तुम आये
आकर चले गये
आखिरी बन गयी
पहली ही मुलाकात
कुछ कहा भी नही तुमने
और न सुना
जो मैने कहा था
उन कुछ पलो मे
सिमट कर रह गया हूँ मै
और मेरी जिन्दगी भी
उन पलो मे
देखा है मैने
फूल को मुस्काते हुए
तारीफ सुनकर शर्माते हुए
फिर किसी डर से घबराते हुए
मन को आकाश मे घूमते
सपनो को बनते और
टूट जाते हुए
उन पलो से सीखा है मैने
सही अर्थ प्रेम का
परिभाषा जीवन की
और मजबूरिया इंसान की
जो रोकती है हमे
वो करने से जो हम चाहते है
उसे अपनाने से
जिसे हम चाहते है
वो पल
भूलाये नही भूलते
एक पल को भी नही हटता
वो दृश्य आँखो से
वो पहली मुलाकात
जो आखिरी बन गयी
आकर चले गये
आखिरी बन गयी
पहली ही मुलाकात
कुछ कहा भी नही तुमने
और न सुना
जो मैने कहा था
उन कुछ पलो मे
सिमट कर रह गया हूँ मै
और मेरी जिन्दगी भी
उन पलो मे
देखा है मैने
फूल को मुस्काते हुए
तारीफ सुनकर शर्माते हुए
फिर किसी डर से घबराते हुए
मन को आकाश मे घूमते
सपनो को बनते और
टूट जाते हुए
उन पलो से सीखा है मैने
सही अर्थ प्रेम का
परिभाषा जीवन की
और मजबूरिया इंसान की
जो रोकती है हमे
वो करने से जो हम चाहते है
उसे अपनाने से
जिसे हम चाहते है
वो पल
भूलाये नही भूलते
एक पल को भी नही हटता
वो दृश्य आँखो से
वो पहली मुलाकात
जो आखिरी बन गयी
'वह पहली मुलाकात
ReplyDeleteजो आखिरी बन गई '
सुन्दर भावों की रचना
सुन्दर भावों की शानदार प्रस्तुति...
ReplyDeleteऐसे दो-चार सुन्दर पल ही सुखद यादगार बन जाते हैं !
ReplyDeleteसार्थक कथन संदेश नब गया…
ReplyDeleteउन पलो से सीखा है मैने
सही अर्थ प्रेम का
परिभाषा जीवन की
और मजबूरिया इंसान की
"वक्त सारी जिन्दगी में दो ही गुजरे हैं कठिन,
ReplyDeleteइक तेरे आने से पहले, इक तेरे जाने के बाद।"
उन पलों की याद हमेशा जिन्दा रहेगी और सुवासित करेगी जीवन को। गुड लक, दीपक।
यही तो दो पल हैं यादगार, जीवन के! हर किसी के जीवन में आते हैं यह पल, कोई नहीं अछूता इससे!!
ReplyDeleteदो-चार सुन्दर पल ही सुखद यादगार बन जाते हैं|
ReplyDeleteयही तो वो पल होते है तो जिंदगी की सबसे अनमोल दौलत बन जाते है। जो हमेशा हमारे पास रहते है।
ReplyDeleteबिना कुछ कहे जो संवाद होते हैं उनका आनंद ही कुछ और होता है....
ReplyDeleteअक्सर वो सारी पहली मुलाकाते हसीन लगती है जो आखरी भी होती है शायद इसीलिए अच्छी होती है की वो आखरी है ?
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छे लोग सुख के एक पल में पूरी ज़िन्दगी जी लेते हैं और बुरे लोग ख़ुशी का एक पल पूरी ज़िन्दगी तलाशते रहते हैं. मेरा तो यही मानना है.
ReplyDeleteबहुत खूब, अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर.
ReplyDeleteकवितायेँ भावपूर्ण हैं आपकी.
