मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
जीवन के इस मोड़ पे जब मौसम पतझड़ का आया
पीछे धूप जवानी की और आगे बुढ़ापे का साया
जर्जर होती काया में फिर प्राण फूक दीये तुमने
बरसो बन्द पड़े दर को तुमने धीरे से खटकाया
मिटी सभी अभिलाषाएं, मन मे तेरा प्यार तो बाकी है
मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
उसी राह पर खड़ा हूँ जिस राह पर छोड़ गए थे तुम
रस्मे निभाने को कसमे सारी तोड़ गए थे तुम
वादा था हमराह बनने का थोड़ी दूर ही चल पाये
जाने किस बात पे रुठे मुझसे मुँह मोड़ गए थे तुम
बेचैन सी आंखों में अब भी तेरा इंतज़ार तो बाकी है
मेरे मन पर तेरे मन का कुछ अधिकार तो बाकी है
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
Monday, May 14, 2018
उखड़ती सांसो पर शरीर का कुछ उधार तो बाकी है
Friday, May 4, 2018
आदत हमेशा मुस्कुराने की
किस्से मोहब्बत के सबको सुनाने की
कोई रूठ भी जाये तो बार बार मनाने की
कितनी भी करो कोशिश न आयेंगे आंसू मेरे
मेरी बचपन से है आदत हमेशा मुस्कुराने की
बहुत सुंदर हो तुम इसी का गुरुर है तुमको
वजह और तो कोई नही मुझे ठुकराने की
कोई असर नही मेरी बातों का तुम पे होता
कोई तरकीब नही जग मे जागते को जगाने की
तेरे आने से खिल उठा था मेरा जीवन
अब तो ऋतु रह गयी है बस मुरझाने की
निकलता दम तेरी बांहो में तो और बात होती
पड़ता नही फर्क वजह कुछ भी हो जान जाने की
आरज़ू दीपक के दिल की हवाये क्या जाने
उनको तो आदत है जलते चिरागो को बुझाने की
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