फिर डाकिये ने आवाज लगायी,
सोचा मेने आज शायद चिटटी तेरी आयी,
आये तो खत कई नाम के मेरे,
भेजी हो जो तूने वो चिटटी पायी ,
धडकन बढ जाती इस दिल की ,
डाकिया जब आवाज लगाता हें,
हलका.हलका सा एक डर ,
तेरे दिल में बैठा जाता हें,
उस खत में लिखडाले ये ,
दिल के सब जज्बात ,
सच बताऊ इस डर से ,
सोया नही में सारी रात,
होगा क्या जवाब तेरा ,
मेरे प्यार के इजहार का ,
होगा खत वो नफरत भरा ,
या जिक्र होगा दकरार का,
इतने निदो के बाद शायद
तुमको मेरी याद आयी,
जवाब देना जाने से पहले ,
उस खत में मेरी लिखा था,
लिखा वही उस खत में मैने ,
जो तुझमे तुझे दिखा था,
जाने से पहले जवाब न आया ,
बुरा ना माना था मैने,
शायद भूल गयी होगी तुम ,
सबब यही बस जाना मैने
तेरी गलती को माफ किया ,
तुझसे प्यार में करता हूॅ,
अब खत का बेकरार मन से,
दिन रात इन्तजार में करता हूॅ,
फिर उसकी आवाज सुनकर ,
आॅख मेरी भर आयी ,
रोज गुजरता हुआ गली से,
मुझको आवाज सगाता हें,
अपने मोटे से गठठर से,
दो.चार खत दे जाता हें ,
वो चिटटी नही लाता हें ,
जो उससे में चाहता हॅू,
न पाकर तेरी चिटटी को
बस टूट के रह जाता हूॅ ,
बुरे.बुरे से उठने लगे ,
दिल में मेरे सवाल कई,
दूर जाकर मुझसे अब ,
शायद मुझको तू भूल गयी ,
भूल न जाना मुझको तू,
दिल रो.रो देता दुआई,
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