Monday, January 24, 2011

सन्नाटा

गहरा सन्नाटा है
शोर से पहले
और
शोर के बाद
जानते हुए भी
खोये रहते है इसी शोर में
हजारों पाप की गठरी लादे
चले जाते है
भूल कर उचित अनुचित
मगन रहते है
इसी शोर में
जो क्षणिक है 
अन्जान  बने रहते है
उस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद

43 comments:

  1. भूल कर उचित अनुचित
    मगन रहते है
    इसी शोर में

    सारयुक्त संदेश है, यह अभिव्यक्ति

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  2. जीवन का नया दर्शन देती हुई कविता

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  3. ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

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  4. शोर के बाद
    जानते हुए भी
    खोये रहते है इसी शोर में
    हजारों पाप की गठरी लादे
    चले जाते है
    ......एकदम सही बात कही है...

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  5. अन्जान बने रहते है
    उस सन्नाटे से
    जो सत्य है
    जो निश्चित है
    हर शोर के बाद
    सुंदर भावपूर्ण रचना ,बधाई

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  6. प्रयास यही होता है कि शोर के अंदर सन्नाटे को दबा दें!! सन्नाटा सवाल पूछता है जिसका जवाब बहुत मुश्किल है!!

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  7. खूबसूरत कविता, सच निश्चित है, यही क्या कम है?
    अच्छे विचार।

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  9. ज़िन्दगी का सच ब्यान कर गयी आपकी कविता.लाजवाब.

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  10. सन्नाटा या फिर शोर.....
    क्षणक या घनघोर........
    कुछ भी...
    या फिर बहुत कुछ..
    ......

    लेकिन बेहतरीन कविता.

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  11. @ सुज्ञ जी,

    @ अरिबा जी

    @ संजय भास्कर

    @ सुनिल कुमार जी

    @ सम्वेदना के स्वर जी

    @ उडन तश्तरी (समीर जी)

    आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद

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  12. @ सुरेन्द्र सिंह “झंझट“ जी

    @ संजय भाई साहब

    @ सगेबोब जी

    @ दीपक बाबा जी

    आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद

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  13. अच्छी रचना | हम शोर में सन्नाटे को दबा कर खुद को ही धोखा देने का प्रयास करते है |

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  14. गणतंत्र-दिवस के अवसर पर मंगलकामनाएं स्वीकार कीजिए। आम आदमी के हित में आपका योगदान महत्वपूर्ण है। जीवन की विडंबनाओं को उकेरने वाली भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
    =======================
    मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
    डांस करके नशीला न बदनाम हों।
    मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
    देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
    ======================
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

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  15. बढ़िया रचना. कहने की नई शैली अच्छी लगी.

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  16. At times , this silence speaks ! I have heard the beautiful voice of silence several times in my life. It caresses me and makes me feel loved.

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  17. @ अंशुमाला जी,

    @ राजेश कुमार नचिकेता जी,

    @ डा0 डंडा लखनवी जी,

    @ भूषण जी,

    @ झील (डा0 दिव्या) जी

    @ जाकिर अली रजनीश जी

    आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद

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  18. बढ़िया रचना|

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|

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  19. मगन रहते है
    इसी शोर में
    जो क्षणिक है
    अन्जान बने रहते है
    उस सन्नाटे से
    जो सत्य है
    जो निश्चित है
    हर शोर के बाद

    बहुत सुंदर ....सच की बानगी हैं पंक्तियाँ ....गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं.....

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  20. गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

    Happy Republic Day.........Jai HIND

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  21. bhoot khoob kaha
    aap badhae ke patr hai

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  22. गहरा सन्नाटा है
    शोर से पहले
    और
    शोर के बाद
    जानते हुए भी
    खोये रहते है इसी शोर में

    गहन अर्थ संप्रेषित करती पंक्तियाँ ....बहुत खूब लिखा है दीपक जी ...यूँ ही सबको रोशन करते रहें ...शुक्रिया आपका

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  23. बहुत खूबसूरत रचना ... सत्य दर्शाती ...

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  24. @ पटाली द विलेज जी

    @ डा मोनिका शर्मा जी

    @ संजय भास्कर

    @ शिवा जी

    @ अरीबा जी

    @ केवल राम जी

    @ क्षितिजा जी

    आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद

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  25. जीवन सच - बहुत सुंदर - यही सोच बनी रहे

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  26. DEEPAK BHAI PLZSEND UR EMAIL ID.
    AND MOBILE NO...
    I M COMMING ON SHARANPUR 31 JAN
    ISILIYE
    AGAR TIME MILA TO AAPSE MILNE KA SIBGAYA MIL JAYEGA

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  27. खोये रहते है इसी शोर में
    हजारों पाप की गठरी लादे
    चले जाते है भूल कर उचित अनुचित
    मगन रहते है इसी शोर में

    हमारी जिंदगी का कटु यथार्थ यही है
    आईना दिखाती बेहतरीन रचना
    बधाई

    आभार

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  28. बहुत ही गूढ रचना ..

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  29. और क्या लिखु इसके सिवा। उत्तम। इससे ज्यादा इसकी तारीफ और कुछ नही हो सकती।

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  30. शायद इसीलिए कहते हैं की हर शांति आनेवाले तूफ़ान का इशारा होती है...
    बहुत खूब पिरो दिया भावनाओं को...

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  31. मगन रहते है
    इसी शोर में
    जो क्षणिक है
    अन्जान बने रहते है
    उस सन्नाटे से
    जो सत्य है
    जो निश्चित है
    हर शोर के बाद

    सुन्दर और शाश्वत अभिव्यक्ति.

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  32. यह सन्नाटा भी तो एक तरह का शोर ही है ...
    माया की समझना आसान नही . ... गहरी अनुभूति से लिखी रचना है ...

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  33. अन्जान बने रहते है
    उस सन्नाटे से
    जो सत्य है
    जो निश्चित है
    हर शोर के बाद
    ....

    बहुत खूबसूरत और भावपूर्ण रचना । बधाई ।

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  34. अन्जान बने रहते हैं
    इस सन्नाटे से
    जो द्सत्य है
    जो निश्चित है
    हर शोर के बात
    विचारणीय अभिव्यक्ति। आज बस पैसे क्जी भागम भाग मे लोग खुदे के अन्दर झाँकना नही चाहते। अन्दर झाँकें तो सब रहस्य पा लें। सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

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  35. अन्जान बने रहते है
    उस सन्नाटे से
    जो सत्य है
    जो निश्चित है
    हर शोर के बाद
    गहरी सोच सार्थक सन्देश। बधाई।

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  36. @ राकेश कौशिक जी

    @ क्रिएटिव मंच जी

    @ अमित निवेदिता जी

    @ अहसास ( अमित भाई)

    @ पूजा जी

    @ हरीश जोशी जी

    @ विवेक मिश्र जी

    @ कुवँर कुसुमेश जी

    @ दिगम्बर नासवा जी

    @ दीपायन जी

    @ निर्मला कपिल जी

    आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद

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  37. दीपक भाई आपकी इस रचना को कविता मंच ब्लॉग पर साँझा किया गया है

    कविता मंच
    http://kavita-manch.blogspot.in

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