Saturday, October 30, 2021

सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो
अपने आप को देखकर कविताओँ में
मुझे याद करती हो
शायद तुम भी मुझे प्यार करती हो

बरसो बाद आज तेरा जिक्र आया
तुम भी मुझे याद करती हो, किसी ने बताया
पूछती हो तुम भी लोगो से मेरे बारे में
मुझे खोने दुःख तेरे भी मन से न निकल पाया
अब भी मुझे गूगल पे सर्च करती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

जिस दिन मैं तुम्हे छोड़ आया था
तेरे शहर से अपना नाता तोड़ आया था
तेरी बेरुखी ने पागल कर दिया था
अपने हाथों अपनी किस्मत फोड़ आया था
मन आज भी वही है , जिंदगी चाहे जहां चलती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

माना, जीवन में ऐसा ही होता है
कुछ पाता है आदमी कुछ खोता है
तुम्हारी कमी हमेशा खलती रहती है
क्योकि पहला प्यार तो पहला होता है
तुम्हारी यादों से ही जवान हूँ उम्र चाहे जितनी ढलती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो

सच है मैं तुम्हे न भूल पाया कभी
न दूर हुई तुम मन से, न मैं पास आया कभी
जाने कौन सी मजबूरी थी मुझे न अपनाने की
तुम सपना हो , और मेरे लिए सपना ही रही
मुझे मिलने को तुम भी तड़पती हो
सुना है तुम मेरी कविताये पढ़ती हो
शायद तुम भी मुझे प्यार करती हो

9897373965