Sunday, October 25, 2020

रात काली सही मगर ढल जायेगी

रात काली सही मगर ढल जायेगी
रोशनी की किरण कल निकल आयेगी
थोड़ा सब्र तो करो सूरज निकलने तक
बर्फ जितनी जमी है सब पिघल जायेगी
पाप था पुण्य था ये बताएगा कौन
सोचते सोचते उम्र निकल जायेगी
उनकी आंखों के पश्नो का उत्तर नही
आँखे आँखों से मिलेंगी न तो मचल जायेगी
हमको विश्वास था उनकी हर बात का
पता न था उनकी बाते ही  छल जायेगी
बैठ कर दोनों मिलकर बात तो करे
बात बिगड़ी भी होगी तो संभल जायेगी

Monday, October 5, 2020

रत्ती रत्ती तोल बिका हूँ

रत्ती रत्ती तोल बिका हूँ
मैं अनमोल, बे मोल बिका हूँ
मेरे हाल को वो ही न समझे
जिनके लिए दिल खोल बिका हूँ

उनके प्रेम की कीमत भारी
देते देते जिंदगी गुजारी
ब्याज में सारी खुशियां दे दी
फिर भी बाकी रही उधारी
वो क्या जाने उनकी खातिर
मैं कोड़ियों के मोल बिका हूँ

प्यार ने अजब खेल दिखाये
मेरे ही न हुये मेरे हमसाये
और किसी को कहना क्या अब
जब अपने ही हो गए पराये
समझ न आये और लिखूँ क्या
मन के सब पन्ने खोल लिखा हूँ