Thursday, September 9, 2010

महकी.महकी सी आज क्यो हवा तू चल रही है,

रहा में किसकी ऐसे सजदा तू कर रही हैं,
लायी हें किसके लिए ये रंगो की बहार
उडाने को किसकी जुल्फे इतना तू मचल रही हैं,
पुछा जो मैने हवा से देकर के आवाज,
वो सरसरा के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
बागो की कलियो क्यो खिलती जा रही हो,
किसके लिए इतना नूर बिखरा रही हो,
चढा रखा हें सिर ,क्यो शबनम को अब तक ,
क्यो आज तुम इतना गजब ढा रही हो,
पुछा जो मैने कलियो से, देकर के आवाज,
वो मुस्कुरा के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
क्यो सुर्ख नही आज आफताब हो रहा ,
जाने कहॅा जाकर आज तू सो रहा ,
बदलो में क्यो आज छुप गया हैं तू,
बता किसके ख्यालो में तू खो रहा ,
पुछा जो मैने सुरज से, देकर के आवाज,
वो दनदना के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
इतने सवेरे क्यो तू चहकने लगी हैं,
किस खुशी में इतना तू महकने लगी ,
इतने प्यार से किसको पुकारती हें तू,
किसको गीत अपने सुनाने चली हैं,
 पुछा जो मैने कोयल से देकर के आवाज,
वो कुक कर बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,
रोज की तरह क्यो नही जम बरस रही हैं,
बरसने से आज खुलकर ,क्यो तरस रही हैं,
क्यो मंद मंद आज , तेरी पडती हेे फुहार ,
किसको आज इतना प्यार दिखा रही हें,
पुछा जो मैने दीपक से देकर के आवाज,
वो मदहोश हो के बोली,उसका जन्म दिन हैं आज,

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