Sunday, October 25, 2020

रात काली सही मगर ढल जायेगी

रात काली सही मगर ढल जायेगी
रोशनी की किरण कल निकल आयेगी
थोड़ा सब्र तो करो सूरज निकलने तक
बर्फ जितनी जमी है सब पिघल जायेगी
पाप था पुण्य था ये बताएगा कौन
सोचते सोचते उम्र निकल जायेगी
उनकी आंखों के पश्नो का उत्तर नही
आँखे आँखों से मिलेंगी न तो मचल जायेगी
हमको विश्वास था उनकी हर बात का
पता न था उनकी बाते ही  छल जायेगी
बैठ कर दोनों मिलकर बात तो करे
बात बिगड़ी भी होगी तो संभल जायेगी

Monday, October 5, 2020

रत्ती रत्ती तोल बिका हूँ

रत्ती रत्ती तोल बिका हूँ
मैं अनमोल, बे मोल बिका हूँ
मेरे हाल को वो ही न समझे
जिनके लिए दिल खोल बिका हूँ

उनके प्रेम की कीमत भारी
देते देते जिंदगी गुजारी
ब्याज में सारी खुशियां दे दी
फिर भी बाकी रही उधारी
वो क्या जाने उनकी खातिर
मैं कोड़ियों के मोल बिका हूँ

प्यार ने अजब खेल दिखाये
मेरे ही न हुये मेरे हमसाये
और किसी को कहना क्या अब
जब अपने ही हो गए पराये
समझ न आये और लिखूँ क्या
मन के सब पन्ने खोल लिखा हूँ

Monday, September 28, 2020

तू धुन तो बन कर देख

तू धुन तो बन कर देख, तेरा गीत मैं बन जाऊंगा
तू प्रीत तो बढा मुझसे, तेरा मीत मै बन जाऊंगा
            तुम दरिया बन कर आओगी, प्यास बन जाऊंगा मैं
           अमिट प्रेम के प्रथम मिलन की, आस बन जाऊंगा मैं
             तू मन से तो निभा कर देख, तेरी प्रीत  बन जाऊँगा मैं
             तू बाँसुरी तो देख बन कर, तेरा संगीत मै बन जाऊँगा
तू प्रीत तो बढा मुझसे, तेरा मीत मै बन जाऊंगा
 तू धुन तो बन कर देख, तेरा गीत मैं बन जाऊंगा  
            तुम यदि सुबह बनोगी, सूरज बन जाऊंगा मैं
            पत्थर तुम बनना चाहो तो, मूरत बन जाऊँगा मैं
            तुम यदि चाहोगी मुझसे, तेरी जीत बन जाऊंगा मैं
            तू प्रेम में तो देख तप कर, शीत मैं बन जाऊंगा
तू प्रीत तो बढा मुझसे, तेरा मीत मै बन जाऊंगा
 तू धुन तो बन कर देख, तेरा गीत मैं बन जाऊंगा  

Thursday, September 24, 2020

बनकर मस्त मलंगा

रे मन उसके लिए न सोच
कर ली जिसने तुझसे ओट
कर दे तू भी उसपे चोट                 
बनकर मस्त मलंगा
       मिट्टी बातो पे उसकी डाल
       खुश रह के दिखा कमाल
       गली में उसकी मचा धमाल
       बनकर मस्त मलंगा
 थी बस उसके मन मे खोट
  तू क्यों दिल पे लेता चोट
  उड़ाना उसकी शादी में नोट
  बनकर मस्त मलंगा
‌     उसको करने दे मनमानी
            दुनिया है ये आनी जानी
            खत्म कर दे अब ये कहानी
            बनकर मस्त मलंगा
अपने मन से करले बात
अब भड़के ना तेरे जज्बात
कर जीवन की नई शुरूआत
बनकर मस्त मलंगा
         


