Tuesday, September 1, 2020

तेरा दिन समझता हूँ तेरी रात समझता हूँ
तेरे दिल में बसते है जो, हर जज्बात समझता हूँ
तेरी आंख के हर आंसू की वजह पता है मुझे
मैं तो चाहने वाला हूँ तेरी हर बात समझता हूँ

Friday, August 21, 2020

तब तक दीपक को जलने दो

गम की अंधेरी काली रातों में
बेमतलब, सब की बातों में
कोई प्रेम की बात निकलने दो
तब तक दीपक को जलने दो. 
         तोड़ा तुमने हर एक वादा
         दिया कम, लेकर ज्यादा
         अब हिसाब बराबर चलने दो
         तब तक दीपक को जलने दो
रिस्तो ने ओढ़ी दूरियों की चादर
जमने लगा आंखों का सागर
अब अरमानो की बर्फ पिघलने दो
तब तक दीपक को जलने दो
         मेरी आँखों मे आंसू तेरे
         आंखे तेरी और सपने मेरे
        कुछ ख्वाब यूँ ही और पलने दो
        तब तक दीपक को जलने दो

Thursday, August 6, 2020

दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है

कभी प्यार किया था मुझसे , उसे अब तक निभा रही है
दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है
           मिले, बिछड़े, किस्मत ने फिर हमे मिलाया
           मेरी आँखों के आँसू में दर्द उसका बाहर आया
           वो मेरे सामने हँस हँस कर, दर्द अपना छुपा रही है
           दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है
बोझ उस पर भी बहुत है अपने घर परिवार का
मुझसे प्यार भी है उसको, और डर भी है संसार का
दो नाव की सवार है, बस डगमगा रही है
 दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है
            प्यार बेड़ी है पैरो की, उसे बढ़ना है बहुत आगे
            मजबूरी है मुझे छोड़े , या वो अपने सब त्यागे
            सामंजस्य बैठा लुंगी दोनों में, खुद को बहला रही है
            दोबारा हरे हुए जख्मो पे , फिर से मरहम लगा रही है

Thursday, November 1, 2018

सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो,

शब्दो मे कैसे कह दूं तुमको,मुझको मौन ही रहने दो,
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो,
         अंतिम मिलन है ये अपना, है अंतिम ये बात
         दिन प्रणय का ढलने लगा, अब होगी विरह की रात
        मेरे कारण न दुखी होना, न करना कोई संताप
        समय का मरहम भर देगा, हर जख्म को अपने आप
रोकना मत आंसू अपने, इनको बाहर बहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
        सोना भी जो शरीर को काटे, उस गहने को फोड़ दो
        रिस्ता भी जो टेंशन बांटे, उस रिश्ते को तोड़ दो
        तेरा मेरा रिश्ता पावन, पर तुमको बहुत डराता है
        रात दिन तेरे सर को खाये, तुझको बहुत सताता है
प्रेम किया है मन से तो, बस इसे मन में ही रहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
       अधूरा रहा प्रेम हमेशा, पूरा हुआ किसका कब
       छोड़ो सोचना मेरे बारे में, प्रियतम मेरे तुम भी अब
       किसी के बिना न कोई मरता, दुनिया मे जीते सब
       अपने अपनो पर ध्यान लगाओ भली करेगा तेरी रब
पीड़ा होगी थोड़ी बहुत, इस पीड़ा को सहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो
        यूँ डर डर के जीना भी है क्या कोई जीना
        घुट घुट आंहे भरना और अपने आँसू पीना
       अपने मन की भावनाओं का अब गला दबा दो
       बेहतर यही होगा कि तुम अब मुझे भूला दो
प्रेम मन मे अमिट रहेगा, दुरियों को रहने दो
सुनने दो बस मन को अपने, मेरे मन को कहने दो