Thursday, September 9, 2010

जिन्दा हूॅ अभी के साॅस बाकी हें ,


चलाये रखता हें धडकन वा अहसास बाकी हें,

नब्ज थमने लगी ,आॅखे खुली हे फिर भी ,

सबब ये हें आने की उसके आस बाकी हें,

बेवफा कहता उसे वो रिस्ता तोड जाती ,

मुहब्बत का मेरी अधूरा किस्सा छोड जाती ,

वो गयी हें करके वादा आऊगी एक दिन,

मेरे होठो पर अभी वो प्यास बाकी हें,

तडपा.तडपा के यूॅ मेरा वो इम्मितहान लेती हें,

जुदाई के खंजरो से वो मेरी जान लेती हें,

रूक गयी साॅसे बन्द हो गयी धडकन ,

दीदार को अब भी खुली आॅखे बाकी हेें,

ऐसे तो ना खत्म होगा किस्सा मेरे प्यार का,

कुछ जो सिला देगा मुझे खत मेरे इकरार का ,

दर पे अपने बैठा हॅू बरसो से इस लिए ,

आना अभी तो नाम मेरे जवाब बाकी हें,

जायेगा खत तेरा कट जायेगी तन्हाई ,

आया तो प्यार की होगी बडी रूसवाई ,

खत भेज दो या तोड दो दिल र्मजी तुम्हारी ,

तन्हाई में बात करने को तेरी याद काफी हेें,

7 comments:

  1. बहुत बेह्तेर. आप लिखते रहें हम को भी कुछ नया पढने को मिल जाएगा.

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  2. बहुत अच्छा लगा धन्यवाद|

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  3. सैनी भाई, सबसे पहले ब्लॉग जगत में आपका बहुत-बहुत स्वागत है. जहाँ तक आपकी रचना की बात है, आपके विचार बेहद अच्छे हैं, और उनका प्रस्तुतीकरण भी बढ़िया है. थोड़ी बहुत शब्दों की गलतियाँ सुधर लेंगे तो मज़ा आ जाएगा. आगे के लिए बधाई.
    www.daastan-e-dil.blogspot.com

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  4. "तडपा तडपा के यूँ मेरा वो इम्मितहान लेती हें,
    जुदाई के खंजरो से वो मेरी जान लेती हें"
    वाह वाह

    शुभकामनाएं

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  5. खत भेज दो या तोड़ दो दिल मर्जी तुम्हारी ,
    तन्हाई में बात करने को तेरी याद काफी है...

    बहुत खूब...बहुत अच्छा लिखा है...यूं ही लिखते रहिए...थोड़ा वर्तनी का ध्यान रखिए...

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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