जिन्दा हूॅ अभी के साॅस बाकी हें ,
चलाये रखता हें धडकन वा अहसास बाकी हें,
नब्ज थमने लगी ,आॅखे खुली हे फिर भी ,
सबब ये हें आने की उसके आस बाकी हें,
बेवफा कहता उसे वो रिस्ता तोड जाती ,
मुहब्बत का मेरी अधूरा किस्सा छोड जाती ,
वो गयी हें करके वादा आऊगी एक दिन,
मेरे होठो पर अभी वो प्यास बाकी हें,
तडपा.तडपा के यूॅ मेरा वो इम्मितहान लेती हें,
जुदाई के खंजरो से वो मेरी जान लेती हें,
रूक गयी साॅसे बन्द हो गयी धडकन ,
दीदार को अब भी खुली आॅखे बाकी हेें,
ऐसे तो ना खत्म होगा किस्सा मेरे प्यार का,
कुछ जो सिला देगा मुझे खत मेरे इकरार का ,
दर पे अपने बैठा हॅू बरसो से इस लिए ,
आना अभी तो नाम मेरे जवाब बाकी हें,
जायेगा खत तेरा कट जायेगी तन्हाई ,
आया तो प्यार की होगी बडी रूसवाई ,
खत भेज दो या तोड दो दिल र्मजी तुम्हारी ,
तन्हाई में बात करने को तेरी याद काफी हेें,
Thursday, September 9, 2010
फिर डाकिये ने आवाज लगायी,
सोचा मेने आज शायद चिटटी तेरी आयी,
आये तो खत कई नाम के मेरे,
भेजी हो जो तूने वो चिटटी पायी ,
धडकन बढ जाती इस दिल की ,
डाकिया जब आवाज लगाता हें,
हलका.हलका सा एक डर ,
तेरे दिल में बैठा जाता हें,
उस खत में लिखडाले ये ,
दिल के सब जज्बात ,
सच बताऊ इस डर से ,
सोया नही में सारी रात,
होगा क्या जवाब तेरा ,
मेरे प्यार के इजहार का ,
होगा खत वो नफरत भरा ,
या जिक्र होगा दकरार का,
इतने निदो के बाद शायद
तुमको मेरी याद आयी,
जवाब देना जाने से पहले ,
उस खत में मेरी लिखा था,
लिखा वही उस खत में मैने ,
जो तुझमे तुझे दिखा था,
जाने से पहले जवाब न आया ,
बुरा ना माना था मैने,
शायद भूल गयी होगी तुम ,
सबब यही बस जाना मैने
तेरी गलती को माफ किया ,
तुझसे प्यार में करता हूॅ,
अब खत का बेकरार मन से,
दिन रात इन्तजार में करता हूॅ,
फिर उसकी आवाज सुनकर ,
आॅख मेरी भर आयी ,
रोज गुजरता हुआ गली से,
मुझको आवाज सगाता हें,
अपने मोटे से गठठर से,
दो.चार खत दे जाता हें ,
वो चिटटी नही लाता हें ,
जो उससे में चाहता हॅू,
न पाकर तेरी चिटटी को
बस टूट के रह जाता हूॅ ,
बुरे.बुरे से उठने लगे ,
दिल में मेरे सवाल कई,
दूर जाकर मुझसे अब ,
शायद मुझको तू भूल गयी ,
भूल न जाना मुझको तू,
दिल रो.रो देता दुआई,
सोचा मेने आज शायद चिटटी तेरी आयी,
आये तो खत कई नाम के मेरे,
भेजी हो जो तूने वो चिटटी पायी ,
धडकन बढ जाती इस दिल की ,
डाकिया जब आवाज लगाता हें,
हलका.हलका सा एक डर ,
तेरे दिल में बैठा जाता हें,
उस खत में लिखडाले ये ,
दिल के सब जज्बात ,
सच बताऊ इस डर से ,
सोया नही में सारी रात,
होगा क्या जवाब तेरा ,
मेरे प्यार के इजहार का ,
होगा खत वो नफरत भरा ,
या जिक्र होगा दकरार का,
इतने निदो के बाद शायद
तुमको मेरी याद आयी,
जवाब देना जाने से पहले ,
उस खत में मेरी लिखा था,
लिखा वही उस खत में मैने ,
जो तुझमे तुझे दिखा था,
जाने से पहले जवाब न आया ,
बुरा ना माना था मैने,
शायद भूल गयी होगी तुम ,
सबब यही बस जाना मैने
तेरी गलती को माफ किया ,
तुझसे प्यार में करता हूॅ,
अब खत का बेकरार मन से,
दिन रात इन्तजार में करता हूॅ,
फिर उसकी आवाज सुनकर ,
आॅख मेरी भर आयी ,
रोज गुजरता हुआ गली से,
मुझको आवाज सगाता हें,
अपने मोटे से गठठर से,
दो.चार खत दे जाता हें ,
वो चिटटी नही लाता हें ,
जो उससे में चाहता हॅू,
न पाकर तेरी चिटटी को
बस टूट के रह जाता हूॅ ,
बुरे.बुरे से उठने लगे ,
दिल में मेरे सवाल कई,
दूर जाकर मुझसे अब ,
शायद मुझको तू भूल गयी ,
भूल न जाना मुझको तू,
दिल रो.रो देता दुआई,
ऐ इश्क जरा ये तो बता,
तू र्दद हें या दर्दो की दवा,
दरिया पानी का या आग कोई,
तूफान हें तू या धीमी हवा,
बिन आग जलाये वो हें तू ,
चुप चाप बुलाये वो हें तू ,
मुस्कान लबो पे लाये तू ही ,
सारी रात रूलाये वो हेें तू ,
रातो की नींद चुराये तू ,
तिल तिल कर तडपाये तू,
गैर को अपना बना दिया ,
अपनो को गैर बनाये तू ,
जवाॅ दिलो की धडकन हें तू ,
प्यासे लबो की फरकनहें तू ,
रास्ते नाम के खोले तू ही ,
नाम के रास्तो की अडचन हेें तू,
तू ही तो हर दिल का सनम हें ,
बस तू ही तो सच्चा करम हें,
लाखो दुनिया में नाम तेरे,
तू क्या हें तू एक भरम हें
खुशी भी हें तू ही गम हें ,
भरी बज्म में आॅख नम हें ,
कहती हें दुनिया इष्क बुरा ,
तु जितना मिले लेकिन कम हें,
तू र्दद हें या दर्दो की दवा,
दरिया पानी का या आग कोई,
तूफान हें तू या धीमी हवा,
बिन आग जलाये वो हें तू ,
चुप चाप बुलाये वो हें तू ,
मुस्कान लबो पे लाये तू ही ,
सारी रात रूलाये वो हेें तू ,
रातो की नींद चुराये तू ,
तिल तिल कर तडपाये तू,
गैर को अपना बना दिया ,
अपनो को गैर बनाये तू ,
जवाॅ दिलो की धडकन हें तू ,
प्यासे लबो की फरकनहें तू ,
रास्ते नाम के खोले तू ही ,
नाम के रास्तो की अडचन हेें तू,
तू ही तो हर दिल का सनम हें ,
बस तू ही तो सच्चा करम हें,
लाखो दुनिया में नाम तेरे,
तू क्या हें तू एक भरम हें
खुशी भी हें तू ही गम हें ,
भरी बज्म में आॅख नम हें ,
कहती हें दुनिया इष्क बुरा ,
तु जितना मिले लेकिन कम हें,
काट डाले उन जालिमो ने वो पेड भी सारे ,
जिन पेडो पे मैने तेरा नाम लिखा था,
ढूढ.ढूढ कर पाडे हे उन कागज के पन्नो को ,
जिन पन्नो पे तूने कोई पैगाम लिखा था,
हॅस रहे हें वो उस तहरीर को पढकर ,
जिस तहरीर में मुहब्बत ही ईनाम लिखा था,
तोड डाली हें द्यर की उस दीवार को भी ,
जिस दीवार पर मैने मेरी जान लिखा था,
ढूढने से भी न मिला आज वो कागज का टुकडा ,
जिस पन्ने पर तुझको हुष्न की शान लिखा था,
मिटा दी हर चीज उन जालिमो ने दीपक ,
जिस भी निशानी पे उसका नाम लिखा था,
दम हें तो चीर दो इस कलेजे को भी मेरे ,
इस पे अब भी लिखा हेें जो पहले नाम लिखा था,
जिन पेडो पे मैने तेरा नाम लिखा था,
ढूढ.ढूढ कर पाडे हे उन कागज के पन्नो को ,
जिन पन्नो पे तूने कोई पैगाम लिखा था,
हॅस रहे हें वो उस तहरीर को पढकर ,
जिस तहरीर में मुहब्बत ही ईनाम लिखा था,
तोड डाली हें द्यर की उस दीवार को भी ,
जिस दीवार पर मैने मेरी जान लिखा था,
ढूढने से भी न मिला आज वो कागज का टुकडा ,
जिस पन्ने पर तुझको हुष्न की शान लिखा था,
मिटा दी हर चीज उन जालिमो ने दीपक ,
जिस भी निशानी पे उसका नाम लिखा था,
दम हें तो चीर दो इस कलेजे को भी मेरे ,
इस पे अब भी लिखा हेें जो पहले नाम लिखा था,
