Wednesday, December 20, 2017

ना मैं सोया, ना वो सोयी

अंखिया रात भर रोयी
ना मैं सोया, ना वो सोयी
           बरसो से प्यासे बरसे थे
          इस दिन को कितना तरसे थे
          सीमा अपने सब्र की खोयी
          ना मैं सोया, ना वो सोयी
अरसे के बाद ये रात आयी
जब मुझसे मिली मेरी परछाई
उसे देख दिल भर आया,
मुझे देख वो भी रोयी
ना मैं सोया, ना वो सोयी
          खामोश वो भी रहे खामोश मैं भी रहा
          एक शब्द भी न उसने कहा न मैंने कहा
          यू ही रात सुहानी खोयी
          ना मैं सोया, ना वो सोयी

Saturday, December 16, 2017

कुछ मुक्तक

टुकड़े टुकड़े  जिंदगी और घुटी घुटी सी सांस
लम्हा लम्हा खुशी मिली, बिखरी बिखरी आस
जाने क्या क्या लिखा किस्मत में मेरी रब ने
कतरा कतरा जल मिला और लंबी लंबी प्यास

तेरी एक छुअन से चहकने लगे है
खुशबू से हम तो महकने लगे है
तुमको कसम है पलके झुका लो
आंखों से तुम्हारी बहकने लगे है

काश तेरे इस हाथ पर मेरा हाथ होता
सपनो की तरह हकीकत में तेरा साथ होता
दुनिया का क्या उससे तो लड़ लेता मैं
दोस्ती निभाने को अगर तेरा साथ होता

प्यार तुमको अपना जताना ही पड़ेगा
बांहो मेरी एक दिन तुम्हे आना ही पड़ेगा
अभी ढील दी है चाहे जितना उड़े पतंग
जब डोर खिचूंगा जमी पे आना ही पड़ेगा

तुम्हारी जान में जानम हमारी जान बसती है
निकलती है जान मेरी जब मेरी जान हंसती है
तुम्हे मालूम ही क्या किसी की जान की कीमत
तुम्हारी जान पर तो जान हजारो जान छिड़कती  है

Wednesday, December 13, 2017

एक गीत अधूरा है मुझे जिसको गाना है

जीवन के साज पर बस तेरा तराना है
एक गीत अधूरा है मुझे जिसको गाना है
           वक्त वो प्यारा था जब साथ तुम्हारा था
           तेरी एक झलक पे मैं अपना दिल हारा था
           जीवन के सुहाने दिन अब गुजरा जमाना है
            एक गीत अधूरा है मुझे जिसको गाना है
मेरे प्यार का किस्सा है भावो की कहानी है
जख्मो की पीड़ा है आंसुओ को सुनानी है
कुरेदने है जख्मो को  दर्द बाहर लाना है
एक गीत अधूरा है मुझे जिसको गाना है
              डोली में बैठ कर तू जिस दिन चली गयी
              भाग्य मिटा उस दिन मेरी किस्मत छली गयी
              नही दोष तेरा था इस दिल को समझाना है
              एक गीत अधूरा है मुझे जिसको गाना है

Sunday, December 10, 2017

हाथो में पहली बार जब उसका हाथ आया था

हाथो में पहली बार जब उसका हाथ आया था
हजारो ख्वाहिशो को अपने साथ पाया था
क्या होगा कल को ये किसने सोचा था
हमने तो अपना बस भाग्य आजमाया था
ये प्यार की राहे है कोई खेल नही दिलबर
वो ही सेक सकता है जिसने घर जलाया था
फैला दी बांहे उसके लिए आसमानो ने
उस नन्हे से परिंदे ने जब पर फैलाया था
क्या बात थी दिल मे क्या चाँद से वादा था
ठिठुरती ठंड में भी घर से क्यो चकोर आया था
कोशिश जलने की मरते दम तक कर "दीपक"
थोड़ा ही सही फिर भी अंधेरा तुमने भी मिटाया था

