वो जब से पास आने लगे है
मेरे जख्म मुस्कुराने लगे है
जागने लगी सोई हसरते मेरी
वो सपने नए दिखने लगे है
भूल बैठे थे जिस मधुर गीत को
गीत वो फिर हम गुनगुनाने लगे है
कभी अंधेरो कभी उजालों की तरह
वो मुझसे नज़रें मिलाने लगे है
होता नहीं यकीन अंपनी आँखों पे
अचानक सामने वो मुस्कुराने लगे है
बुझ जाना ही जिनकी किस्मत बन गया था
दीपक वो फिर से टिमटिमाने लगे है
होता नहीं यकीन अंपनी आँखों पे
अचानक सामने वो मुस्कुराने लगे है
बुझ जाना ही जिनकी किस्मत बन गया था
दीपक वो फिर से टिमटिमाने लगे है