उस जगहा को चूम कर होता हें सूॅेूकून,
तेरे दामन को जहाॅ चूमते थे कभी ,
उन खतो को देख निकल आते हें आॅसू ,
जिन खतो को पढकर झूमते थे कभी ,
उन आॅखो में खोने को तरसती हें आॅखे,
जिनकी गहराई में डूबते थे कभी ,
वे गलियां भी अब लगती हें अजनबी ,
सारा दिन जिनमें हम द्यूमते थे कभी ,
सावन के उन झूलो की टूटी पडी हें डोर,
जिन झूलो पे संग तेरे झूलते थे कभी ,
उस चेहरे का नूर ही गुम हो गया कही ,
अनारे नूर जिस पे हरपल फूटते थे कभी ,
उस बाग मे भी अब छा गयी पतझड,
जिस बाग मे हर शाम द्यूमने थे कभी ,
फूल वो मुर्झा गये अब सारे ,
तेरी साॅसो की छूअन से जो खिलते थे कभी ,
बे रंग हो रहे हें अब गुलिस्ताॅ सारे,
रंगो में तेरे ही जो ढलते थे जो कभी ,
रौशनी का दूर तक उनका नाता न रहा ,
जो .दीपक. तेरे आगोश में जलते थे कभी,
तेरे दामन को जहाॅ चूमते थे कभी ,
उन खतो को देख निकल आते हें आॅसू ,
जिन खतो को पढकर झूमते थे कभी ,
उन आॅखो में खोने को तरसती हें आॅखे,
जिनकी गहराई में डूबते थे कभी ,
वे गलियां भी अब लगती हें अजनबी ,
सारा दिन जिनमें हम द्यूमते थे कभी ,
सावन के उन झूलो की टूटी पडी हें डोर,
जिन झूलो पे संग तेरे झूलते थे कभी ,
उस चेहरे का नूर ही गुम हो गया कही ,
अनारे नूर जिस पे हरपल फूटते थे कभी ,
उस बाग मे भी अब छा गयी पतझड,
जिस बाग मे हर शाम द्यूमने थे कभी ,
फूल वो मुर्झा गये अब सारे ,
तेरी साॅसो की छूअन से जो खिलते थे कभी ,
बे रंग हो रहे हें अब गुलिस्ताॅ सारे,
रंगो में तेरे ही जो ढलते थे जो कभी ,
रौशनी का दूर तक उनका नाता न रहा ,
जो .दीपक. तेरे आगोश में जलते थे कभी,
वैसे तो नजारा झील का बडा ही हसंी हें,
लेकिन तुझे लगता हें यहाॅ कुछ भी नही हें,
दिल कश हें बहुत यॅू तो खूबसूरत ये जगहा,
बदसूरत लग रही हें यहाॅं तेरी लमी हें,
बदल जाता मौसम ही यहाॅ का ,
ये वादियाॅ ही कुछ ओर होती ,
होता बहुत ही सुन्दर मंजर ,
अगर तू यहाॅ मेरे साथ होती,
हर तरफ जवाॅ मुहब्बत का गुल खिल रहा हें,
जहा पेड नजर ,पे्रमिका से प्रेमी मिल रहा हें,
द्यूम रहे हें सब हाथो में हाथ लेकर ,
न जाने क्यो देखकर इनहे ये दिल जल रहा हें,
वो देखो बेठ कश्ती पे दिवाने जा रहे हें,
नग्मा कोई मुहब्बत का मस्जाने गा रहे हें ,
खो जाना एक दुजे में वो चाहते हें शायद,
देखो एक दुजे से कैसे लिपटते जा रहे हें,
उधर उस किनारे पर वो जो हाथ हिला रहे हें,
चेहरे पे उसके देखो कैसा नूर छा रहा हें ,
वो लडकी जो आ रही हें महबूबा हे शायद ,
बुला कर उसे करीब सीने से लगा रहा हें,
हर तरफ यहाॅं प्रेमियो का जोडा नजर आता हें ,
हर द्यडी हर पल मन तुमको ही बुलाता हें,
द्युमते हम भी ऐसे ही तू साथ होती यदि,
बिना तेरे ये मन जैसे ही तू तडप सा जाता हें,
कश्ती में बैठकर बहुत दूर निकल जाते,
जहाॅ देखता न कोई सूनता न हमारी बाते,
तन्हाई में जा के करते कोइ्र शरारत प्यारी
रहता न होश लौटने का इस कदर खो जते ,
सोचा था यहाॅ आकर तेरी याद आयेगी ,
ये न पता था यादे तेरी ज्यादा सतायेगी ,
देख कर इन सब मिलते हुए पे्रमियो को,
ये आॅख मेरी ,यहाॅ इस कदर भर आयेगी,
तरसती हुई आॅखो को अब ओर न तरसाओ ,
पल भर के लिए ही सही एक बार तो आजाओ,
दिन रात तडपते हुए ,तुझको ही बुलाते हें,
मेरे इस दिल की सदा एक बार तो सुनजाओ,
लेकिन तुझे लगता हें यहाॅ कुछ भी नही हें,
दिल कश हें बहुत यॅू तो खूबसूरत ये जगहा,
बदसूरत लग रही हें यहाॅं तेरी लमी हें,
बदल जाता मौसम ही यहाॅ का ,
ये वादियाॅ ही कुछ ओर होती ,
होता बहुत ही सुन्दर मंजर ,
अगर तू यहाॅ मेरे साथ होती,
हर तरफ जवाॅ मुहब्बत का गुल खिल रहा हें,
जहा पेड नजर ,पे्रमिका से प्रेमी मिल रहा हें,
द्यूम रहे हें सब हाथो में हाथ लेकर ,
न जाने क्यो देखकर इनहे ये दिल जल रहा हें,
वो देखो बेठ कश्ती पे दिवाने जा रहे हें,
नग्मा कोई मुहब्बत का मस्जाने गा रहे हें ,
खो जाना एक दुजे में वो चाहते हें शायद,
देखो एक दुजे से कैसे लिपटते जा रहे हें,
उधर उस किनारे पर वो जो हाथ हिला रहे हें,
चेहरे पे उसके देखो कैसा नूर छा रहा हें ,
वो लडकी जो आ रही हें महबूबा हे शायद ,
बुला कर उसे करीब सीने से लगा रहा हें,
हर तरफ यहाॅं प्रेमियो का जोडा नजर आता हें ,
हर द्यडी हर पल मन तुमको ही बुलाता हें,
द्युमते हम भी ऐसे ही तू साथ होती यदि,
बिना तेरे ये मन जैसे ही तू तडप सा जाता हें,
कश्ती में बैठकर बहुत दूर निकल जाते,
जहाॅ देखता न कोई सूनता न हमारी बाते,
तन्हाई में जा के करते कोइ्र शरारत प्यारी
रहता न होश लौटने का इस कदर खो जते ,
सोचा था यहाॅ आकर तेरी याद आयेगी ,
ये न पता था यादे तेरी ज्यादा सतायेगी ,
देख कर इन सब मिलते हुए पे्रमियो को,
ये आॅख मेरी ,यहाॅ इस कदर भर आयेगी,
तरसती हुई आॅखो को अब ओर न तरसाओ ,
पल भर के लिए ही सही एक बार तो आजाओ,
दिन रात तडपते हुए ,तुझको ही बुलाते हें,
मेरे इस दिल की सदा एक बार तो सुनजाओ,
दूर रह कर भी तू मेरे पास रहेगी,
उम्र भर इस दिल को तेरी प्यास रहेगी,
होगी न नजरो के सामने तो क्या हुआ,
मेरे दिल में तू बन के अहसास रहेगी,
ईष्वर ने हमे मिलाया करके एक बहाना,
दिल में मेरे लिखा प्यार का अफसाना,
अब उसी इ्र्रष्वर की मर्जी ये भी देखो
जुदा कर दिया हमे ,फिर करके नया बहाना,
दो चार बार मिला के मन मे जगाया प्यार ,
जीने का रहा न मरने का इतना हुआ बेकरार,
अचानक आयी आॅधी के अन्णेरा कर गयी
तू चली भी गयी मे कर भी न सका इजहार,
मेरे दिल में हें तेरे दिल में भी जगायेगा,
जो लगी हें दिल मे मेरे लगन तुझे भी लगायेगा,
जुदा करना ओर मिलाना काम हेें उस का
उसने किया हें जुदा ,हमे वो ही मिलायेगा,
अधूरा हमारा मिलन ये रह पायेगा कैसे ,
तुम्हारे बिना ,दीपक. जी पायेगा कैसे ,
बहुत बडा हें दिल उसका वो सबकी सुनता हें ,
उसी से माॅगू गा वो मना न कर पायेगा ,
उम्र भर इस दिल को तेरी प्यास रहेगी,
होगी न नजरो के सामने तो क्या हुआ,
मेरे दिल में तू बन के अहसास रहेगी,
ईष्वर ने हमे मिलाया करके एक बहाना,
दिल में मेरे लिखा प्यार का अफसाना,
अब उसी इ्र्रष्वर की मर्जी ये भी देखो
जुदा कर दिया हमे ,फिर करके नया बहाना,
दो चार बार मिला के मन मे जगाया प्यार ,
जीने का रहा न मरने का इतना हुआ बेकरार,
अचानक आयी आॅधी के अन्णेरा कर गयी
तू चली भी गयी मे कर भी न सका इजहार,
