कितने दुख सहे तुमने, सहे कितने अत्याचार,
तन की पीड़ा, मन की पीड़ा, मिले आंसू अपार,
कमजोर था, साथ तुमको लेकर चल नही पाया,
अपने मन की देवी बिठा दी, किसी दूजे के द्वार,
की होती हिम्मत थोड़ी , जीवन का अलग रंग होता,
मुस्कुराती जिंदगी और खुशियों का भी ढंग होता,
ना मजबूर तुम होती, और न तेरे फैसले गलत होते,
जीवन के कठिन दौर में यदि उस दिन तेरे संग होता
हम राह ना बनाया किस्मत ने, पर साथ तो चलता
दूर से ही सही लेकिन कुछ बात तो करता
कुछ तो हौसला मिलता किसी के साथ होने का,
उस मुश्किल घड़ी में शायद तेरा फैसला बदलता
कोई हक नही अब तुझपे इल्जाम लगाने का
तेरे जीवन पर किसी को उंगली उठाने का
अनगिन संघर्षो से भरे तेरे जीवन कोे सलाम
जो प्यार में लुटा, और गम न किया लुट जाने का
Monday, August 27, 2018
कितने दुख सहे तुमने
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