Wednesday, November 23, 2022

तुम्हे प्रेम करके क्या मैने पाया

तुम्हे प्रेम करके क्या मैने पाया
मेरे श्याम तुमको मैं कैसे ये बताऊ
तुम्हे देखना बस देखते ही रहना
इन आँखों को अपनी मैं और क्या दिखाऊ

तुम्हारी कृपा से ही जीवन है मेरा
तुम्हारी कृपा से ही मिटा सब अंधेरा
तुम्ही ने दिया है सब कुछ मुझको
तुम्ही पे मैं अपना सब कुछ लूटाऊ

गोपी कोई बृज की मुझे भी बना दो
तान कोई मुरली की मुझे भी सुना दो
करो मुझको शामिल ग्वालो में अपने
मैं भी तुम्हारी गैया चराऊ

कृपा तुम्हारी मुझको जब से मिली है
बरसो से बन्द आंखे तभी तो खुली है
तुम्हारे सिवा चाहूँ मैं अब किसको
तुम्हारे सिवा अब किसे मैं रिझाऊँ

तुम्हारे लिए  लाया मैं ये फूल पाती
तुम्हारे लिए ही है ये दीपक ये बाती
तन मेरा अर्पित मन मेरा अर्पित
आंसुओ से अपने मैं दीपक जलाऊ

Tuesday, November 2, 2021

तुम बिन जीवन ऐसे खाली

तुम बिन जीवन ऐसे खाली
जैसे पटाखो बिन दिवाली
बिन बाजे की बारात
बिन प्रीतम के सूनी रात
लड़ाई जैसे बिना गाली
तुम बिन जीवन ऐसे खाली
            छत तो है पर बिना सीढ़ी
            बिन माचिस के जैसे बीड़ी
            दारू जैसे बिना चखना
            महफ़िल में न कोई अपना
            बिना गिलास के जैसे थाली
            तुम बिन जीवन ऐसे खाली
ब्लाउज बिन जैसे साड़ी
बिना तेल हो जैसे गाड़ी
बिन असलेह के कोई जवान
बिना छत का हो कोई मकान
घर जैसे बिना घरवाली
तुम बिन जीवन ऐसे खाली

Saturday, October 30, 2021

सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो
अपने आप को देखकर कविताओँ में
मुझे याद करती हो
शायद तुम भी मुझे प्यार करती हो

बरसो बाद आज तेरा जिक्र आया
तुम भी मुझे याद करती हो, किसी ने बताया
पूछती हो तुम भी लोगो से मेरे बारे में
मुझे खोने दुःख तेरे भी मन से न निकल पाया
अब भी मुझे गूगल पे सर्च करती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

जिस दिन मैं तुम्हे छोड़ आया था
तेरे शहर से अपना नाता तोड़ आया था
तेरी बेरुखी ने पागल कर दिया था
अपने हाथों अपनी किस्मत फोड़ आया था
मन आज भी वही है , जिंदगी चाहे जहां चलती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

माना, जीवन में ऐसा ही होता है
कुछ पाता है आदमी कुछ खोता है
तुम्हारी कमी हमेशा खलती रहती है
क्योकि पहला प्यार तो पहला होता है
तुम्हारी यादों से ही जवान हूँ उम्र चाहे जितनी ढलती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

सच है मैं तुम्हे न भूल पाया कभी
न दूर हुई तुम मन से, न मैं पास आया कभी
जाने कौन सी मजबूरी थी मुझे न अपनाने की
तुम सपना हो , और मेरे लिए सपना ही रही
मुझे मिलने को तुम भी तड़पती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो
शायद तुम भी मुझे प्यार करती हो

9897373965

Tuesday, July 13, 2021

लै कर ले प्यार

लै कर ले प्यार
तू भी बीमार मैं भी बीमार
खाट पे पड़े दोन्नो
तू भी लाचार मैं भी लाचार

बता बैलेंस बणेगा कैसे
तू थाइराइड में कुप्पा हो री
मैं सुक्खे पापड़ जैसे
नैय्या किक्कर हो गी पार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

नू तो तू इब भी गुड़ की डली लगे
अर डॉक्टर मुझे मीठा खाने ते मना करै
मैं शुगर का बीमार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

जवानी में डर था घरवालो का
मिलने का सुहुर नी था
रस्ता भी था नदी खालो का
रोज पड़े थी मार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

बुढ़ापे में किसी का डर नी होता
पर कमखत गात साथ नी देता
टूटे पड़े सारे हथियार
तू भी लाचार मैं भी लाचार