आतंकी उवाच
कायर हो तुम, और सरकार तुम्हारी निठल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
कभी कोर्ट में हम कभी संसद में बम बिछाते है
और तुम्हारे जांबाजो के हाथो हम पकडे भी जाते है
फिर बन मेहमान तुम्हारी जेलों में मौज उड़ाते है
अपने घर में भुखमरी है, यहाँ बिरयानी खाते है
हमें किसी का डर नहीं, हम तो काली बिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
झूठे है सब ग्रन्थ तुम्हारे किया झूठा प्रचार है
जिनमे लिखा है हर देवता के हाथो में तलवार है
वंशज होते यदि राम के रावण को मार गिरा देते
केश द्रोपदी के धोने को रक्त कोरवो का देते
देखो आज इतिहास तुम्हारा उडाता तुम्हारी खिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
तुम्हारे घर में अजगर से हम कुंडली मारे बैठे है
हमें बचाने को यार हमारे तुम्हारी संसद में बैठे है
तुम्हारे देश के विभीषण ही तो हमारे अन्नदाता है
क्योकि उनके घर का राशन हमारे देश से आता है
पाकिस्तान है डंडा तो देश तुम्हारा गिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
हमसे यदि लड़ना है तो वीर सुभाष बनना होगा
गाँधीगिरी को छोड़ कर सरदार पटेल सा तनना होगा
वर्ना तुम रोज यूं ही अपने जख्म सहलाओगे
हम तुम्हारे सर पे बम फोड़ेंगे, तुम कुछ न कर पाओगे
बस खयाली पुलाव बनाती जनता तो शेखचिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
कायर हो तुम, और सरकार तुम्हारी निठल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
कभी कोर्ट में हम कभी संसद में बम बिछाते है
और तुम्हारे जांबाजो के हाथो हम पकडे भी जाते है
फिर बन मेहमान तुम्हारी जेलों में मौज उड़ाते है
अपने घर में भुखमरी है, यहाँ बिरयानी खाते है
हमें किसी का डर नहीं, हम तो काली बिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
झूठे है सब ग्रन्थ तुम्हारे किया झूठा प्रचार है
जिनमे लिखा है हर देवता के हाथो में तलवार है
वंशज होते यदि राम के रावण को मार गिरा देते
केश द्रोपदी के धोने को रक्त कोरवो का देते
देखो आज इतिहास तुम्हारा उडाता तुम्हारी खिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
तुम्हारे घर में अजगर से हम कुंडली मारे बैठे है
हमें बचाने को यार हमारे तुम्हारी संसद में बैठे है
तुम्हारे देश के विभीषण ही तो हमारे अन्नदाता है
क्योकि उनके घर का राशन हमारे देश से आता है
पाकिस्तान है डंडा तो देश तुम्हारा गिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है
हमसे यदि लड़ना है तो वीर सुभाष बनना होगा
गाँधीगिरी को छोड़ कर सरदार पटेल सा तनना होगा
वर्ना तुम रोज यूं ही अपने जख्म सहलाओगे
हम तुम्हारे सर पे बम फोड़ेंगे, तुम कुछ न कर पाओगे
बस खयाली पुलाव बनाती जनता तो शेखचिल्ली है
इसलिए बारूदो के ढेर पर बैठी दिल्ली है