वो ऐसी मिली तुझे गोया जिन्दगी आयी हें,
गिरते हुऐ पत्तो पर फिर से फिजा छायी हें,
हमारी आॅखेा से नीदे जा चुकी भी दूर,
वो आयी क्या साथ हजारो सपने लायी हें,
भटकता रहा जो प्यासा देर से बहुत ,
उस प्यासे को आज तुने दरिया दिखया हें,
मिट ही चुकी थी दिल में मेरे उम्मीदे वफा ,
जाने क्यो फिर उसने वफा की कसम दिलायी हें,
आॅखे में उसकी डूब जाने की चाहत ,
पाने की उसे दिल में फिर जुस्तजू जगायी हें ,
क्यो मुहब्बत दिल में उसने जगायी हें दीपक,
बाद तन्हाई कें दिल में ,आरजू, आयी हें ,
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