Friday, December 8, 2017

मस्त हवा सा उड़ता फिरू

मन करता है अब तुमसे और कुछ ना बोलूं मैं
मस्त हवा सा उड़ता फिरू, और सारे गगन में डोलू मैं
        सुबह शाम करता मन बस तेरा ही तो वंदन है
        जकड़े रखता जो मन को, वो तेरे प्रेम का बंधन है
        सारे बंधन तेरे प्रेम के अब अपने मन से खोलूं मै
        मस्त हवा सा उड़ता फिरू ,और सारे गगन में डोलू मैं
दबी आशाये सारी सब अरमान मिटे है
तेरे प्रेम में हम तो बिन मोल ही बिके है
मूल्य लगाऊ सपनो का अपने प्रेम को तोलू मैं
मस्त हवा सा उड़ता फिरू, और सारे गगन में डोलू मैं
         अपने मन के भावों का, तुमको है अधिकार प्रिये
         हमने तो बस देना जाना, नही किया व्यापार प्रिये
         क्या पाने की चाहत है अब, अपने मन को टटोलू मैं
         मस्त हवा सा उड़ता फिरू, और सारे गगन में डोलू मैं

Monday, December 4, 2017

मोहब्बत की कलिया

मोहब्बत की कलिया मिट्टी में मिला दी
आशाओ की सब बत्तिया बुझा दी
मेरी कोशिश थी तुझको छत देने की
तूने रिश्तो की सब दीवारे गिरा दी
हम देखते रहे जिन कोंपलों को
तुमने धीरे धीरे उनकी जडे हिला दी
बड़े मतलबी हो जानते थे फिर भी
अपने हिस्से की खुशियां तुम पे लुटा दी
अपना हक हम छीन भी सकते थे
तुमने हर बार नजरे नीचे गड़ा दी

Saturday, December 2, 2017

मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो

मैं क्या खो रहा हूँ तुम क्या पा रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो

ये सपना कौन सा इन आँखों ने बुन लिया है
तुने तो कुछ कहा ही नही क्या मैने सुन लिया है
दुनिया की भीड़ में बस मुझे तुम ही भा रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो

सजा रखी जो आंखों में , तस्वीर है तुम्हारी
तुम्हे चाहना ही अब तो, तकदीर है हमारी
तुम दूर बैठे बैठे भी मुझको सता रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो

यू ही शाम ढल जाती तुझे याद करते करते
जीने लगा हूँ फिर से मैं तुझपे मरते मरते
दिल की धड़कनों पर तुम ही तुम छा रहे हो
मैं गीत गा रहा हूँ तुम याद आ रहे हो

Wednesday, November 29, 2017

यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर

यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
        मन की बात मन में रही तो मन भारी हो जायेगा
        इतनी बातो का भण्डार तू किसके आगे सुनाएगा
        मन बेचारा नाजुक कोमल इसको ना सताया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
        अपना समझ किसी को अपने मन की बात बता
        अकेले तो तेरा जीवन बन जाएगा एक सजा
        दोस्त बना किसी को अपना उसके संग मुस्काया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
        छोटा सा होता ये मन नहीं होता कोई सागर
        भरते भरते भर जायेगी नन्ही सी इसकी गागर
        जमने ना दे भावो की काई इसका रोज सफाया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
          चिंता करना किस बात की और क्या अपने हाथ है
        हर समस्या का निदान है जब ऊपर वाला साथ है
        जीवन है फूलो की क्यारी खुशबू से महकाया कर
यूं ही ना शरमाया कर, मन की बात बताया कर
      

Sunday, November 26, 2017

कैसे तुमसे दूर रहूँ तू जीवन की जरुरत है

तन सुन्दर तेरा मन सुन्दर तू सुंदरता की मूरत है
कैसे तुमसे दूर रहूँ मैं तू जीवन की जरुरत है
सच्चाई का सत आँखों में चेहरे पर स्वाभिमान की घूप
निष्छल है बातें तेरी पावन है तेरा रूप
कितनी प्यारी रब ने बनाई तेरी सूरत है
कैसे तुमसे दूर रहूँ तू जीवन की जरुरत है
कांटा लगता मुझको तो दर्द तुमको भी होता
दुखी होता कोई अपना तो मन तेरा भी रोता
प्यारा है मन तेरा तू प्यार की एक मूरत है
कैसे तुमसे दूर रहूँ तू जीवन की जरुरत है

