Tuesday, July 13, 2021

लै कर ले प्यार

लै कर ले प्यार
तू भी बीमार मैं भी बीमार
खाट पे पड़े दोन्नो
तू भी लाचार मैं भी लाचार

बता बैलेंस बणेगा कैसे
तू थाइराइड में कुप्पा हो री
मैं सुक्खे पापड़ जैसे
नैय्या किक्कर हो गी पार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

नू तो तू इब भी गुड़ की डली लगे
अर डॉक्टर मुझे मीठा खाने ते मना करै
मैं शुगर का बीमार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

जवानी में डर था घरवालो का
मिलने का सुहुर नी था
रस्ता भी था नदी खालो का
रोज पड़े थी मार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

बुढ़ापे में किसी का डर नी होता
पर कमखत गात साथ नी देता
टूटे पड़े सारे हथियार
तू भी लाचार मैं भी लाचार

Friday, July 9, 2021

बरसात

कितनी बरसाते आयी गयी, फिर आयी ना वो बरसात
घण्टो भीगे पेड़ के नीचे ले हाथो में हाथ
          क्या याद तुम्हे है अब भी वो शाम कितनी सुहानी थी
           काली घटाए, तेज बारिश, हवाये भी तूफानी थी
            बिजली कड़की बादल गरजे, थर थर कांपे गात
            घण्टो भीगे पेड़ के नीचे ले हाथो में हाथ
अब तक भी है याद मुझे वो अहसास तब हुआ था
धीरे से जब हाथ ने तेरे मेरा हाथ छुआ था
सिहरन सी  उठी थी तन में तेज हो गयी सांस
घण्टो भीगे पेड़ के नीचे ले हाथो में हाथ
              साय साय चलती हवा से पत्ते शीशम के लहराए थे
              बिजली कड़की , अधर तेरे मेरे अधरों से टकराये थे
              गीला तन था , गीला मन था गीले थे जज्बात
              घण्टो भीगे पेड़ के नीचे ले हाथो में हाथ