Sunday, February 25, 2018

प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम

जलती राहो में जब होगी तपन
काँटो पे पड़ेंगे जब तुम्हारे कदम
प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
         अभी क्या अभी तो ये शुरुआत है
         जीवन से ये पहली मुलाकात है
          पैर है हवा में , आसमान की बात है
          जब ज़मी पर आने लगेंगे कदम
          प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
  राज दोस्तो के जब खुलने लगेंगे
अपनो से धोखे जब मिलने लगेंगे
  गिर कर खुद ही जब संभलने लगेंगे
शब्दो से किसीके जब होंगी आंख नम
प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
          ठोकरें मारेंगे जब माथे पे सवाल
           मस्तिष्क में उठेंगे अजब से बवाल
          भर जाएगा जब रेखाओ से कपाल
           धूप में कोसो दूर होगी पवन
           प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम
संग तुम्हारे भी आज नही तो कल होगा
रीत यही, तुझ संग भी यही तो छल होगा
कद्र न होगी,  यद्यपि प्रेम तो निश्छल होगा
किसी झलक के बदले जब प्राण लगेंगे कम
प्रिये तुमको तब याद आएंगे हम

         

Saturday, February 17, 2018

लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये

पाने को तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
    मुद्री, मिठाई न उपहार
    है तो बस बांहो का हार
    मेरी न बंगले गाड़ी की औकात प्रिये
पाने को तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
    धन नही फिर कैसी बरखा
    मैं तो हमेशा प्रेम को तरसा
    हुई मुझपे न प्रेम बरसात प्रिये
पाने को तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
     मन की सोई भावनाये जगायी
     मुस्काती सी तुम जीवन मे आयी
     अब दे दो मुझको प्रेम सौगात प्रिये
पाने तुम्हारा साथ प्रिये
लो चला आया मैं खाली हाथ प्रिये
    

 
   
        
     

      
     

Thursday, February 15, 2018

तेरे दर पे कबाड़ी आया

लोहा टीन प्लास्टिक बेच
जूते, चप्पल, इलास्टिक बेच
किताब कापियां रद्दी बेच
पुरानी चीजें भद्दी बेच
लेकर अपनी गाड़ी आया , तेरे दर पे कबाड़ी आया
मारी गयी जिसकी मति , बेच दो
कमाता नही तो पति, बेच दो
पुराने मोडल का टीवी,  बेच दो
नासमझ है तो बीवी, बेच दो
खरीदने पुरानी साड़ी आया, तेरे दर पे कबाड़ी आया
आपस मे चले जो बंदूक, बेच लो
जरूरत में न खुले वो संदूक, बेच लो
जंग खायी तलवार, बेच लो
अपने मन के विकार, बेच लो
बड़ा व्यापारी अगाडी आया, तेरे दर पे कबाड़ी आया
बजता नही तो बाजा बदल लो चूरण से
कायर है तो राजा बदल लो चूरण से
जनता लूट कर जो भरे बैंक बदल लो चूरण से
चुप है जवानों की लाशों पे टैंक बदल लो चूरण से
सबसे बड़ा जुगाड़ी आया, तेरे दर पे कबाड़ी आया

Saturday, February 10, 2018

जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है

जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
        किस्मत से मिला हमको ये साथ तुम्हारा है
        मन के हर कोने में बस एक नाम तुम्हारा है
        तुमसे ही बंधी मेरे इस जीवन की डोर
        तुम्ही शाम मेरी तुम ही जीवन की भोर
        मेरे मन की हर इच्छा अब तुमपे मरती है
जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
         मेरे सूने से जीवन को बहार किया तुमने
         मै ओट भी न पाया इतना प्यार दिया तुमने
         पत्थर के कमरों को तूने घर बनाया है
         गिरते हुए परिंदे को फिर पर लगाया है
         दो फूलो की क्यारी तेरी ही खुशबू से भरती है
जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
          तेरा मेरा ये बंधन अब जन्मो का नाता है
          तेरे सिवा कोई और नही मुझको भाता है
          तू प्रेम की मूरत है तुझमे जान हमारी है
          तू ही प्राण है मेरे और प्राणों से प्यारी है
          तेरे मन मे प्रेम भरा प्रेम ही बांटा करती है
जब मुस्कुराती है बड़ी प्यारी लगती है
तुम्हे देखकर मन की आशाये जगती है
        
        

Monday, February 5, 2018

ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी


जाने कैसी ये अपनी तकदीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
       तुझको मतलब था अपना मुझे अपना था
       था अलग लेकिन हम दोनो का सपना था
       तेरा दुख अलग था मेरी अलग पीर थी
       ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तेरी मंजिल अलग थी मेरी ओर थी
कुछ पल को बंधी अपनी डोर थी
बड़ी प्यारी मगर उन पलों की तस्वीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
       मैं रुक सकता था पर तुझे जाना था
       अपने सपनो को पूरा तुझे कर आना था
       प्रेम की राहों में यही जंजीर थी
      ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी
तुझको जाते हुये ना मैंने टोका था
मुझको जाते हुये ना तूने रोका था
सुईया वक्त की थी या फिर तीर थी
ना तो मैं रांझा था न तू ही हीर थी




Saturday, February 3, 2018

कुछ मुक्तक

ऑनलाइन वो भी रही मैं भी रहा रात भर
कोई शब्द उसने कहा न मैने कहा रात भर
दोनो तरफ था इंतज़ार एक दूजे के बोलने का
होता रहा बस यूं ही रतजगा रात भर

सूरजमुखी सी तुम मेरे अंतर में खिलती हो
प्राण बन तुम प्रिय मेरी सांसो में मिलती हो
कभी धुप कभी चांदनी, कभी रागिनी बनकर
रक्त सी मेरे तन की शिराओं में फिरती हो

अपने चेहरे की गर्द को आँसूओ से धो लेता हूँ
जब याद तुम्हारी आती है थोड़ा सा रो लेता हूँ
जब भी मुरझाती है सूखने लगती है ये
तेरे प्यार की कलियों के  नए बीज बो लेता हूँ

तुझे दूर जाने की जिद है मुझे पास आने की जिद है
तुझे मिटा देनी की जिद है मुझे मिट जाने की जिद है
जिद्दी तू भी है और मैं भी हूँ सब जानते है
तुझे रुठ जाने की जिद है मुझे तुझको मनाने की जिद है

अब तो कुछ बोल यूं गुमसुम ना रह
जवाब जो कुछ भी है खुल के कह
हम तो डूब ही चुके तेरी चाहत में
मेरे प्यार में कुछ दूर तू भी तो बह