मेरे दिल में हें तेरे दिल में भी जगायेगा,
जो लगी हें दिल मे मेरे लगन तुझे भी लगायेगा,
जुदा करना ओर मिलाना काम हेें उस का
उसने किया हें जुदा ,हमे वो ही मिलायेगा,
अधूरा हमारा मिलन ये रह पायेगा कैसे ,
तुम्हारे बिना ,दीपक. जी पायेगा कैसे ,
बहुत बडा हें दिल उसका वो सबकी सुनता हें ,
उसी से माॅगू गा वो मना न कर पायेगा ,
रोयेगा तडपेगा ये दिल फरियाद करेगा,
धडकन रहेगी जब तक ेतुमको याद करेगा,
चाहेगा तुम्हे ही जब तक रहेगी साॅसे ,
तमन्ना न किसी और की तुम्हारे बाद करेगा,
तुमको समेटे बैठी हें जो मेरी आॅखे,
देखने को तुमको अब ये तरसा करेगी ,
बरसात हो या के ना कभी ,लेकिन,
यादो में तेरी हरपल ये बरसा करेगी,
मेरी साॅसे तेरी खुष्बू जिनमें घुलने लगी थी ,
अब वो तरसेगी तुम्हारी खुष्बू के लिए ,
उखडी.उखडी सी रहेगी बैचेन ये अब ,
बस एक बार मिलने की आरजू के लिए ,
आॅसू जिनको कर दिया था रूकसत ,
बिन बुलाये ही अब वो चले आयेगें ,
दुनिया मे किसी को शायद वो जानते नही,
इस लिए आकर मेरी आॅखो मे बस जायेगे ,
धडकन रहेगी जब तक ेतुमको याद करेगा,
चाहेगा तुम्हे ही जब तक रहेगी साॅसे ,
तमन्ना न किसी और की तुम्हारे बाद करेगा,
तुमको समेटे बैठी हें जो मेरी आॅखे,
देखने को तुमको अब ये तरसा करेगी ,
बरसात हो या के ना कभी ,लेकिन,
यादो में तेरी हरपल ये बरसा करेगी,
मेरी साॅसे तेरी खुष्बू जिनमें घुलने लगी थी ,
अब वो तरसेगी तुम्हारी खुष्बू के लिए ,
उखडी.उखडी सी रहेगी बैचेन ये अब ,
बस एक बार मिलने की आरजू के लिए ,
आॅसू जिनको कर दिया था रूकसत ,
बिन बुलाये ही अब वो चले आयेगें ,
दुनिया मे किसी को शायद वो जानते नही,
इस लिए आकर मेरी आॅखो मे बस जायेगे ,
आज नही तो कल तुम चली जाओगी ,
जडपता हूआ मुझे तुम छोड जाओगी,
मेरे र्दद का तुम्हे होगा अहसास क्या,
तुम तो सारे रिस्ते ही तोड जाओगी,
जाओगी तुम में तुम्हे जाते हुए देखगा,
चाह कर भी न में तुम्हे रोक सकूॅगा ,
समझऊगा दिल को तू जायेगी वापस ,
प्यार तेरा आॅखो में अपनी छुपा के रखूगा ,
बिना तेरे ये जगहा सूनी सी लगेगी ,
कौन होगी जो अब मुझसे बाते करेगी ,
बैठे गी कौन अब कैंटिन मे मेरे साथ,
अब कौन किसी मोटी लडकी पे हॅसेगी,
जरा डाटने से मेरे अब कौन रूठ जायेगी,
कौन होगी जो बिना मनाये मान जायेगी,
अब कोैन बैठे गी लाईब्रेरी में साथ मेरे,
अब कौन मुझसे जी के प्रश्न पूछेगी ,
कौन अब मुझको नये गाने सुनायेगी ,
कौन अब मुझको प्यारी बाते सुनायेगी,
किसके लिए लिखुगा कविताये पढेगी कौन,
पागल कह के अब कौन मुझको चिडायेगी,
छोड कर यूॅ मुझको जा रही हें तू,
जाते.जाते भी मुझको रूला रही हें तू,
कहना चहाता हें आज तुमसे दीपक,
में तुमसे प्यार हूॅ दोस्त आई लव यॅू,
जडपता हूआ मुझे तुम छोड जाओगी,
मेरे र्दद का तुम्हे होगा अहसास क्या,
तुम तो सारे रिस्ते ही तोड जाओगी,
जाओगी तुम में तुम्हे जाते हुए देखगा,
चाह कर भी न में तुम्हे रोक सकूॅगा ,
समझऊगा दिल को तू जायेगी वापस ,
प्यार तेरा आॅखो में अपनी छुपा के रखूगा ,
बिना तेरे ये जगहा सूनी सी लगेगी ,
कौन होगी जो अब मुझसे बाते करेगी ,
बैठे गी कौन अब कैंटिन मे मेरे साथ,
अब कौन किसी मोटी लडकी पे हॅसेगी,
जरा डाटने से मेरे अब कौन रूठ जायेगी,
कौन होगी जो बिना मनाये मान जायेगी,
अब कोैन बैठे गी लाईब्रेरी में साथ मेरे,
अब कौन मुझसे जी के प्रश्न पूछेगी ,
कौन अब मुझको नये गाने सुनायेगी ,
कौन अब मुझको प्यारी बाते सुनायेगी,
किसके लिए लिखुगा कविताये पढेगी कौन,
पागल कह के अब कौन मुझको चिडायेगी,
छोड कर यूॅ मुझको जा रही हें तू,
जाते.जाते भी मुझको रूला रही हें तू,
कहना चहाता हें आज तुमसे दीपक,
में तुमसे प्यार हूॅ दोस्त आई लव यॅू,
आजा रे आजा हरजायी ,
के दिल को तेरी याद आयी ,
इस सावन ने आग लगायी ,
चाॅदनी रातो ने तारो की बारातो ने ,
बागो के फूलो ने सावन के झुलो ने ,
गाॅव की गलियो ने महकती कलियो ने
मिल के ये आवाज लगायी ,
के दिल को तेरी याद आयी,
कोयल ने गाया हें ,तुमको बुलाया हें,
हवाये आती हें तुमको बुलाती हें,
दिल ये रोता हें आॅखे तरसती हें,
आॅसू देते हें दुआई ,
के दिल को तेरी याद आयी ,
जब भी हम मिलते थे फुल दिल के खिलते थे ,
आॅखो मे आॅखे थी बहकी सी साॅसे थी ,
उन्ही ख्वाब अपनो ने मीठे से सपनो से,
दिल में ये पीड जगायी ,
के दिल को तेरी याद आयी,
के दिल को तेरी याद आयी ,
इस सावन ने आग लगायी ,
चाॅदनी रातो ने तारो की बारातो ने ,
बागो के फूलो ने सावन के झुलो ने ,
गाॅव की गलियो ने महकती कलियो ने
मिल के ये आवाज लगायी ,
के दिल को तेरी याद आयी,
कोयल ने गाया हें ,तुमको बुलाया हें,
हवाये आती हें तुमको बुलाती हें,
दिल ये रोता हें आॅखे तरसती हें,
आॅसू देते हें दुआई ,
के दिल को तेरी याद आयी ,
जब भी हम मिलते थे फुल दिल के खिलते थे ,
आॅखो मे आॅखे थी बहकी सी साॅसे थी ,
उन्ही ख्वाब अपनो ने मीठे से सपनो से,
दिल में ये पीड जगायी ,
के दिल को तेरी याद आयी,
बंधे ये कच्चे धागे से जरा झटके से टूट गये,
हम सफर बनाया था जिन्हे ,वो राहो में छूट गये,
मान जाना एक कौशिश में आदत थी जिनकी,
किसी तरहा न माने ,हमसे वो ऐसै रूठ गये,
यॅॅू तो कुछ भी न पास मेरे लूटाने के लिए,
फिर भी जमाने वालो ने मेरा सब कुछ लूट गये ,
जिन्दा रहे किस ख्वाब की ताबीर के लिए,
जिस शख्स की जिन्दगी के सारे सपने टूट गये ,
रोया किसी की याद में इतना ,दीपक ,
आज इन आॅचाो के सारे आॅसू सूख गये,
तुम्हे तो जाना हें तुम जाओगी जरूर ,
मुझको जरा बताओ मेरी खता क्या हें,
मुझको रूलायेगी रात दिन तेरी यादें ,
तुम्हारे प्यार की इससे बडी सजा क्या हें,
हम सफर बनाया था जिन्हे ,वो राहो में छूट गये,
मान जाना एक कौशिश में आदत थी जिनकी,
किसी तरहा न माने ,हमसे वो ऐसै रूठ गये,
यॅॅू तो कुछ भी न पास मेरे लूटाने के लिए,
फिर भी जमाने वालो ने मेरा सब कुछ लूट गये ,
जिन्दा रहे किस ख्वाब की ताबीर के लिए,
जिस शख्स की जिन्दगी के सारे सपने टूट गये ,
रोया किसी की याद में इतना ,दीपक ,
आज इन आॅचाो के सारे आॅसू सूख गये,
तुम्हे तो जाना हें तुम जाओगी जरूर ,
मुझको जरा बताओ मेरी खता क्या हें,
मुझको रूलायेगी रात दिन तेरी यादें ,
तुम्हारे प्यार की इससे बडी सजा क्या हें,
जिन्दगी क्यो मुझे ऐसे तू तडपाती हें ,
बहारो से पहले फिजा चली आती हें,
खुद को समझाऊ कैसे लोट आयेगी तू,
