Sunday, March 25, 2012

आप और हम

एक ही प्रभू की पूजा हम अगर करते नहीं
एक ही दरगाह पर सर आप भी रखते नहीं
           अपना सजदागाह  अगर देवी का स्थान  है
           आपके सजदो का मरकज भी तो कब्रिस्तान है
हम अपने देवताओ की गिनती अगर रखते नहीं
आप भी मुश्किल कुशाओ को तो गिन सकते नहीं
           जितने कंकर उतने शंकर ये अगर मशहूर है
           जितने मुर्दे उतने सजदे आपका  भी दस्तूर है
अपने देवी देवताओ को अगर है अख्त्यार
आपके वलियो की ताकत का नहीं कुछ शुमार
            वक्ते मुश्किल अपना नारा है "जय बजरंग बली "
           आपको देखा लगाते नारा "या हैदर अली"
लेता है अवतार प्रभू अपना जो इस  देश में
आपने समझा खुदा को मुस्तुफा के भेष में
            जिस तरह हम है बजाते मंदिरों में घंटियाँ
            तुर्बतों पर आपके देखा बजाते तालियाँ
हम भजन करते है गाकर देवताओ की खूबियाँ
कब्र पर गाते हो तुम भी झूम कर कव्वालियां
          हम चढाते है बुतों पर दूध या पानी की धार
          आपको देखा चढाते मुर्ग, चादर और हार
बुत की पूजा हम करे हम को मिले नारे सकर
तुम झुको कब्रों पर और तुमको मिले जन्नत में घर ?
          आप मुशरिक हम भी  मुशरिक मामला जब साफ़ है
          "जन्नती तुम " "दोजखी हम " ये कोई इंसाफ है ?
हम भी जन्नत में रहेंगे तुम अगर हो जन्नती
वर्ना दोजख में हमारे साथ होंगे आप भी 

( ये कविता मेरे दोस्त ने मुझे दी है ब्लॉग पर पोस्ट करने के लिए  )