तुम बिन जीवन ऐसे खाली
जैसे पटाखो बिन दिवाली
बिन बाजे की बारात
बिन प्रीतम के सूनी रात
लड़ाई जैसे बिना गाली
तुम बिन जीवन ऐसे खाली
छत तो है पर बिना सीढ़ी
बिन माचिस के जैसे बीड़ी
दारू जैसे बिना चखना
महफ़िल में न कोई अपना
बिना गिलास के जैसे थाली
तुम बिन जीवन ऐसे खाली
ब्लाउज बिन जैसे साड़ी
बिना तेल हो जैसे गाड़ी
बिन असलेह के कोई जवान
बिना छत का हो कोई मकान
घर जैसे बिना घरवाली
तुम बिन जीवन ऐसे खाली