रूठ कर मेरी दुनिया से चली जाती हें,
खुशियो की बहारे कभी आॅसूयो की कतारे ,
कुदरत क्यो मुझे ऐसे रंग दिखती हें,
पी जाना आॅसूओ को आदत हो गयी हें,
मेरे लिए क्यो तू अपने आॅसू बहाती हें,
होता मेरे बस में तो रोक लेता तुम्हे ,
बेबसी मेरी के तू यू छोड कर जाती हें,
दूर रहके भी तुम्हे न भूल पायेगा ,दीपक,
सुना हें जुदाई दिलो को करीब लाती हें,
बहारो से पहले फिजा चली आती हें,
खुद को समझाऊ कैसे लोट आयेगी तू,
रूठ कर मेरी दुनिया से चली जाती हें,
खुशियो की बहारे कभी आॅसूयो की कतारे ,
कुदरत क्यो मुझे ऐसे रंग दिखती हें,
पी जाना आॅसूओ को आदत हो गयी हें,
मेरे लिए क्यो तू अपने आॅसू बहाती हें,
होता मेरे बस में तो रोक लेता तुम्हे ,
बेबसी मेरी के तू यू छोड कर जाती हें,
दूर रहके भी तुम्हे न भूल पायेगा ,दीपक,
सुना हें जुदाई दिलो को करीब लाती हें,
मेरी नजरो मे तुम ,
दिल मे तेरा चेहरा,
होठो पे तेरी बाते ,
आॅखो में तेरा पहरा ,
ओ जाना मेरी जाना
ऐसी आयी जिन्दगी में,
मुझको बहार मिली हें,
मेरे दिल अरमानो की,
कलियाॅ नई खिली हें ,
देखे मेरी इन आॅखो ने,
दिल कश कई नजारे ,
पत्थर भी हो जायें कलिया,
जहाॅ पडे कदम तुम्हारे ,
ओ जाना ,मेरी जाना,
जो भी तुमको देखता हें ,
आहे वो भरता हें,
खुश होता हें, आॅखो पे,
अपनी नाज वो करता हें,
रात दिन फिर कोई कसक,
उसको तडपाती हें,
खो जाता हें चैन भी उसका,
नीदे उड जाती हें
ओ जाना मेरी जाना,
दिल मे तेरा चेहरा,
होठो पे तेरी बाते ,
आॅखो में तेरा पहरा ,
ओ जाना मेरी जाना
ऐसी आयी जिन्दगी में,
मुझको बहार मिली हें,
मेरे दिल अरमानो की,
कलियाॅ नई खिली हें ,
देखे मेरी इन आॅखो ने,
दिल कश कई नजारे ,
पत्थर भी हो जायें कलिया,
जहाॅ पडे कदम तुम्हारे ,
ओ जाना ,मेरी जाना,
जो भी तुमको देखता हें ,
आहे वो भरता हें,
खुश होता हें, आॅखो पे,
अपनी नाज वो करता हें,
रात दिन फिर कोई कसक,
उसको तडपाती हें,
खो जाता हें चैन भी उसका,
नीदे उड जाती हें
ओ जाना मेरी जाना,
कैसे बताऊ तुम बिन कैसे वक्त बिता रहा हें ,
दिल रो रहा हें में फिर भी मुस्कुरा रहा हें ,
तम्हारे सिवा कौन हें , बात करू में जिससे ,
बैठा एक कौने में खुद से ही बतिया रहा हूूॅ,
कैसे बताऊ याद तुम्हारी कितना सता रही हें,
तुमसे हें मुझे प्यार कितना अहसार दिला रही हें,
एक दूर तुम्हारे जाने से सितम ये हुआ ,
रह रह के बाते तेरी मुझको रूला रही हें,
शायद तुम्हे भी याद मेरी आ रही होगी ,
हें यकी मुझे ये तुमको सता रही होगी ,
आॅखो में आॅसू नही तो मिलने की कसक जरूर ,
उड कर आ जाने की चाह दिल में जगा रही होगी,
मन तुम्हारा भी काम में न लग रहा होगा ,
बस मेरा ही चेहरा आॅखो में बस रहा होगा ,
सोच रही हागी ,कब वापस जाऊगी में,
देखने को मुझे मन तरस रहा होगा,
सोचता हें आते ही तेरे क्या करूगा में,
छलक आयेंगे आॅसू या हसूॅगा में,
कुछ भी अब मुझको चाहे कहना सनम,
बढ कर तेरा हाथ अब थाम लूॅगा में,
दिल रो रहा हें में फिर भी मुस्कुरा रहा हें ,
तम्हारे सिवा कौन हें , बात करू में जिससे ,
बैठा एक कौने में खुद से ही बतिया रहा हूूॅ,
कैसे बताऊ याद तुम्हारी कितना सता रही हें,
तुमसे हें मुझे प्यार कितना अहसार दिला रही हें,
एक दूर तुम्हारे जाने से सितम ये हुआ ,
रह रह के बाते तेरी मुझको रूला रही हें,
शायद तुम्हे भी याद मेरी आ रही होगी ,
हें यकी मुझे ये तुमको सता रही होगी ,
आॅखो में आॅसू नही तो मिलने की कसक जरूर ,
उड कर आ जाने की चाह दिल में जगा रही होगी,
मन तुम्हारा भी काम में न लग रहा होगा ,
बस मेरा ही चेहरा आॅखो में बस रहा होगा ,
सोच रही हागी ,कब वापस जाऊगी में,
देखने को मुझे मन तरस रहा होगा,
सोचता हें आते ही तेरे क्या करूगा में,
छलक आयेंगे आॅसू या हसूॅगा में,
कुछ भी अब मुझको चाहे कहना सनम,
बढ कर तेरा हाथ अब थाम लूॅगा में,
रोको न हाथ मेरा ,पैमाने को भरने दो,
अरसे से दबे हूए आॅसूओ को निकलने दो,
उसकी किस्मत में हें यही वो मिट कर रहेगा ,
शमा को मत बुझाओ ,परवाने को जलने दो ,
सामने होकर भी क्यो चुराते हो नजरे ,
आॅखो से दिल की चाहत दिल में उतरने दो,
किस्सा एक सुनाने को बेताब हें बहुत ये दिल,
बहार आज दिल से इस आग को निकलने दो ,
अब तक ये बिछे फूल राहे गुजर मे मेरी ,
तोहफे में जो मिले हें उन काॅटो पर चलने दो ,
चाहते हो अगर रोैशनी हो जाये दिलो में,
मुहब्बत की आग में आज ,दीपक को जलने दो,
कत्ल करे जिष्म का सजाये मौत मिलती हें,
उन दिल के कातिलो की सजा क्या होगी ,
दिखा कर ख्वाब मंजिलो का छोड जाते हें जो
रोकगी बढके रास्ता जो ,टुटे दिलो की सदा होगी,
अरसे से दबे हूए आॅसूओ को निकलने दो,
उसकी किस्मत में हें यही वो मिट कर रहेगा ,
शमा को मत बुझाओ ,परवाने को जलने दो ,
सामने होकर भी क्यो चुराते हो नजरे ,
आॅखो से दिल की चाहत दिल में उतरने दो,
किस्सा एक सुनाने को बेताब हें बहुत ये दिल,
बहार आज दिल से इस आग को निकलने दो ,
अब तक ये बिछे फूल राहे गुजर मे मेरी ,
तोहफे में जो मिले हें उन काॅटो पर चलने दो ,
चाहते हो अगर रोैशनी हो जाये दिलो में,
मुहब्बत की आग में आज ,दीपक को जलने दो,
कत्ल करे जिष्म का सजाये मौत मिलती हें,
उन दिल के कातिलो की सजा क्या होगी ,
दिखा कर ख्वाब मंजिलो का छोड जाते हें जो
रोकगी बढके रास्ता जो ,टुटे दिलो की सदा होगी,
जिन्दगी क्यो तू मुझको ऐसे तडपाती हें,
बहार आने से पहेले खिजा चली आती हें,
कुछ पल की खुशिया फिर आॅसुओ की कतारे ,
किस्मत क्यो मुझको ऐसे रंग दिखाती हें,
खुद को समझाऊगा कैसे लौअ आयेगी तू,
रूठ कर मेरी दूनिया से तू चली जाती हें ,
आॅसूओ को पी जाना मेरी आदत हो गयी हें,
मेरे लिऐ क्यो तू अपने मोती बहाती हें,
होता मेरे बस में तो रोक लेता तुमको ,
बेबसी हें मेरी तू मुझे छोड कर जाती हें ,
दूर रहके भी तम्हे न भूल पायेगा ,दीपक,
लोग कहते हें जुदाई दिलो को करीब लाती हें,
सौचता हूॅ रास्ता ये कैसे तेरे बिन कटेगा ,
आयेगा कब वो दिन फासला ये हटेगा ,
गम होता कोई और तो बाॅट लेता साथ यारो के,
ये तेरी मुहब्बत का गम तेरे ही बटेगा ,
बहार आने से पहेले खिजा चली आती हें,
कुछ पल की खुशिया फिर आॅसुओ की कतारे ,
किस्मत क्यो मुझको ऐसे रंग दिखाती हें,
खुद को समझाऊगा कैसे लौअ आयेगी तू,
रूठ कर मेरी दूनिया से तू चली जाती हें ,
