Tuesday, July 24, 2018

तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है

तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
         यूँ ही रात भर जागने क्या मतलब
         तकिये भिगोने का आधार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
        एक तेरे ही बिना जी ना लगे
        साथ हो सारा संसार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
        अंखिया तो तेरे दर्शन की प्यासी
        सामने मोहक चेहरों का अंबार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
      तेरे प्रेंम में भीगना चाहे ये मन
      फिर सावन की ठंडी फुहार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
      जिससे बंधे हुए है आज तक
      उस रिश्ते का प्रकार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
      माना अब नही बात पहले सी
      मन मे फिर भी ये गुबार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
    डर तुमको अब लोक लाज का
     मेरा कहो अब अधिकार क्या है
तुम ही बताओ मुझको प्यार क्या है
    
     
      
   

Tuesday, July 17, 2018

हमने तो चाहा था प्यार

हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
      प्रिय अभी तुम हो रूपसी, कंचन काया ज्यों धूप सी
     अंग अंग मुस्काते फूल, मादकता में गयी हो भूल
     अमिट मेरा प्रेम केवल, मिट जायेगा यौवन श्रंगार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
      हर आवश्यकता पर हाथ दिया, मांगा हर पल साथ दिया
     सोचा कभी ना आगे पीछे, देखा कभी ना ऊपर नीचे
     हमे छल गयी तेरी आँखे, तेरी आँखों को संसार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
      हमने तो प्रेम योग किया, तुमने हमे उपयोग किया
      हमने हर ली पथ की बाधा, तुमने हित बस अपना साधा
      इस मन थी प्यास प्रेम की, उस मन भरे हुए थे अंगार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
     तेरे यौवन का रस न चाहा, मादकता पर बस न चाहा
     चाहे तो बस प्रेम के बोल, कह देते बस अधरों को खोल
     "इस मन भी प्रेम जोत जली, रोशन जिससे ये संसार"
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
    नैनो में दर्शन की प्यास, गया लिए मिलन की आस
    प्रेम असीम मन मे भरकर, पहुँचा जब भी तेरे दर पर
    लौटा हूँ खाली हाथ प्रिये, अपमानित सा मैं हर बार
हमने तो चाहा था प्यार, हमेशा दिया तुमने तिरस्कार
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Monday, July 9, 2018

बाते यू ही बनाने से क्या फायदा

बाते यू ही बनाने से क्या फायदा
बुझे दीपक जलाने से क्या फायदा
मेरी राधा हुई रुक्मणी और की
अब बाँसुरी बजाने से क्या फायदा
सारे सच  तेरे है स्वीकार हमे
फिर सच को छुपाने से क्या फायदा
बात का असर  तुम पे तो होता नही
एक ही बात दोहराने से क्या फायदा
प्यार की तो कोई कद्र  ही नही
यू ही सबको जताने से क्या फायदा
ना कोई सवाल न कोई जवाब मिलता
नज़रे नज़रों से मिलाने से क्या फायदा
जिसको जरूरत नही रोशनी की "दीपक"
उसकी राहो में जल जाने से क्या फायदा