Thursday, September 9, 2010

फिर बजा सितार कोई,


फिर कोई कली मुस्काई,

फिर कूकी कोई कही,

फिर फूलो ने ली अंगडाइ्र्र,

जैसे गून.गून भॅवरे ने किया,

जैसे सर.सर चली हवा ,

जैसे झर.झर ढरना गिरा,

जैसे धक.धक करे जिया,

कॅही किसी ने तान लगायी ,

कॅही चिडियो ने सुबह जगायी,

कॅही बोला पपीहा कोई

कॅही रागी ने सरगम गायी,

शायद किसी की चुडिया खनकी,

शायद किसी की झूमरी झमकी ,

शायद किसी ने द्यूद्यरू बजाये,

शायद किसी की पायल छमकी ,

शायद पत्तिया हवा में डोली ,

कही बाग में मोरनी बोली ,

फिर संगीत से भर दी दुनिया ,

जैसे ही अधरो की पंखुडिया खोली,

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