आॅसूओ को पी जाना मेरी आदत हो गयी हें,
मेरे लिऐ क्यो तू अपने मोती बहाती हें,
होता मेरे बस में तो रोक लेता तुमको ,
बेबसी हें मेरी तू मुझे छोड कर जाती हें ,
दूर रहके भी तम्हे न भूल पायेगा ,दीपक,
लोग कहते हें जुदाई दिलो को करीब लाती हें,
सौचता हूॅ रास्ता ये कैसे तेरे बिन कटेगा ,
आयेगा कब वो दिन फासला ये हटेगा ,
गम होता कोई और तो बाॅट लेता साथ यारो के,
ये तेरी मुहब्बत का गम तेरे ही बटेगा ,
बन गयी मेरे लिए तू पहली सी हें ,
समस्या यही मेरी अलबेली सी हें,
आॅखो में देखता हूॅ तो प्यार नजर आता हें,
ख्वाबो में था जो वो संसार नजर आता हें ,
लगता हें के तू भी मझसे प्यार करती हैं,
पर शायद तुझसे कहने से तुम डरती हें,
तेरी बातो से लगता हें मुझसे प्यार नही ,
कर पायी अब तक मुझपे तू एतबार नही ,
अपना तो समझती हे पर प्यार नही करती ,
बस दोस्त समझती हें मुझ पर नही मरती ,
मेरी तरहा तू भी अकेली सी हें,
बन गयी मेरे लिऐ तू पहेली सी हें,
समस्या यही मेरी अलबेली सी हें,
आॅखो में देखता हूॅ तो प्यार नजर आता हें,
ख्वाबो में था जो वो संसार नजर आता हें ,
लगता हें के तू भी मझसे प्यार करती हैं,
पर शायद तुझसे कहने से तुम डरती हें,
तेरी बातो से लगता हें मुझसे प्यार नही ,
कर पायी अब तक मुझपे तू एतबार नही ,
अपना तो समझती हे पर प्यार नही करती ,
बस दोस्त समझती हें मुझ पर नही मरती ,
मेरी तरहा तू भी अकेली सी हें,
बन गयी मेरे लिऐ तू पहेली सी हें,
वो ऐसी मिली तुझे गोया जिन्दगी आयी हें,
गिरते हुऐ पत्तो पर फिर से फिजा छायी हें,
हमारी आॅखेा से नीदे जा चुकी भी दूर,
वो आयी क्या साथ हजारो सपने लायी हें,
भटकता रहा जो प्यासा देर से बहुत ,
उस प्यासे को आज तुने दरिया दिखया हें,
मिट ही चुकी थी दिल में मेरे उम्मीदे वफा ,
जाने क्यो फिर उसने वफा की कसम दिलायी हें,
आॅखे में उसकी डूब जाने की चाहत ,
पाने की उसे दिल में फिर जुस्तजू जगायी हें ,
क्यो मुहब्बत दिल में उसने जगायी हें दीपक,
बाद तन्हाई कें दिल में ,आरजू, आयी हें ,
गिरते हुऐ पत्तो पर फिर से फिजा छायी हें,
हमारी आॅखेा से नीदे जा चुकी भी दूर,
वो आयी क्या साथ हजारो सपने लायी हें,
भटकता रहा जो प्यासा देर से बहुत ,
उस प्यासे को आज तुने दरिया दिखया हें,
मिट ही चुकी थी दिल में मेरे उम्मीदे वफा ,
जाने क्यो फिर उसने वफा की कसम दिलायी हें,
आॅखे में उसकी डूब जाने की चाहत ,
पाने की उसे दिल में फिर जुस्तजू जगायी हें ,
क्यो मुहब्बत दिल में उसने जगायी हें दीपक,
बाद तन्हाई कें दिल में ,आरजू, आयी हें ,
फिर जली आज महफिल में शाम,
फिर परवाने मचलने लगे,
लग रहे हें वो आज इतने हॅंसी ,
देख कर अरमाॅ पिद्यलने लगे हॅेसी
देख कर अरमा पिद्यलने लगे हें,
बन सॅवर के तुम महफिल में आया करो ,
आ ही जाओ तो यूॅ मुस्कुराया ना करो ,
सब नजरे टिकी हे इस चेहरे पे आकर,
गर उठाओ तो नजरे झकाया ना करो,
पता हें तम्हे खुब सूरत हो तुम ,
बनाता हें हॅसी ओर भी टीका नजर का लगाया ना करो,
तुम्हारे आने से होती हें रौनक ए महफिल ,
फिर भी यूॅ जुलफे बिखराया ना करो ,
देख कर हुस्न तुम्हारा जलता हें कमर,
बहकता हें दिल दुपटा काॅधे से सरकाया ना करो,
फिर परवाने मचलने लगे,
लग रहे हें वो आज इतने हॅंसी ,
देख कर अरमाॅ पिद्यलने लगे हॅेसी
देख कर अरमा पिद्यलने लगे हें,
बन सॅवर के तुम महफिल में आया करो ,
आ ही जाओ तो यूॅ मुस्कुराया ना करो ,
सब नजरे टिकी हे इस चेहरे पे आकर,
गर उठाओ तो नजरे झकाया ना करो,
पता हें तम्हे खुब सूरत हो तुम ,
बनाता हें हॅसी ओर भी टीका नजर का लगाया ना करो,
तुम्हारे आने से होती हें रौनक ए महफिल ,
फिर भी यूॅ जुलफे बिखराया ना करो ,
देख कर हुस्न तुम्हारा जलता हें कमर,
बहकता हें दिल दुपटा काॅधे से सरकाया ना करो,
बेकरार हें दिल मेरा ,
मुझे थोडा करार देदो,
गुजारिश हें मेरी इतनी
मुझे अपना प्यार देदो,
सुनी पडी हें दिल की गलियां,
मुर्झा गयी उम्मीदो की कलियां,
आकर मेरी बांहो मं सनम,
मुझे मौसम वो खुश गवार दंे दो,
बेकार हॅू मुझे कोई काम नही हें,
होठो पे सिवा तेरे कोई नाम नही हें,
बोर हो रहा हूं जिन्दगी से अपनी,
मुझे अपना इन्तजार देदो,
प्यासी रहें बहुत मेरी आॅखे,
डखडी .2 हें बहुत मेरी साॅसे,
भूल जाऊ में आज खुद को,
अपनी आॅखो का मुझे खुमार दंेदो,
तन्हा हें बहुत सब होते हूए,
सपनो भी छोड गये मुझे सो,
छते ही तेरे उठेगा ,दीपक,
स्पर्श अपना मुझे ,यार देदो,
मुझे थोडा करार देदो,
गुजारिश हें मेरी इतनी
मुझे अपना प्यार देदो,
सुनी पडी हें दिल की गलियां,
मुर्झा गयी उम्मीदो की कलियां,
आकर मेरी बांहो मं सनम,
मुझे मौसम वो खुश गवार दंे दो,
बेकार हॅू मुझे कोई काम नही हें,
होठो पे सिवा तेरे कोई नाम नही हें,
बोर हो रहा हूं जिन्दगी से अपनी,
मुझे अपना इन्तजार देदो,
प्यासी रहें बहुत मेरी आॅखे,
डखडी .2 हें बहुत मेरी साॅसे,
भूल जाऊ में आज खुद को,
अपनी आॅखो का मुझे खुमार दंेदो,
तन्हा हें बहुत सब होते हूए,
सपनो भी छोड गये मुझे सो,
छते ही तेरे उठेगा ,दीपक,
स्पर्श अपना मुझे ,यार देदो,
फिर बजा सितार कोई,
फिर कोई कली मुस्काई,
फिर कूकी कोई कही,
फिर फूलो ने ली अंगडाइ्र्र,
जैसे गून.गून भॅवरे ने किया,
जैसे सर.सर चली हवा ,
जैसे झर.झर ढरना गिरा,
जैसे धक.धक करे जिया,
कॅही किसी ने तान लगायी ,
कॅही चिडियो ने सुबह जगायी,
कॅही बोला पपीहा कोई
कॅही रागी ने सरगम गायी,
शायद किसी की चुडिया खनकी,
शायद किसी की झूमरी झमकी ,
शायद किसी ने द्यूद्यरू बजाये,
शायद किसी की पायल छमकी ,
शायद पत्तिया हवा में डोली ,
कही बाग में मोरनी बोली ,
फिर संगीत से भर दी दुनिया ,
जैसे ही अधरो की पंखुडिया खोली,
फिर कोई कली मुस्काई,
फिर कूकी कोई कही,
फिर फूलो ने ली अंगडाइ्र्र,
जैसे गून.गून भॅवरे ने किया,
जैसे सर.सर चली हवा ,
जैसे झर.झर ढरना गिरा,
जैसे धक.धक करे जिया,
कॅही किसी ने तान लगायी ,
कॅही चिडियो ने सुबह जगायी,
कॅही बोला पपीहा कोई
कॅही रागी ने सरगम गायी,
शायद किसी की चुडिया खनकी,
शायद किसी की झूमरी झमकी ,
शायद किसी ने द्यूद्यरू बजाये,
शायद किसी की पायल छमकी ,
शायद पत्तिया हवा में डोली ,
कही बाग में मोरनी बोली ,
फिर संगीत से भर दी दुनिया ,
जैसे ही अधरो की पंखुडिया खोली,
मै अकसर ये सोचता हूॅ ,
कोई मुझसे भी प्यार करे ,
बिछाये नजरे राहो में कोई,