Friday, November 24, 2017

चन्द लम्हे मिले थे हमें प्यार के

चन्द लम्हे मिले थे हमें प्यार के
बाकि सब  थे मिले इंतज़ार के
                    हम महकते  रहे  वो धहकते रहे
                     वो बदलते रहे हम मचलते रहे
                     वक्त वो खूब था पास महबूब था
                     जान अपनी थी हम उनपे वार ते
                    चन्द लम्हे मिले थे हमें प्यार के
वो पास आते थे हम खिल जाते थे
रोज सपनो में  हमको वो मिल जाते थे
चाँदनी रात में ले हाथ को हाथ में
सारे बंधन थे तोड़े हमने संसार के
चन्द लम्हे मिले थे हमें प्यार के
                 आंधी ऐसी चली मुझे फिर ना मिली
                 टूटे सपने मेरे दिल की दुनिया हिली
                 वो रोने लगी दूर होने लगी
                 रिवाज़ उसको निभाने थे घर बार के
                 चन्द लम्हे मिले थे हमें प्यार के

Wednesday, November 22, 2017

मैं तुम्हे छोड़ दू तुम मुझे छोड़ दो

भूल जाओ सारे वादे सारी कसमे तोड़ दो
जिंदगी की सवारी को अब नया  मोड़ दो
अब यही बेहतर है हम दोनों के लिए
मैं तुम्हे छोड़ दू तुम मुझे छोड़ दो
बर्बाद करो मुझे या आबाद कर दो
अपनी यादो से अब आज़ाद कर दो
थमती नहीं ये आंसुओ की झड़ी है
तू मूरत बनी अब भी आंखों में पड़ी है
आंसुओ से बनी अब ये माला तोड़ दो
मैं तुम्हे छोड़ दू तुम मुझे छोड़ दो
दिल पे पत्थर रख मुझको सताती क्यों है
मेरी भावना अपनी भावनाओ को दबाती क्यों है
यूं तो जिंदगी प्यार में फूलो सी खिलती है
जुदाई की सजा मुझे ही हर बार मिलती है
अब प्यार का, वादों का, हर सम्बन्ध तोड़ दो
मैं तुम्हे छोड़ दू तुम मुझे छोड़ दो

Wednesday, November 15, 2017

हम दीवानो की हर बात ख्याली है

हम दीवानो की हर बात ख्याली है
बड़ी बड़ी बातें है और जेबें खाली है
कोई काम नहीं फिर भी रोज चाँद पे जाना है
रात और दिन उनका बस रूठना मनाना है
सावन के अंधे है हर और हरयाली है
हम दीवानो की हर बात ख्याली है
जुओ वाले बालो को घटाए काली कहते है
पसीने की बदबू को भी खुशबू कहते है
पैदाइशी झूठे है हर बात निराली है
हम दीवानो की हर बात ख्याली है
सल्तनत लुटी सारी दीदार की खातिर
भिकमंगे हो गए है इस प्यार की खातिर
एक एक पैसे के हर दर के सवाली है
हम दीवानो की हर बात ख्याली है
उस चाँद से मुखड़े का मेकअप जो हट जाए
हम उसमे समा जाये जो ये धरती  फट जाए
हुस्न की दुनिया के  हम रखवाली है
हम दीवानो की हर बात ख्याली है

Sunday, November 12, 2017

थोडा आशिकी का खुमार रहने दे

थोडा आशिकी का खुमार रहने दे
अभी ठीक हूँ, कुछ दिन बीमार रहने दे
तुझे नफरत है तो करता रह मुझसे
मेरे मन में बस अपना प्यार रहने दे
बड़ी बड़ी बाते किस काम की मेरे
मुझे तो बच्चों में शुमार रहने दे
तुझे चाँद की चाहत है तो छू ले
मेरे हिस्से में धरती की बहार रहने दे
फाईफ स्टार का पिकल तुम बनो
मुझे माँ के हाथ का अचार रहने दे
बड़े सपनो की कीमत भी बड़ी होगी
मुझे जीवन के सच का बाजार रहने दे

