अन्न माँगा, दिया हमने
आबरू ना दे पाएंगे
रक्षक ही जब भक्षक बने
अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे
महंगा बीज , महंगा खाद
फिर भी सस्ता है अनाज
ग़ुरबत में जी लेंगे लेकिन
देश को न भूखा सुलायेंगे
रक्षक ही जब भक्षक बने
अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे
प्रकृति की मार हम पे
पड़ती रहती थम थम के
पसीना तो बहा सकते लेकिन
खून कब तक बहायेंगे
रक्षक ही जब भक्षक बने
अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे
भू माफिया औ भ्रस्ट सरकार
मिलकर कर रही अत्याचार
अब तक सहते रहे लेकिन
अब और ना सह पाएंगे
रक्षक ही जब भक्षक बने
अन्नदाता अब कहाँ जायेंगे