वैसे तो नजारा झील का बडा ही हसंी हें,
लेकिन तुझे लगता हें यहाॅ कुछ भी नही हें,
दिल कश हें बहुत यॅू तो खूबसूरत ये जगहा,
बदसूरत लग रही हें यहाॅं तेरी लमी हें,
बदल जाता मौसम ही यहाॅ का ,
ये वादियाॅ ही कुछ ओर होती ,
होता बहुत ही सुन्दर मंजर ,
अगर तू यहाॅ मेरे साथ होती,
हर तरफ जवाॅ मुहब्बत का गुल खिल रहा हें,
जहा पेड नजर ,पे्रमिका से प्रेमी मिल रहा हें,
द्यूम रहे हें सब हाथो में हाथ लेकर ,
न जाने क्यो देखकर इनहे ये दिल जल रहा हें,
वो देखो बेठ कश्ती पे दिवाने जा रहे हें,
नग्मा कोई मुहब्बत का मस्जाने गा रहे हें ,
खो जाना एक दुजे में वो चाहते हें शायद,
देखो एक दुजे से कैसे लिपटते जा रहे हें,
उधर उस किनारे पर वो जो हाथ हिला रहे हें,
चेहरे पे उसके देखो कैसा नूर छा रहा हें ,
वो लडकी जो आ रही हें महबूबा हे शायद ,
बुला कर उसे करीब सीने से लगा रहा हें,
हर तरफ यहाॅं प्रेमियो का जोडा नजर आता हें ,
हर द्यडी हर पल मन तुमको ही बुलाता हें,
द्युमते हम भी ऐसे ही तू साथ होती यदि,
बिना तेरे ये मन जैसे ही तू तडप सा जाता हें,
कश्ती में बैठकर बहुत दूर निकल जाते,
जहाॅ देखता न कोई सूनता न हमारी बाते,
तन्हाई में जा के करते कोइ्र शरारत प्यारी
रहता न होश लौटने का इस कदर खो जते ,
सोचा था यहाॅ आकर तेरी याद आयेगी ,
ये न पता था यादे तेरी ज्यादा सतायेगी ,
देख कर इन सब मिलते हुए पे्रमियो को,
ये आॅख मेरी ,यहाॅ इस कदर भर आयेगी,
तरसती हुई आॅखो को अब ओर न तरसाओ ,
पल भर के लिए ही सही एक बार तो आजाओ,
दिन रात तडपते हुए ,तुझको ही बुलाते हें,
मेरे इस दिल की सदा एक बार तो सुनजाओ,
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