Saturday, November 11, 2017

ना हंसने की गलती की

ना हंसने की गलती की, और ना रोने का मजा लिया
सीधे से इस जीवन को , जटिल इतना क्यों बना लिया
किसी अदा पर मर मिटना
और किसी ख्याल में खोये रहना
तुम बिन जीना बड़ा मुश्किल है
किसी को मन से ये कहना
तुम्हे देख कर जीते है , तुम्हे अपना सब कुछ बना लिया
ना हंसने की गलती की, और ना रोने का मजा लिया
किसी की यादो में खोकर
ना आँखों से नीर बहाया है
ना सपने सजाये किसी के मन में
ना कोई सपनो में आया है
ना किसी की साँसों में बसे,न  किसी को आँखों में सजा लिया
ना हंसने की गलती की, और ना रोने का मजा लिया

Wednesday, November 8, 2017

दो पग तुम भी चले आते

प्यारी सी ख़ुशी से हमारी भी मुलाकात होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात  होती
              हम तो चले मीलों तेरी एक झलक पाने को
              पलके बिछाये बैठे थे महबूब के आने को
               तेरा दीदार ही मुहब्बत की सौगात होती
                दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात  होती
अपनी आँखों को मेरी आँखों से मिला जाते
कुछ पल को ही सही अगर तुम आ जाते
मेरी आँखों से ना यूं मोतियो की बरसात होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात  होती
                    माना बड़े वयस्त हो बहुत काम करते हो
                    छुट्टी नहीं लेते कभी ना आराम करते हो
                    काश मेरी भी रोजी रोटी तुम्हारे साथ होती
                    दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात  होती
तुम्हारी उम्र बीत जायेगी यहाँ पैसा कमाने में
लेकिन दोस्त कहाँ पाओगे मुझ सा जमाने में
काश मेरे प्रेम की लकीर भी तुम्हारे हाथ होती
दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
                   तुम जो अपने रिश्तो को यूं ही गवाओगे
                   याद रखना एक दिन अकेले ही रह जाओगे
                   अपनों के आगे ना सपनो की औकात होती
                   दो पग तुम भी चले आते तो क्या बात होती
 

Monday, November 6, 2017

कुछ मुक्तक

तुम्हारी हर सफलता की दुवाये हमने भी की है
तुम्हारे ज्ञान के पीछे  तो मेहनत हमने भी की है
उड़ो बेशक जाहे जितना मगर इतना समझ लो तुम
ताकत आसमा छूने की तुमको हमने ही दी है

तुम अपने मतलब  से रिश्ते सब जोड़ लेते हो
ना जिसकी जरूरत हो उसको छोड देते हो
सीढ़ी दर सीढ़ी ही ऊपर को जाती है ये दुनिया
तुम्हारी फितरत है तुम निचला डंडा तोड़ देते हो

मैं जितना पास आता हूँ तुम उतने दूर जाते हो
जरा ये भी तो कहदो तुम मुझसे क्या चाहते हो
मुझे छोडो या अपनाओ ये मर्जी तुम्हारी है
तुम्हे मै प्यार करता हूँ ये क्यों भूल जाते हो

जो मुझसे चाह नहीं है तो फिर क्यों बात करती हो
समय बर्बाद क्यों अपना तुम दिन रात करती हो
मेरी चाहत को अपना लो या मुझसे दूर हो जाओ
किसी कशमकश में क्यों मेरे जज्बात करती हो

सुन्दर हो तुम तो काले कलूटे हम भी नहीं है
सच्चे हो तुम तो यार झूठे हम भी नहीं है
क्या गुमाँ है जो हमें इग्नोर करते हो
साबुत हो तुम तो टूटे फूटे हम भी नहीं है

हमें तो याद है अब भी वो पहले प्यार की खुशबू
हँसते मुस्कुराते से हँसी दिलदार की खुशबू
ज़माने ने छीना हमसे हमारे प्यार का नगमा
मगर न छीन पाया वो मुझसे मेरे यार की खुशबू

