क्यो रे!
किसे भौंक रहा है ?
इतनी रात गये
किसे टोक रहा है
दूर दूर तक कोई नही
ना आदमी, ना अपनी बिरादरी
फिर क्यो चिल्ला रहा है
तबियत तो ठीक है?
जो शोर मचा रहा है
तुम तो पालतू हो
तुम्हे तेा दिखायी नही देता
ऊपर छत अड जाती है
मै बाहर हूँ खुले आसमन मे,
सडक पर
देखो वो चाँद
अकेला ही लड रहा है
इस घोर अन्धकार से
कोई पास नही है
पता है मुझे
नही कर सकता मै प्रकाश
उस की तरह
ना ही हाथ बँटा सकता हूँ उसका
फिर भी
बताना चाहता हूँ उसे
कि इस ठण्डी काली रात मे
वो अकेला नही है
मै भी साथ हूँ उसके
तुम तो पालतू हो
ReplyDeleteतुम्हे तेा दिखायी नही देता
ऊपर छत अड जाती है
मै बाहर हूँ खुले आसमन मे,
सडक पर
देखो वो चाँद
अकेला ही लड रहा है
इस घोर अन्धकार से
कोई पास नही है
नई सोंच दिखी इस कविता में.सुन्दर बहुत सुन्दर.
... bahut sundar !!
ReplyDeleteवाह!! शानदार, प्रेरक साकारात्मक विचार!!
ReplyDeleteachchaa saathee mila chaand ko.....
ReplyDeletemagar chaand to kutte ka saath pandrah din hee degaa naaa....
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
ReplyDeleteखुशियों भरा हो साल नया आपके लिए
bahut hi alag tarah ki racna hai... shukriya share karne k liye ..
ReplyDeletePls Visit My Blog
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सार्थक बिंदु पर लाती हुई कविता. सुंदर.
ReplyDeleteits very very good....
ReplyDeletebahut bahut achha......
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sarthak , nayapan liye hui rachna.
ReplyDelete@ कुवँर कुसुमेश जी,
ReplyDelete@ उदय जी,
@ सुज्ञ जी,
@ राजेश कुमार नचिकेता जी,
@ संजय भास्कर जी,
@ संजय कुमार चौरसिया जी,
आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ
@ हरमन जी,
ReplyDelete@ भूषण जी,
@ अभिषेक जी,
@ सुरेन्द्र सिंह झंझट जी,
आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ
नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व्यंगात्मक कविता के लिए बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बढिया जी
ReplyDeleteआपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा
सहेज लिया है, अब आपकी सभी पोस्ट पढा करूंगा।
सम्भव हुआ और मेरे पास कहने के लिये कुछ हुआ तो टिप्पणी भी करूंगा। धन्यवाद और प्रणाम स्वीकार करें।
सुन्दर कविता के लिए बधाई के पात्र है।
ReplyDeleteसार्थक और बेहद बेहद खूबसूरत रचना है| शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबेहतरीन , प्रेरक रचना ।
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनायें दीपक जी।
Hi Deepak ,
ReplyDeletesadharan shabdon ka prayog karte hue asaadharan kavita likhne ke liye badhai
bahut sunder rachna
ReplyDeletekabhi yha bhi aaye
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बहुत सुंदर प्रस्तुति। चाँद और श्वान के माध्यम से स्वाधीन-पराधीन हृदय और मन की भावनाओं का प्रकटन। चाँद भी कभी तो समझेगा कि दूर कहीं किसी ने साथ देने का प्रयास किया।
ReplyDelete@ शहिद साहब
ReplyDelete@ दीप जी
@ अन्तर सोहिल
@ अहसास
@ पाटली जी
@ झील जी
@ गोपाल मिश्रा जी
@ दीप्ति शर्मा जी
@ मो सम कौन जी
आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ
बहुत सुंदर ब्लॉग तथा सार्थक अवं प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteसुन्दर बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteनए साल की हार्दिक शुभकामनाएं
सार्थक और बेहद बेहद खूबसूरत रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनायें
भई वाह, कहाँ से जोडीदार ढूंढ लिया......... बेहतरीन रचना........ मनोभावों को शब्द देती हुई.
ReplyDelete@ राकेश कौशिक जी
ReplyDelete@ विवेक मिश्र जी
@ विजय कुमार वर्मा जी
@ दीपक बाबा जी
आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ
संदेशपरक कविता।साधुवाद!
ReplyDeleteएक अलग अंदाज में बेहतरीन कविता....
ReplyDeleteनये दसक का नया भारत (भाग- १) : कैसे दूर हो बेरोजगारी ?
बहुत अच्छा लिखा है ..
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteदिनेश शर्मा जी,
ReplyDeleteउपेन्द्र उपेन जी,
क्षितिजा जी,
आपने ब्लाग पर आकर जो प्रेम मुझ पर प्रकट किया है उसके लिए आभारी हूँ