हें

लगेना नजर पलको में छूपाना चहाता हें,

कहता हेै मुहब्बत रंग लायेगी,

आकर तू मेरी बाॅहो में समायेगी,

ये पागल दिल,

कभी कभी तो हद कर जाता हें,

दुल्हन सी तुम्हे ख्वाबो में सजाता हें ,

में कहता ये हो पायेगा नही,

दुल्हन मेरी बननातू चाहेगी नही,

ये पागल दिल,

कहता हें तू मान जायेगी ,

बन के दुल्हन मेरे द्यर आयेगी ,

में कहता क्यो सपनो में खांेता हें ,

वो कहता सपना ही सच होता हें,

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