मेरी प्रेम कहानी का हर किरदार तुमसे है
तुम्हे कैसे बताये हम कितना प्यार तुमसे है
तुम्हारा नाम लेते ही लडखडाती है मेरी साँसे
ज़माने की जफ़ाओं में बस एतबार तुमसे है

Sunday, November 5, 2017

कुछ मुक्तक

मोहब्बत चीज क्या है बस एक अहसास ही तो है
तू मुझसे दूर है लेकिन दिल के पास भी तो है
तू मेरी बात करती है मैं तेरी बात करता हूँ
और बाते ज़माने की सब बकवास ही तो है

तुझे जिसकी कद्र न थी मेरी आँखों का पानी था
हरदम बेताब थी जिसको वो ख्वाब बे मानी था
जला कर ख़ाक की तुमही ने मेरी चाहत की दुल्हन
तुम्हारा प्रेम ही तो मेरे जीवन की निशानी था

प्यार ऐसी कहानी है जिसे हम पढ़ नहीं सकते
ये अपने आप बनती है इसे हम घड़ नहीं सकते
कदम दर कदम दोनों का इसमें बढ़ना जरूरी है
जितना बढ़ गया हूँ मैं , तुम उतना बढ़ नहीं सकते

तेरी आँखों के प्रश्नो का उत्तर हम को देना है
मेरी आँखों के प्रश्नो का उत्तर तुम को देना है
क्यों करते हो तुम बातें  मुझसे दुनिया ज़माने की
हम दोनों को अब दुनिया से क्या लेना देना है

तू फूलो की क्यारी है तो, काँटों की थाली हम भी नहीं
तू सीधी सादी लड़की है तो, गुंडे मवाली हम भी नहीं
तुझे चाहत  और की है तो , सिर्फ तेरे सवाली हम भी नहीं
तुझे न फुर्सत बात करने की तो, काम से खाली हम भी नहीं

Wednesday, November 1, 2017

अब तुम पराई हो

सच कहती हो तुम,
समय नहीं है पास मेरे
तुमसे बात करने का,
सुनने का तुम्हारे मन की
और अपने मन की कहने का ,
परन्तु सच ये भी है कि
चाहता हूँ बस तुम्हे देखना
आंखों में आँखे डाल, निहारते रहना,
और कैद कर लेना अपनी आँखों में
तुम्हारी नई तस्वीर को,
सच ये भी है की
मौका ही न दू तुम्हे , कुछ कहने का
खोल कर रख दू मन की किताब
सामने तुम्हारी, इतनी बातें करूँ,
और सच ये भी है की
डर लगता है अब कुछ भी कहने से
मन के राज खोलने से
क्योकि तुम पर मेरा पहले सा अधिकार न रहा
सच है तुम अब भी मन में समाई हो
लेकिन अब तुम पराई हो, पराई हो

Sunday, September 17, 2017

गीत प्रेम के गाओ फिर से

गीत प्रेम के गाओ फिर से
आओ गले लग जाओ फिर से
बहुत रह चुका विरान गुलशन
फूल बन खिल जाओ फिर से
अलग थलग बहुत जी लिये
अब तो एक हो जाओ फिर से
मेरी सुनो, मै सुनू तुम्हारी
कहानी नई बनाओ फिर से
रोज की किटकिट  से मन ऊब गया है
पैगाम प्यार का लाओ फिर से
जिम्मेदारीयो की आंधी मे जो बुझ गया
दीपक वो प्यार का जलाओ फिर से

आहुति अधूरी है

प्रेम के हवन की कुछ आहुति अधूरी है
दबी भावनाओं का निकलना जरूरी है
गुजर गए बरसो यूं ही बिना बरसे ही
मुहब्बत के बादलो का पिघलना जरूरी है
तू एक बार कहदे, सारे बंधन तोड़ आऊ
जिन्दा रहना है तो अब मिलना जरुरी है
तेरी बाँहो में लिपट के जीना या मर जाना
अंजाम कुछ भी हो, लिपटना जरूरी है
जानता हूँ , अब गलत है , जो कह रहा हूँ मै
अपने किये वादे पर तुझे भी चलना जरूरी है
जाने कब साँझ हो जाये मेरे जीवन की
तेरे प्रेम का आखरी दीपक जलना जरूरी है