उन जख्मो को कुरेदने में मज़ा आता है
जख्म जो भी तेरी याद दिला जाता है
छेड़ता हूँ जख्मो को, तुम्हे भूल न जाऊ कहीं
वक्त का मरहम हर जख्म सुखा जाता है
बंध भी जाते किसी रिश्ते में तो क्या होता
प्यार पे आ के ही हर रिश्ता टिक जाता है
तुमसे अलग हो के मैं जी तो रहा हूँनाम कृष्ण का अब भी राधा के बाद आता है