Thursday, September 9, 2010

आजा रे आजा हरजायी ,


के दिल को तेरी याद आयी ,

इस सावन ने आग लगायी ,

चाॅदनी रातो ने तारो की बारातो ने ,

बागो के फूलो ने सावन के झुलो ने ,

गाॅव की गलियो ने महकती कलियो ने

मिल के ये आवाज लगायी ,

के दिल को तेरी याद आयी,

कोयल ने गाया हें ,तुमको बुलाया हें,

हवाये आती हें तुमको बुलाती हें,

दिल ये रोता हें आॅखे तरसती हें,

आॅसू देते हें दुआई ,

के दिल को तेरी याद आयी ,

जब भी हम मिलते थे फुल दिल के खिलते थे ,

आॅखो मे आॅखे थी बहकी सी साॅसे थी ,

उन्ही ख्वाब अपनो ने मीठे से सपनो से,

दिल में ये पीड जगायी ,

के दिल को तेरी याद आयी,

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