कोई तो हो ,जो इंतजार करे,
पर कोई क्यो प्यार करेगी ,
किस लिए मुझसे एतबार करेगी ,
बात क्या मुझमें हूें खास,
जिसपे वो जाॅ निसार करेगी,
वो सौने की गुडिया नाजो से नली हें,
कभी न चुभा काॅटा फूलो पे चली हें,
छूने से ही जो जायेगी मेंली,
मख्खन की मूरत साॅचे में ढली हें,
मे आवारा गलियो में फिरता हॅू,
फिर भी सपने उसके देख करता हूॅ,
प्यार से कभी देखा न जिसने ,
उसी को हर पल देखा करता हूॅ,
चलो माना वो प्यार करने लगी ,
थोडा ही सही एतबार करने लगी ,
म्ेारी धोडी सी खुशी के लिए ,
वेा हर गम से दो चार करने लगी,
पर निभायेगी कैसे वो प्यार को ,
झुका पासेगी कैसे संसार को ,
दुनिया में होगा न कोई बाप ऐसा,
देना चाहेगा जो बेटी बेकार को,
वो कहेगी तुम बिन न जी सकूॅगी में,
जहर जुदाई का न पी सकूगी में,
तुम हो तो कूछ नही माॅगती रब से ,
हर हाल में तेरे संग खुश रहुगी में,
मानता हूॅ दिल पे जोर कोई चलता नही ,
प्यार में कोई गम भी खलता नही,
सब कुछ हें प्यार ये भी सच हे मगर,
सिर्फ प्यार से पेट किसी का पलता नही,
कोई मुझसे भी प्यार करे ,
बिछाये नजरे राहो में कोई,
कोई तो हो ,जो इंतजार करे,
पर कोई क्यो प्यार करेगी ,
किस लिए मुझसे एतबार करेगी ,
बात क्या मुझमें हूें खास,
जिसपे वो जाॅ निसार करेगी,
वो सौने की गुडिया नाजो से नली हें,
कभी न चुभा काॅटा फूलो पे चली हें,
छूने से ही जो जायेगी मेंली,
मख्खन की मूरत साॅचे में ढली हें,
मे आवारा गलियो में फिरता हॅू,
फिर भी सपने उसके देख करता हूॅ,
प्यार से कभी देखा न जिसने ,
उसी को हर पल देखा करता हूॅ,
चलो माना वो प्यार करने लगी ,
थोडा ही सही एतबार करने लगी ,
म्ेारी धोडी सी खुशी के लिए ,
वेा हर गम से दो चार करने लगी,
पर निभायेगी कैसे वो प्यार को ,
झुका पासेगी कैसे संसार को ,
दुनिया में होगा न कोई बाप ऐसा,
देना चाहेगा जो बेटी बेकार को,
वो कहेगी तुम बिन न जी सकूॅगी में,
जहर जुदाई का न पी सकूगी में,
तुम हो तो कूछ नही माॅगती रब से ,
हर हाल में तेरे संग खुश रहुगी में,
मानता हूॅ दिल पे जोर कोई चलता नही ,
प्यार में कोई गम भी खलता नही,
सब कुछ हें प्यार ये भी सच हे मगर,
सिर्फ प्यार से पेट किसी का पलता नही,
मेरे दिल में बस गयी जो धडकन की तरह
महका दी मेरी दुनिया ,मधुबन की तरहा,
देखा उसे तो लगा ,मुझे उसी की तलाश
प्यासे मेरे इस दिल को उसी की प्यास थी,
सपनो में आता रहा जो ,अजनबी सा चेहरा
लगता हें तुम्हारा ही था वो रूप सुनहरा ,
चला दिया जादू जब भी ,लबो की पंखुडियों खोली,
दिल जीत लेती हें सबका मीठी सी बोली ,
आ अब ,दीपक, की जीवन जोत जला जाद्व
मेरे दिल से अपने दिल की डोर मिला जा,
तू ही मेरी पुजा हें, अब तू ही मेरी आराधना,
करता हें मन मेरा बस तुम्हारी ही उपासना,
महका दी मेरी दुनिया ,मधुबन की तरहा,
देखा उसे तो लगा ,मुझे उसी की तलाश
प्यासे मेरे इस दिल को उसी की प्यास थी,
सपनो में आता रहा जो ,अजनबी सा चेहरा
लगता हें तुम्हारा ही था वो रूप सुनहरा ,
चला दिया जादू जब भी ,लबो की पंखुडियों खोली,
दिल जीत लेती हें सबका मीठी सी बोली ,
आ अब ,दीपक, की जीवन जोत जला जाद्व
मेरे दिल से अपने दिल की डोर मिला जा,
तू ही मेरी पुजा हें, अब तू ही मेरी आराधना,
करता हें मन मेरा बस तुम्हारी ही उपासना,
महकी.महकी सी आज क्यो हवा तू चल रही है,
रहा में किसकी ऐसे सजदा तू कर रही हैं,
लायी हें किसके लिए ये रंगो की बहार
उडाने को किसकी जुल्फे इतना तू मचल रही हैं,
पुछा जो मैने हवा से देकर के आवाज,
वो सरसरा के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
बागो की कलियो क्यो खिलती जा रही हो,
किसके लिए इतना नूर बिखरा रही हो,
चढा रखा हें सिर ,क्यो शबनम को अब तक ,
क्यो आज तुम इतना गजब ढा रही हो,
पुछा जो मैने कलियो से, देकर के आवाज,
वो मुस्कुरा के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
क्यो सुर्ख नही आज आफताब हो रहा ,
जाने कहॅा जाकर आज तू सो रहा ,
बदलो में क्यो आज छुप गया हैं तू,
बता किसके ख्यालो में तू खो रहा ,
पुछा जो मैने सुरज से, देकर के आवाज,
वो दनदना के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
इतने सवेरे क्यो तू चहकने लगी हैं,
किस खुशी में इतना तू महकने लगी ,
इतने प्यार से किसको पुकारती हें तू,
किसको गीत अपने सुनाने चली हैं,
पुछा जो मैने कोयल से देकर के आवाज,
वो कुक कर बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
रोज की तरह क्यो नही जम बरस रही हैं,
बरसने से आज खुलकर ,क्यो तरस रही हैं,
क्यो मंद मंद आज , तेरी पडती हेे फुहार ,
किसको आज इतना प्यार दिखा रही हें,
पुछा जो मैने दीपक से देकर के आवाज,
वो मदहोश हो के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
रहा में किसकी ऐसे सजदा तू कर रही हैं,
लायी हें किसके लिए ये रंगो की बहार
उडाने को किसकी जुल्फे इतना तू मचल रही हैं,
पुछा जो मैने हवा से देकर के आवाज,
वो सरसरा के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
बागो की कलियो क्यो खिलती जा रही हो,
किसके लिए इतना नूर बिखरा रही हो,
चढा रखा हें सिर ,क्यो शबनम को अब तक ,
क्यो आज तुम इतना गजब ढा रही हो,
पुछा जो मैने कलियो से, देकर के आवाज,
वो मुस्कुरा के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
क्यो सुर्ख नही आज आफताब हो रहा ,
जाने कहॅा जाकर आज तू सो रहा ,
बदलो में क्यो आज छुप गया हैं तू,
बता किसके ख्यालो में तू खो रहा ,
पुछा जो मैने सुरज से, देकर के आवाज,
वो दनदना के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
इतने सवेरे क्यो तू चहकने लगी हैं,
किस खुशी में इतना तू महकने लगी ,
इतने प्यार से किसको पुकारती हें तू,
किसको गीत अपने सुनाने चली हैं,
पुछा जो मैने कोयल से देकर के आवाज,
वो कुक कर बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
रोज की तरह क्यो नही जम बरस रही हैं,
बरसने से आज खुलकर ,क्यो तरस रही हैं,
क्यो मंद मंद आज , तेरी पडती हेे फुहार ,
किसको आज इतना प्यार दिखा रही हें,
पुछा जो मैने दीपक से देकर के आवाज,
वो मदहोश हो के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
Tuesday, September 7, 2010
जाने क्यो ,दिल में ये ख्याल आता हें,
क्यो तू मुझसेे प्यार करती हें,
किस लिए माना हें अपना मुझे,
