Saturday, September 4, 2010

Kya Kabhi Hoga Aisa

क्या कभी होगा ऐसा


क्या कभी होगा ऐसा,
तुम आओगे मेरी बाहो में ,
सेा सकूॅगा क्या मैं कभी,
तेरे आॅचल की छाव मैं

क्या कभी होगा ऐसा
तुम मेरे पास आओगे ,
खामोश रहेंगे लब हमारे
आॅखो से हाल सुनाओगे,

क्या कभी होगा ऐसा
आयेगी जब झूम के बरसात,
आॅखो मैं डाल कर आखे,
झुमेगे ,भिगेंगें,थाम कर हाथ,

क्या कभी होगा ऐसा
मेरे ही सपने होगे तेरी आॅखों में,
मन में बसा होऊगा में ही,
म्ेारी खूशबू होगी तेरी साॅसो में,

क्या कभी होगा ऐसा,
तुम मुझ से रूढ जाओगें,
करोगे ना बात तुम मुझसे ,
और खाना भी ना खाओगे,

क्या कभी होगा ऐसा
म्ैा तुमको मनाने आऊगाॅ ,
कॅरूगा लाख जतन फिर में,
तुझे हाथ से खिलाऊगा,

क्या कभी होगा ऐसा
एक दूजे मे हम खो जायेंगे,
देखेगी दुनिया प्यार हमारा ,
दो बदन में एक जान हो जाये,

क्या कभी होगा ऐसा
तेरे दरपे आयेगी मेरी बारात ,
ल्ेाकर बिदा द्यर वालो से ,
डोली मैं आयेगी तू मेरे साथ,

क्या कभी होगा ऐसा
पर्दा र्शम का हट जायेगा,
मुझे देखोगी द्युद्यॅट से
चेहरा र्सूख हो जायेगा,

क्या कभी होगा ऐसा
सब दूरिया हमारी मिट जायेगी
ऊठाऊगा मैं द्युद्यट तुम्हारा ,
और शरमा के तू सिमट जायेगी,

क्या कभी होगा ऐसा

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