मित्र ,आपने दिल से लिखा है.मन को छू गयी आप की रचना .
ReplyDeleteसलाम
@ सुरेन्द्र सिंह “झंझट“ जी
ReplyDeleteधन्यवाद
@ सुशील बाकलीवाल जी
धन्यवाद
@ झील (डा0 दिव्या) जी
आप ठीक कहती है
@ सुज्ञ जी
धन्यवाद
@ मो सम कौन ?
भाई साहब उन पलो की याद ही जीवन मे रोमांच भर देती है
याद भी आपने दिलायी है। हा हा हा हा
@ पटाली दा विलेज जी
आप का कहना सही है जी
@ एहसास (अमित भाई )
और ये दौलत कभी खत्म नही होती
@ राजेश कुमार “नचिकेता “ जी
ReplyDeleteआनंद ही आनंद है
@ अंशुमाला जी
आप से इस बात मे सहमत नही हू
@ शिव कुमार (शिवा) जी
आपका स्वागत है आते रहीयेगा
@ कुवँर कुसुमेश जी
आप का मानना एकदम सही है जी
@ सोमेश सक्सेना जी
मेरे ब्लाग पर आपका स्वागत है फालो करने के लिए आभारी हूँ
@ सेगेबोब जी
धन्यवाद
देखा है मैने
ReplyDeleteफूल को मुस्काते हुए
तारीफ सुनकर शर्माते हुए
फिर किसी डर से घबराते हुए
मन को आकाश मे घूमते
सपनो को बनते और
टूट जाते हुए
deepak ji bahut gehri anubhuti.badhai sweekar karen......
blog pe akr utsah verdhan k liye bahut bahut shukriya
कभी कभी एक लम्हा ही जीवन बन जाता है ... उस एक पल का तो सबको इंतेज़ार रहता है ...
ReplyDeleteअच्छा लिखा है ...
सहज, सटीक एवं प्रभावशाली लेखन के लिए बधाई!
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़िए......
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शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।
गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥
सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
बहुत मार्मिक भावों से भरी कविता.
ReplyDelete'हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें
हम दर्द के सुर में गाते हैं'
आपने भी उसी सुर में गाया है.
लम्हा लम्हा तरसे थे हम जिस लम्हे के लिए
ReplyDeleteवो लम्हा आया भी तो एक लम्हे के लिए...
आपकी यह रचना पढ़ कर मुझे यही शेर याद आ गया...
बहुत सुन्दर रचना...
नमस्कार दीपक जी
ReplyDeleteसुन्दर भावों की रचना
बहुत अच्छा लिखा हे दीपक जी
ॐ कश्यप में ब्लॉग में नया हूँ
कर्प्या आप मेरा मार्ग दर्शन करे
धन्यवाद
http://unluckyblackstar.blogspot.com/
यही तो वो पल होते है तो जिंदगी की सबसे अनमोल दौलत बन जाते है
ReplyDeleteदीपक भाई जितनी सुंदर रचनाये लिखते है उतने ही अच्छे इंसान भी है दीपक भाई बहुत ही प्रसंता हुई आपसे मिलकर
ReplyDeletegood creation...
ReplyDelete@ अमरेन्द्र अमर जी
ReplyDelete@ पारूल जी
@ दिगम्बर नासवा जी
@ डॉ0 डंडा लखनवी जी
@ भूषण जी
@ पूजा जी
बहुत बहुत धन्यवाद
@ ओम कश्यप
@ संजय भास्कर
आपका बहुत धन्यवाद के आप मुझ से मिलने आये
बहुत बहुत धन्यवाद
@ गोपाल मिश्रा जी
बहुत बहुत धन्यवाद
deepak ji bahoot khoob likhte ho
ReplyDeleteeske liye badhai....
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteऐसे ही कुछ पल जीने का सहारा बन जाते हैं...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeleteप्रभावशाली लेखन ...बहुत सुन्दर .अच्छा लगा....
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