क्यो तू मुझपे जाॅ छिडकती हें,
जाने क्यो दिल में ये ख्याल आता हें,
के हम मिल ना सकेंगे ंकभी ,
कर देगा हमें जमाना जूदा ,
जी भर के देखने भी देगें नही,
जाने क्यो दिल में ये ख्याल आता हें
हसॅना तो दूर हम रो भी न सकेगें,
पीने पडगें आॅसू आॅख ही में ,
मजबूर हमको ये इतना करेगा ,
जाने क्यो दिल में ये ख्याल आता हें
प्यार में मिट जायेगी जिन्दगी ,
फिर भी प्यार करते हें हम ,
हें यही सबसे बडी बन्दगी,
क्यो तू मुझसेे प्यार करती हें,
किस लिए माना हें अपना मुझे,
क्यो तू मुझपे जाॅ छिडकती हें,
जाने क्यो दिल में ये ख्याल आता हें,
के हम मिल ना सकेंगे ंकभी ,
कर देगा हमें जमाना जूदा ,
जी भर के देखने भी देगें नही,
जाने क्यो दिल में ये ख्याल आता हें
हसॅना तो दूर हम रो भी न सकेगें,
पीने पडगें आॅसू आॅख ही में ,
मजबूर हमको ये इतना करेगा ,
जाने क्यो दिल में ये ख्याल आता हें
प्यार में मिट जायेगी जिन्दगी ,
फिर भी प्यार करते हें हम ,
हें यही सबसे बडी बन्दगी,
होठो की तेरी मुस्कुराहट के दीवाने हें हम,
तेरे हुस्न की शमा के परवाने हें हम,
तुम से ही शुरू होकर तुम पर खत्म हो ,
दिल किताब पर लिखे वो अफसाने हैं हम,
तेरे प्यार को ही सब कुछ मानते हे हमेशा,
इस दुनिया से बेखबर एंेसे बनजाने हें हम,
तुम नही तो कुछ भी नही जिन्दगी,
बिना तेरे तो बिन सांकी के में मखाने हें हम,
तेरे चाहत ही सब कुछ बन गयी मेरी ,
तेरी चाहत पर मर मिटने वाले दीवाने हें हम ,
बिन मूरत के जैसे होता हें मन्दिर,
तेरे बिना ऐसे ही ,उजडे आसयाने हें हम,
एक ही गुनाह हम दिन रात करते हें,
ख्वाबो ख्यालो में तुम्हे याद करते हें,
आॅखो से बन के आॅसू निकलते हें अरमाॅ,
एक पल को जीते हें एक पल को मरते हें,
तेरे हुस्न की शमा के परवाने हें हम,
तुम से ही शुरू होकर तुम पर खत्म हो ,
दिल किताब पर लिखे वो अफसाने हैं हम,
तेरे प्यार को ही सब कुछ मानते हे हमेशा,
इस दुनिया से बेखबर एंेसे बनजाने हें हम,
तुम नही तो कुछ भी नही जिन्दगी,
बिना तेरे तो बिन सांकी के में मखाने हें हम,
तेरे चाहत ही सब कुछ बन गयी मेरी ,
तेरी चाहत पर मर मिटने वाले दीवाने हें हम ,
बिन मूरत के जैसे होता हें मन्दिर,
तेरे बिना ऐसे ही ,उजडे आसयाने हें हम,
एक ही गुनाह हम दिन रात करते हें,
ख्वाबो ख्यालो में तुम्हे याद करते हें,
आॅखो से बन के आॅसू निकलते हें अरमाॅ,
एक पल को जीते हें एक पल को मरते हें,
Meri Jyoti Ho Tum
दीपक हूॅ में मेरी ज्योति हो तुम,
सीप हूॅ में मेरा मोती हो तुम,
में शरीर मेरी आत्मा हो तुम,
में सेवक तो परमात्मा हो तुम,
दिल में बसने वाली धडकन तुम हो,
नादानॅ मेरे दिल की तडपन तुम हो,
लबो पे आये जो ,हरपल वो नाम तुम हो,
मेरे जीवन की सुबह ओ ,शाम तुम हो ,
दिल में रहे जो हर पल वो ख्याल हो तुम,
रहेगा जो उम्रभर वो मलाल हो तुम ,
बहता रहूॅ जिसमें वो सरिता हो तुम,
में पागल कवि कविता हो तुम,
मेरे दिल में ख्यालो में आॅखो में तुम हो,
कभी ढूढ कर देखो मेरी बातो में तुम हो,
मेरे मन मन्दिर की मूरत हो तुम,
महसूस तुम्हे करता हूॅ, मेरी सांसो में तुम हो,
सीप हूॅ में मेरा मोती हो तुम,
में शरीर मेरी आत्मा हो तुम,
में सेवक तो परमात्मा हो तुम,
दिल में बसने वाली धडकन तुम हो,
नादानॅ मेरे दिल की तडपन तुम हो,
लबो पे आये जो ,हरपल वो नाम तुम हो,
मेरे जीवन की सुबह ओ ,शाम तुम हो ,
दिल में रहे जो हर पल वो ख्याल हो तुम,
रहेगा जो उम्रभर वो मलाल हो तुम ,
बहता रहूॅ जिसमें वो सरिता हो तुम,
में पागल कवि कविता हो तुम,
मेरे दिल में ख्यालो में आॅखो में तुम हो,
कभी ढूढ कर देखो मेरी बातो में तुम हो,
मेरे मन मन्दिर की मूरत हो तुम,
महसूस तुम्हे करता हूॅ, मेरी सांसो में तुम हो,
Sunday, September 5, 2010
Mosam
टप टप पानी बरस रहा हें ,
मैासम भी हैं सुहाना,
आओ हम तुम गाये ,
कोई प्यार का तराना ,
तराना हो कूछ ऐसा,
कि दिल झुम जाये ,
आकाश में भी काले,
बादल द्यिर आये ,
तराना हो कुछ मीठा,
सच्ची हो जिसमे प्रीत,
प्यार में डुबे हुऐ ,
हम गाये ऐसा गीत ,
तराना जो र्दद भरा न हो ,
दुनिया का गम भरा न हो ,
दिल में प्यार की उमंगे जगाये ,
आओ ,ऐसा तराना हम गाये
मैासम भी हैं सुहाना,
आओ हम तुम गाये ,
कोई प्यार का तराना ,
तराना हो कूछ ऐसा,
कि दिल झुम जाये ,
आकाश में भी काले,
बादल द्यिर आये ,
तराना हो कुछ मीठा,
सच्ची हो जिसमे प्रीत,
प्यार में डुबे हुऐ ,
हम गाये ऐसा गीत ,
तराना जो र्दद भरा न हो ,
दुनिया का गम भरा न हो ,
दिल में प्यार की उमंगे जगाये ,
आओ ,ऐसा तराना हम गाये
Gazal
मेरे दिल में बस गयी जो धडकन की तरह
महका दी मेरी दुनिया ,मधुबन की तरहा,
देखा उसे तो लगा ,मुझे उसी की तलाश
प्यासे मेरे इस दिल को उसी की प्यास थी,
सपनो में आता रहा जो ,अजनबी सा चेहरा
लगता हें तुम्हारा ही था वो रूप सुनहरा ,
चला दिया जादू जब भी ,लबो की पंखुडियों खोली,
दिल जीत लेती हें सबका मीठी सी बोली ,
आ अब ,दीपक, की जीवन जोत जला जाद्व
मेरे दिल से अपने दिल की डोर मिला जा,
तू ही मेरी पुजा हें, अब तू ही मेरी आराधना,
करता हें मन मेरा बस तुम्हारी ही उपासना,
महका दी मेरी दुनिया ,मधुबन की तरहा,
देखा उसे तो लगा ,मुझे उसी की तलाश
प्यासे मेरे इस दिल को उसी की प्यास थी,
सपनो में आता रहा जो ,अजनबी सा चेहरा
लगता हें तुम्हारा ही था वो रूप सुनहरा ,
चला दिया जादू जब भी ,लबो की पंखुडियों खोली,
दिल जीत लेती हें सबका मीठी सी बोली ,
आ अब ,दीपक, की जीवन जोत जला जाद्व
मेरे दिल से अपने दिल की डोर मिला जा,
तू ही मेरी पुजा हें, अब तू ही मेरी आराधना,
करता हें मन मेरा बस तुम्हारी ही उपासना,
tum jahe na mano
तुम चाहे ना मानो ,तुम हम पे मरते हो,
सामने ना सही छुप छुप के आहे भरते हो,
हमसे कहते हो के हमे प्यार नही तुम से ,
फिर क्यो हर रोज मेरा इन्तजार करते हो ,
सिर्फ जुॅबा नही ,प्यार आॅखे भी जताती हें,
पढ न लू में प्यार कही ,नजरे चुराते हो,
म्ुाझे दंखते हो मुस्काॅन क्यो आती हैं,
निशान बता रहे हें दाॅतो से क्यो लब काटा करते हो,
नासमझ हो अभी ,प्यार छुपाना नही आता,
जाने किस बात से तुम ,इतना डरते हो,
जानते हो कि वो तो पागल हें ,दीपक,
पागल को फिर क्यो सताया करते हो,
सामने ना सही छुप छुप के आहे भरते हो,
हमसे कहते हो के हमे प्यार नही तुम से ,
