Sunday, January 2, 2011

कुत्ता और चाँद

क्यो रे!
किसे भौंक रहा है ?
इतनी रात गये
किसे टोक रहा है
दूर दूर तक कोई नही
ना आदमी, ना अपनी बिरादरी
फिर क्यो चिल्ला रहा है
तबियत तो ठीक है?
जो शोर मचा रहा है


तुम तो पालतू हो
तुम्हे तेा दिखायी नही देता
ऊपर छत अड जाती है
मै बाहर हूँ खुले आसमन मे,
सडक पर
देखो वो चाँद
अकेला ही लड रहा है
इस घोर अन्धकार से
कोई पास नही है
पता है मुझे
नही कर सकता मै प्रकाश
उस की तरह
ना ही हाथ बँटा सकता हूँ उसका
फिर भी
बताना चाहता हूँ उसे
कि इस ठण्डी काली रात मे
वो अकेला नही है
मै भी साथ हूँ उसके

32 comments:

  1. तुम तो पालतू हो
    तुम्हे तेा दिखायी नही देता
    ऊपर छत अड जाती है
    मै बाहर हूँ खुले आसमन मे,
    सडक पर
    देखो वो चाँद
    अकेला ही लड रहा है
    इस घोर अन्धकार से
    कोई पास नही है

    नई सोंच दिखी इस कविता में.सुन्दर बहुत सुन्दर.

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  2. वाह!! शानदार, प्रेरक साकारात्मक विचार!!

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  3. achchaa saathee mila chaand ko.....
    magar chaand to kutte ka saath pandrah din hee degaa naaa....

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  4. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  5. वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
    खुशियों भरा हो साल नया आपके लिए

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  6. bahut hi alag tarah ki racna hai... shukriya share karne k liye ..
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  7. सार्थक बिंदु पर लाती हुई कविता. सुंदर.

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  8. its very very good....


    bahut bahut achha......


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  9. @ कुवँर कुसुमेश जी,
    @ उदय जी,
    @ सुज्ञ जी,
    @ राजेश कुमार नचिकेता जी,
    @ संजय भास्कर जी,
    @ संजय कुमार चौरसिया जी,
    आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ

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  10. @ हरमन जी,
    @ भूषण जी,
    @ अभिषेक जी,
    @ सुरेन्द्र सिंह झंझट जी,
    आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ

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  11. नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं

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  12. बहुत सुन्दर व्यंगात्मक कविता के लिए बहुत बधाई

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  13. बहुत बढिया जी
    आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा
    सहेज लिया है, अब आपकी सभी पोस्ट पढा करूंगा।
    सम्भव हुआ और मेरे पास कहने के लिये कुछ हुआ तो टिप्पणी भी करूंगा। धन्यवाद और प्रणाम स्वीकार करें।

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  14. सुन्दर कविता के लिए बधाई के पात्र है।

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  15. सार्थक और बेहद बेहद खूबसूरत रचना है| शुभकामनाएं।

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  16. बेहतरीन , प्रेरक रचना ।
    नव वर्ष की मंगलकामनायें दीपक जी।

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  17. Hi Deepak ,

    sadharan shabdon ka prayog karte hue asaadharan kavita likhne ke liye badhai

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  18. bahut sunder rachna

    kabhi yha bhi aaye
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  19. बहुत सुंदर प्रस्तुति। चाँद और श्वान के माध्यम से स्वाधीन-पराधीन हृदय और मन की भावनाओं का प्रकटन। चाँद भी कभी तो समझेगा कि दूर कहीं किसी ने साथ देने का प्रयास किया।

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  20. @ शहिद साहब
    @ दीप जी
    @ अन्तर सोहिल
    @ अहसास
    @ पाटली जी
    @ झील जी
    @ गोपाल मिश्रा जी
    @ दीप्ति शर्मा जी
    @ मो सम कौन जी
    आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ

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  21. बहुत सुंदर ब्लॉग तथा सार्थक अवं प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  22. सुन्दर बहुत सुन्दर.
    नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं

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  23. सार्थक और बेहद बेहद खूबसूरत रचना
    नव वर्ष की मंगलकामनायें

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  24. भई वाह, कहाँ से जोडीदार ढूंढ लिया......... बेहतरीन रचना........ मनोभावों को शब्द देती हुई.

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  25. @ राकेश कौशिक जी
    @ विवेक मिश्र जी
    @ विजय कुमार वर्मा जी
    @ दीपक बाबा जी

    आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ

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  26. संदेशपरक कविता।साधुवाद!

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  27. बहुत अच्छा लिखा है ..

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....

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  28. This comment has been removed by the author.

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  29. दिनेश शर्मा जी,
    उपेन्द्र उपेन जी,
    क्षितिजा जी,
    आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ

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