Thursday, September 17, 2020

मेरा तुम्हारा बस प्यार ही तो है

मेरा तुम्हारा बस प्यार ही तो है
गहरे रिस्तो का संसार ही तो है
मिल जाये सब कुछ और तू न मिले
मेरे लिए सब बेकार ही तो है
अब भी मेरे सर चढ़ के बोलता है
तेरी आशिकी का खुमार ही तो है
कोई दिल मे उतरा कोई दिल से उतरा
अपना अपना व्यवहार ही तो है
छोटे का दुलार न बड़े का आदर
बस  पढ़ा लिखा गवार ही तो है
कोशिश कर किनारा भी मिलेगा
तू अभी बीच मंझधार ही तो है
पढ़ ले आज ही कल हो जाएगा कूड़ा
जीवन भी एक अखबार ही तो है
कभी ख़ुशी मिली कभी गम मिला
सब समय का व्यापार ही तो है
बैठ कर बात तो कर हर मसले का हल है
गैर नही है, परिवार ही तो है
मेरे खाने को जो बनाता है लजीज
तेरे हाथो का बना अचार ही तो है



Saturday, September 5, 2020

वो बात तो करती है मगर , 
मिलने का इरादा नही करती
मुझे पता है वादे की पक्की है ,
इसलिए अब कोई वादा नही करती
खबर हो गयी उसे अब दुनिया की
अब लोगो से मेल जोल ज्यादा नही करती

Thursday, September 3, 2020

जानेमन


कभी खीर, कभी अचार जानेमन
बड़ा अजीब है तेरा प्यार जानेम
कभी हंसाती, कभी आंख दिखाती
तू है या गठबंधन की सरकार जानेमन
          घर बुला कर, चाय भी न पिलाती
          करती हो कितना अत्याचार जानेमन
          मिलन की गर्मी, कभी बिछड़न की सर्दी
           प्यार है तेरा या कोई बुखार जानेमन
चांद के चकोर, कभी धूप के आशिक
रंग बदलता ये स्वप्न संसार जानेमन
एक तेरी छुअन से बजने लगता
मेरे मन का सितार जानेमन 

Tuesday, September 1, 2020

तेरा दिन समझता हूँ तेरी रात समझता हूँ
तेरे दिल में बसते है जो, हर जज्बात समझता हूँ
तेरी आंख के हर आंसू की वजह पता है मुझे
मैं तो चाहने वाला हूँ तेरी हर बात समझता हूँ

Friday, August 21, 2020

तब तक दीपक को जलने दो

गम की अंधेरी काली रातों में
बेमतलब, सब की बातों में
कोई प्रेम की बात निकलने दो
तब तक दीपक को जलने दो. 
         तोड़ा तुमने हर एक वादा
         दिया कम, लेकर ज्यादा
         अब हिसाब बराबर चलने दो
         तब तक दीपक को जलने दो
रिस्तो ने ओढ़ी दूरियों की चादर
जमने लगा आंखों का सागर
अब अरमानो की बर्फ पिघलने दो
तब तक दीपक को जलने दो
         मेरी आँखों मे आंसू तेरे
         आंखे तेरी और सपने मेरे
        कुछ ख्वाब यूँ ही और पलने दो
        तब तक दीपक को जलने दो

Thursday, August 6, 2020

दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है

कभी प्यार किया था मुझसे , उसे अब तक निभा रही है
दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है
           मिले, बिछड़े, किस्मत ने फिर हमे मिलाया
           मेरी आँखों के आँसू में दर्द उसका बाहर आया
           वो मेरे सामने हँस हँस कर, दर्द अपना छुपा रही है
           दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है
बोझ उस पर भी बहुत है अपने घर परिवार का
मुझसे प्यार भी है उसको, और डर भी है संसार का
दो नाव की सवार है, बस डगमगा रही है
 दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है
            प्यार बेड़ी है पैरो की, उसे बढ़ना है बहुत आगे
            मजबूरी है मुझे छोड़े , या वो अपने सब त्यागे
            सामंजस्य बैठा लुंगी दोनों में, खुद को बहला रही है
            दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है