फिर क्यो हर रोज मेरा इन्तजार करते हो ,
सिर्फ जुॅबा नही ,प्यार आॅखे भी जताती हें,
पढ न लू में प्यार कही ,नजरे चुराते हो,
म्ुाझे दंखते हो मुस्काॅन क्यो आती हैं,
निशान बता रहे हें दाॅतो से क्यो लब काटा करते हो,
नासमझ हो अभी ,प्यार छुपाना नही आता,
जाने किस बात से तुम ,इतना डरते हो,
जानते हो कि वो तो पागल हें ,दीपक,
पागल को फिर क्यो सताया करते हो,
Meri Jaantumho
मेरी जान तुम हो, मेरा प्यार तुम हो,
जो हें बरसो से,वो, इन्तजार तुम हो ,
मेरा दिल हो तुम ,दिलदार तुम हो ,
मेरा गुल हो तुम ,गुलजार तुम हो ,
मेरा दिन हो तुम, मेरी रात तुम हो,
मेरी सोच हो तुम, मेरी बात तुम हो ,
लाये जो खुशी ,वो सोगात तुम
मेरा अरमान तुम ,जज्बात तुम हो ,
मेरी जुस्तजू हो तुम ,मेरी आरजू तुम हो ,
मेरी बात हो तुम ,मेरी गुफतगू तुम हो ,
मेरी आॅखो में छायी,नजरो में तुम हो ,
एक दो में नही ,हजारो में तुम हो,
मेरे काम में तुम ,हरकत में तुम हो,
मेरे दिल में तुम ,हसरत में तुम हो,
नस नस में तुम, धडकन में तुम हो,
मिल जायेगी मुझे ,मुहब्बत में तुम हो,
जो हें बरसो से,वो, इन्तजार तुम हो ,
मेरा दिल हो तुम ,दिलदार तुम हो ,
मेरा गुल हो तुम ,गुलजार तुम हो ,
मेरा दिन हो तुम, मेरी रात तुम हो,
मेरी सोच हो तुम, मेरी बात तुम हो ,
लाये जो खुशी ,वो सोगात तुम
मेरा अरमान तुम ,जज्बात तुम हो ,
मेरी जुस्तजू हो तुम ,मेरी आरजू तुम हो ,
मेरी बात हो तुम ,मेरी गुफतगू तुम हो ,
मेरी आॅखो में छायी,नजरो में तुम हो ,
एक दो में नही ,हजारो में तुम हो,
मेरे काम में तुम ,हरकत में तुम हो,
मेरे दिल में तुम ,हसरत में तुम हो,
नस नस में तुम, धडकन में तुम हो,
मिल जायेगी मुझे ,मुहब्बत में तुम हो,
Saturday, September 4, 2010
sher
विधवा की मांग सी हे मेरी जिन्दगी ,
बरसो से जो सूनी पडी हें,
शायद भर जायगी उसके आने से ,
सामने जो वो सिन्दूर बन के खडी हें
बरसो से जो सूनी पडी हें,
शायद भर जायगी उसके आने से ,
सामने जो वो सिन्दूर बन के खडी हें
Har Pal Meri Nazron Me
हर पल मेरी नजरो में ,बस एक ही नजारा हैं,
बस गया है जो दिल मैं वो चेहेरा तुम्हारा हैं,
रहता हैं ख्याल.ए.नजर सौते जागते मुझे ,
चल रहा हूॅ,फूलो पे,हाथो में हाथ तुम्हारा हैं
कहा नही तुमसे ,अब तक तो क्या हुआ ,
मेरे दिल ने बस तुम्ही को हर पल पुकारा हें,
बार.2 आये मन में चादर बिछी हें फूलो की ,
उठा रहा हूॅ ,जो में द्युद्यठ तुम्हारा हैं,
र्सिफ एक गजल नही ,बात है मेरे दिल की,
लिखा हैं जो भी हाल.ए.दिल हमारा हैं,
बताओ जरा क्या आता हें तुम्हे याद कभी,
ये माटी का दीपक क्या तुमको भी प्यारा हैं,
बस गया है जो दिल मैं वो चेहेरा तुम्हारा हैं,
रहता हैं ख्याल.ए.नजर सौते जागते मुझे ,
चल रहा हूॅ,फूलो पे,हाथो में हाथ तुम्हारा हैं
कहा नही तुमसे ,अब तक तो क्या हुआ ,
मेरे दिल ने बस तुम्ही को हर पल पुकारा हें,
बार.2 आये मन में चादर बिछी हें फूलो की ,
उठा रहा हूॅ ,जो में द्युद्यठ तुम्हारा हैं,
र्सिफ एक गजल नही ,बात है मेरे दिल की,
लिखा हैं जो भी हाल.ए.दिल हमारा हैं,
बताओ जरा क्या आता हें तुम्हे याद कभी,
ये माटी का दीपक क्या तुमको भी प्यारा हैं,
Kab Aayega Wo din
कब आयेगा वो दिन सनम
जलेगा तन व जलेगा मन,
आओगे जिस पल बाॅहो में,
मन में जलेगी प्रेम अगन,
कब आयेगा वो दिन सनम
सावन की पहली बरसात में,
झुम कर आयेगे बादल जब ,
भीगेगी तू भी मेरे साथ मं
कब आयेगा वो दिन सनम
उमंगो भरी वो रात रात होगी
निकलेगे मन के सारे अरमाॅ,
बस चाहत की बरसात होगी,
जलेगा तन व जलेगा मन,
आओगे जिस पल बाॅहो में,
मन में जलेगी प्रेम अगन,
कब आयेगा वो दिन सनम
सावन की पहली बरसात में,
झुम कर आयेगे बादल जब ,
भीगेगी तू भी मेरे साथ मं
कब आयेगा वो दिन सनम
उमंगो भरी वो रात रात होगी
निकलेगे मन के सारे अरमाॅ,
बस चाहत की बरसात होगी,
Kya Kabhi Hoga Aisa
क्या कभी होगा ऐसा
क्या कभी होगा ऐसा,
तुम आओगे मेरी बाहो में ,
सेा सकूॅगा क्या मैं कभी,
तेरे आॅचल की छाव मैं
क्या कभी होगा ऐसा
तुम मेरे पास आओगे ,
खामोश रहेंगे लब हमारे
आॅखो से हाल सुनाओगे,
क्या कभी होगा ऐसा
आयेगी जब झूम के बरसात,
आॅखो मैं डाल कर आखे,
झुमेगे ,भिगेंगें,थाम कर हाथ,
क्या कभी होगा ऐसा
मेरे ही सपने होगे तेरी आॅखों में,
मन में बसा होऊगा में ही,
म्ेारी खूशबू होगी तेरी साॅसो में,
क्या कभी होगा ऐसा,
तुम मुझ से रूढ जाओगें,
करोगे ना बात तुम मुझसे ,
और खाना भी ना खाओगे,
क्या कभी होगा ऐसा
म्ैा तुमको मनाने आऊगाॅ ,
कॅरूगा लाख जतन फिर में,
तुझे हाथ से खिलाऊगा,
क्या कभी होगा ऐसा
एक दूजे मे हम खो जायेंगे,
देखेगी दुनिया प्यार हमारा ,
दो बदन में एक जान हो जाये,
क्या कभी होगा ऐसा
तेरे दरपे आयेगी मेरी बारात ,
ल्ेाकर बिदा द्यर वालो से ,
डोली मैं आयेगी तू मेरे साथ,
क्या कभी होगा ऐसा
पर्दा र्शम का हट जायेगा,
मुझे देखोगी द्युद्यॅट से
चेहरा र्सूख हो जायेगा,
क्या कभी होगा ऐसा
सब दूरिया हमारी मिट जायेगी
ऊठाऊगा मैं द्युद्यट तुम्हारा ,
और शरमा के तू सिमट जायेगी,
क्या कभी होगा ऐसा
क्या कभी होगा ऐसा,
तुम आओगे मेरी बाहो में ,
सेा सकूॅगा क्या मैं कभी,
तेरे आॅचल की छाव मैं
क्या कभी होगा ऐसा
तुम मेरे पास आओगे ,
खामोश रहेंगे लब हमारे
आॅखो से हाल सुनाओगे,
क्या कभी होगा ऐसा
आयेगी जब झूम के बरसात,
आॅखो मैं डाल कर आखे,
झुमेगे ,भिगेंगें,थाम कर हाथ,
क्या कभी होगा ऐसा
मेरे ही सपने होगे तेरी आॅखों में,
मन में बसा होऊगा में ही,
म्ेारी खूशबू होगी तेरी साॅसो में,
क्या कभी होगा ऐसा,
तुम मुझ से रूढ जाओगें,
करोगे ना बात तुम मुझसे ,
और खाना भी ना खाओगे,
क्या कभी होगा ऐसा
म्ैा तुमको मनाने आऊगाॅ ,
कॅरूगा लाख जतन फिर में,
तुझे हाथ से खिलाऊगा,
क्या कभी होगा ऐसा
एक दूजे मे हम खो जायेंगे,
देखेगी दुनिया प्यार हमारा ,
दो बदन में एक जान हो जाये,
क्या कभी होगा ऐसा
तेरे दरपे आयेगी मेरी बारात ,
ल्ेाकर बिदा द्यर वालो से ,
डोली मैं आयेगी तू मेरे साथ,
क्या कभी होगा ऐसा
पर्दा र्शम का हट जायेगा,
मुझे देखोगी द्युद्यॅट से
चेहरा र्सूख हो जायेगा,
क्या कभी होगा ऐसा
सब दूरिया हमारी मिट जायेगी
ऊठाऊगा मैं द्युद्यट तुम्हारा ,
और शरमा के तू सिमट जायेगी,
क्या कभी होगा ऐसा
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