जिन्दगी क्यो मुझे ऐसे तू तडपाती हें ,
बहारो से पहले फिजा चली आती हें,
खुद को समझाऊ कैसे लोट आयेगी तू,
रूठ कर मेरी दुनिया से चली जाती हें,
खुशियो की बहारे कभी आॅसूयो की कतारे ,
कुदरत क्यो मुझे ऐसे रंग दिखती हें,
पी जाना आॅसूओ को आदत हो गयी हें,
मेरे लिए क्यो तू अपने आॅसू बहाती हें,
होता मेरे बस में तो रोक लेता तुम्हे ,
बेबसी मेरी के तू यू छोड कर जाती हें,
दूर रहके भी तुम्हे न भूल पायेगा ,दीपक,
सुना हें जुदाई दिलो को करीब लाती हें,
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