Sunday, September 17, 2017

गीत प्रेम के गाओ फिर से

गीत प्रेम के गाओ फिर से
आओ गले लग जाओ फिर से
बहुत रह चुका विरान गुलशन
फूल बन खिल जाओ फिर से
अलग थलग बहुत जी लिये
अब तो एक हो जाओ फिर से
मेरी सुनो, मै सुनू तुम्हारी
कहानी नई बनाओ फिर से
रोज की किटकिट  से मन ऊब गया है
पैगाम प्यार का लाओ फिर से
जिम्मेदारीयो की आंधी मे जो बुझ गया
दीपक वो प्यार का जलाओ फिर से

आहुति अधूरी है

प्रेम के हवन की कुछ आहुति अधूरी है
दबी भावनाओं का निकलना जरूरी है
गुजर गए बरसो यूं ही बिना बरसे ही
मुहब्बत के बादलो का पिघलना जरूरी है
तू एक बार कहदे, सारे बंधन तोड़ आऊ
जिन्दा रहना है तो अब मिलना जरुरी है
तेरी बाँहो में लिपट के जीना या मर जाना
अंजाम कुछ भी हो, लिपटना जरूरी है
जानता हूँ , अब गलत है , जो कह रहा हूँ मै
अपने किये वादे पर तुझे भी चलना जरूरी है
जाने कब साँझ हो जाये मेरे जीवन की
तेरे प्रेम का आखरी दीपक जलना जरूरी है