मै अकसर ये सोचता हूॅ ,
कोई मुझसे भी प्यार करे ,
बिछाये नजरे राहो में कोई,
कोई तो हो ,जो इंतजार करे,
पर कोई क्यो प्यार करेगी ,
किस लिए मुझसे एतबार करेगी ,
बात क्या मुझमें हूें खास,
जिसपे वो जाॅ निसार करेगी,
वो सौने की गुडिया नाजो से नली हें,
कभी न चुभा काॅटा फूलो पे चली हें,
छूने से ही जो जायेगी मेंली,
मख्खन की मूरत साॅचे में ढली हें,
मे आवारा गलियो में फिरता हॅू,
फिर भी सपने उसके देख करता हूॅ,
प्यार से कभी देखा न जिसने ,
उसी को हर पल देखा करता हूॅ,
चलो माना वो प्यार करने लगी ,
थोडा ही सही एतबार करने लगी ,
म्ेारी धोडी सी खुशी के लिए ,
वेा हर गम से दो चार करने लगी,
पर निभायेगी कैसे वो प्यार को ,
झुका पासेगी कैसे संसार को ,
दुनिया में होगा न कोई बाप ऐसा,
देना चाहेगा जो बेटी बेकार को,
वो कहेगी तुम बिन न जी सकूॅगी में,
जहर जुदाई का न पी सकूगी में,
तुम हो तो कूछ नही माॅगती रब से ,
हर हाल में तेरे संग खुश रहुगी में,
मानता हूॅ दिल पे जोर कोई चलता नही ,
प्यार में कोई गम भी खलता नही,
सब कुछ हें प्यार ये भी सच हे मगर,
सिर्फ प्यार से पेट किसी का पलता नही,
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