Hardik Shagun
Hardik & Shagun
Saturday, September 4, 2010
sher
विधवा की मांग सी हे मेरी जिन्दगी ,
बरसो से जो सूनी पडी हें,
शायद भर जायगी उसके आने से ,
सामने जो वो सिन्दूर बन के खडी हें
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