Thursday, September 9, 2010

ऐ इश्क जरा ये तो बता,


तू र्दद हें या दर्दो की दवा,

दरिया पानी का या आग कोई,

तूफान हें तू या धीमी हवा,

बिन आग जलाये वो हें तू ,

चुप चाप बुलाये वो हें तू ,

मुस्कान लबो पे लाये तू ही ,

सारी रात रूलाये वो हेें तू ,

रातो की नींद चुराये तू ,

तिल तिल कर तडपाये तू,

गैर को अपना बना दिया ,

अपनो को गैर बनाये तू ,

जवाॅ दिलो की धडकन हें तू ,

प्यासे लबो की फरकनहें तू ,

रास्ते नाम के खोले तू ही ,

नाम के रास्तो की अडचन हेें तू,

तू ही तो हर दिल का सनम हें ,

बस तू ही तो सच्चा करम हें,

लाखो दुनिया में नाम तेरे,

तू क्या हें तू एक भरम हें

खुशी भी हें तू ही गम हें ,

भरी बज्म में आॅख नम हें ,

कहती हें दुनिया इष्क बुरा ,

तु जितना मिले लेकिन कम हें,

No comments:

Post a Comment