दिल का हाल बताते कब तक
उनके नाज़ उठाते कब तक
उनको गुरुर बहुत है खुद पर
उनके ख्वाब सजाते कब तक
जिन्हें प्यार की कद्र ही नही
उनको प्यार जताते कब तक
उनके सर पे नशा दौलत का
चन्दन प्रेम का लगाते कब तक
उनकी आंखें टिकी महलो पर
मन की बस्ती दिखाते कब तक
मेरे संग चलने में शर्म थी उनको
हमही अपना हाथ बढ़ाते कब तक
रौशनी की जरूरत ही नही उनको
"दीपक" खुद को जलाते कब तक
Monday, January 29, 2018
दिल का हाल बताते कब तक
Friday, January 26, 2018
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
मन कि आंखों से भी उसको पढ़ नही पाया
जिसे चाह न थी अपनो की उसे अपना बनाया
उसके हर खेल को हम प्यार समझ बैठे
वो तो दुश्मन भी न था हम यार समझ बैठे
उससे कह दो तेरा फरेब अब सहा नही जाता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
तुमको पाला था मन में अरमानो की तरह
और तुमको चाहा था हमने दीवानों की तरह
तेरी चाहत कुछ और है अगर पता होता
मन मेरा फिर न तेरे शब्ज ख्यालो में खोता
तड़प ना होती तेरी, आंख से आंसू नही आता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
मन के पिंजरे में जिसको घुटन होती थी
मीठे बोलो से भी जिसको चुभन होती थी
उस पंछी को आज छोड़ दिया मैंने
प्यार का हर नाता उससे तोड़ दिया मैने
उड़ जाए अब कहीं वो, जहां उसका जी चाहता
मेरे मन को क्यो कोई और नही भाता
तुमको भूलूँ तो कुछ याद नही आता
Monday, January 22, 2018
एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
बात कोई दिल पे लग जाये
तुमको जब कभी नींद न आये
बिस्तर लगे कांटो की चादर
तकिया भी गीला हो जाये
तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
जीवन के सफर में थक कर
बैठो जब तुम किसी पथ पर
दामन आशाओ का छूटे
निराशा बैठे कोई हठ कर
तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
दूर तक न रोशनी दिखाई दे
शोर में न कुछ सुनाई दे
टूटे हर सपने की कड़ी
दिखाई न अपनी ही परछाई दे
तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
आईना जब डराने लगे
अपने ही जब सताने लगे
काले केश स्वेत हो जाये
ताने कानो में घुल जाने लगे
तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
उदासियों का अंधेरा हो
जब कुंठाओ ने घेरा हो
प्राण छोड़ने को जी चाहे
लगे बस अब ना सवेरा हो
तब मुझको आवाज लगाना प्रिये
एक बार मुझे तुम बुलाना प्रिये
Thursday, January 18, 2018
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
न तुमने कभी कोशिश की
न हमने कभी बढाया कदम
फिर क्यों दूरिया हम दोनो की
होने लगी इतनी कम
न तुम सोचते हो हमारे लिए
न हम सोचते है तुम्हारे लिए
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
दिल मे तुम्हारे न कुछ राज है
कोई बात न मेरे दिल में रही
नजरे कभी न मिलायी है तुमने
न मेरी नजर कभी तुम तक गयी
तुम खोये रहे अपनी दुनिया मे
और अपनी मेरी दुनिया रही
न हीरो कभी तुमको मुझमे दिखा
न तुम में दिखा मुझको मेरा सनम
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
यूँ तो बहुत सी बातें की तुमने
मगर कोई बात ना कभी ऐसी कही
जिसे देखकर मन हो जाता दीवाना
कभी तेरी ऐसी ना अदाएं रही
लुभाने की तुमको ना कभी सोची मैने
कभी तेरी चुन्नी ना सर से गयी
मैं भी हमेशा ही गुमसुम रहा
तुझको भी मुझसे लगती थी शरम
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
Monday, January 15, 2018
मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है
मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है
कोयल बाग में जब कूकेगी
मेरी निंदिया तब टूटेगी
चिड़ियों की जब चल चल होगी
मन मे तब कोई हलचल होगी
प्यारी सुबह के कुछ मंजर
आंखों से भुनाने है
मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है
सूरत तेरी, आंखों में भर लूँ
हाथ तेरे, हाथो में धर लूँ
सितारे तोड़ के मैं ले आउ
उनसे तेरी माँग सजाऊ
तेरी सांसो की खुशबू से
सपने महकाने है
मुस्कुराते रहना तुम, मुझे गीत सुनाने है
Monday, January 8, 2018
मेरा दर्द कब तुमको सुनाई देता है
मेरा दर्द कब तुमको सुनाई देता है
दिल अब भी प्यार की दुहाई देता है
तेरी फितरत भी हो गयी आईने सी
जो सामने हुआ बस वो ही दिखाई देता है
उस शहर की रंगीनियों में तुम खो गए
गांव अब भी तेरे लौट आने की सफाई देता है
तेरे मेरे बीच ऐसा तो कोई वादा न था
ख्वाब तेरा मेरी आँखों मे क्यो दिखाई देता है
जरूरत उसको भी तो होगी हमराह की
वो शख्स फिर भी मुझको सिर्फ़ तन्हाई देता है
जले भी तो कैसे यूँ प्यार में "दीपक"
वो जब भी देता मुझको बस वादे हवाई देता है
Wednesday, January 3, 2018
कुछ सपने सुहाने है कुछ अपने बेगाने है
कुछ सपने सुहाने है कुछ अपने बेगाने है
तेरी यादों के मौसम, गीतों के बहाने है
तुम कुछ भी कहो हमसे, हम तुमको ही चाहेंगे
तुम्हे प्यार करेंगे दिलबर, तुम्हे अपना बनाएंगे
होंठो पे सिवा तेरे, नही कोई तराने है
तेरी यादों के मौसम, गीतों के बहाने है
कोई जीत कर हारा , कोई हार कर जीता
कही विष भी नही मिलता, कोई अमृत है पीता
सुख ओर दुख तो, बस आने और जाने है
तेरी यादों के मौसम , गीतों के बहाने है
तेरे मन कि हर पीड़ा मेरे मन मे उठती है
मेरे शब्दों की दुनिया तेरे प्यार में लुटती है
कुछ पास नही मेरे, बस दर्द पुराने है
तेरी यादों के मौसम , गीतों के बहाने है
Monday, January 1, 2018
मुझे याद करके
मुझे याद करके वो रात भर जागती है
फिर भी क्यों वो मुझसे दूर भागती है
मुझे प्यार करती हैं वो दिल ओ जान से
फिर भी इस बात को वो नही मानती है
कुछ तो मजबूरिया है उसकी भी
यूँ नही आंखों पे झूठ की पट्टी बांधती है
मेरे बिना तो वो भी अधूरी है
फिर भी पूरी होने को पाप मानती है
प्यार के तार पर प्यार की चादर टिकेगी
बेकार उस पर दोस्ती कर रुमाल टाँगती है