गहरा सन्नाटा है
शोर से पहले
और
शोर के बाद
जानते हुए भी
खोये रहते है इसी शोर में
हजारों पाप की गठरी लादे
चले जाते है
भूल कर उचित अनुचित
मगन रहते है
इसी शोर में
जो क्षणिक है
अन्जान बने रहते है
उस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
शोर से पहले
और
शोर के बाद
जानते हुए भी
खोये रहते है इसी शोर में
हजारों पाप की गठरी लादे
चले जाते है
भूल कर उचित अनुचित
मगन रहते है
इसी शोर में
जो क्षणिक है
अन्जान बने रहते है
उस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
भूल कर उचित अनुचित
ReplyDeleteमगन रहते है
इसी शोर में
सारयुक्त संदेश है, यह अभिव्यक्ति
जीवन का नया दर्शन देती हुई कविता
ReplyDeleteह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
ReplyDeleteशोर के बाद
ReplyDeleteजानते हुए भी
खोये रहते है इसी शोर में
हजारों पाप की गठरी लादे
चले जाते है
......एकदम सही बात कही है...
अन्जान बने रहते है
ReplyDeleteउस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
सुंदर भावपूर्ण रचना ,बधाई
प्रयास यही होता है कि शोर के अंदर सन्नाटे को दबा दें!! सन्नाटा सवाल पूछता है जिसका जवाब बहुत मुश्किल है!!
ReplyDeleteबहुत उम्दा!!
ReplyDelete....s...a...n...n..a...t...a.
ReplyDeletesundar rachna .
खूबसूरत कविता, सच निश्चित है, यही क्या कम है?
ReplyDeleteअच्छे विचार।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteज़िन्दगी का सच ब्यान कर गयी आपकी कविता.लाजवाब.
ReplyDeleteसन्नाटा या फिर शोर.....
ReplyDeleteक्षणक या घनघोर........
कुछ भी...
या फिर बहुत कुछ..
......
लेकिन बेहतरीन कविता.
@ सुज्ञ जी,
ReplyDelete@ अरिबा जी
@ संजय भास्कर
@ सुनिल कुमार जी
@ सम्वेदना के स्वर जी
@ उडन तश्तरी (समीर जी)
आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद
@ सुरेन्द्र सिंह “झंझट“ जी
ReplyDelete@ संजय भाई साहब
@ सगेबोब जी
@ दीपक बाबा जी
आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद
अच्छी रचना | हम शोर में सन्नाटे को दबा कर खुद को ही धोखा देने का प्रयास करते है |
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteगणतंत्र-दिवस के अवसर पर मंगलकामनाएं स्वीकार कीजिए। आम आदमी के हित में आपका योगदान महत्वपूर्ण है। जीवन की विडंबनाओं को उकेरने वाली भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
ReplyDelete=======================
मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
डांस करके नशीला न बदनाम हों।
मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
======================
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
बढ़िया रचना. कहने की नई शैली अच्छी लगी.
ReplyDeleteAt times , this silence speaks ! I have heard the beautiful voice of silence several times in my life. It caresses me and makes me feel loved.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....
ReplyDelete---------
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@ अंशुमाला जी,
ReplyDelete@ राजेश कुमार नचिकेता जी,
@ डा0 डंडा लखनवी जी,
@ भूषण जी,
@ झील (डा0 दिव्या) जी
@ जाकिर अली रजनीश जी
आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद
बढ़िया रचना|
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
मगन रहते है
ReplyDeleteइसी शोर में
जो क्षणिक है
अन्जान बने रहते है
उस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
बहुत सुंदर ....सच की बानगी हैं पंक्तियाँ ....गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं.....
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
ReplyDeleteHappy Republic Day.........Jai HIND
bhoot khoob kaha
ReplyDeleteaap badhae ke patr hai
गहरा सन्नाटा है
ReplyDeleteशोर से पहले
और
शोर के बाद
जानते हुए भी
खोये रहते है इसी शोर में
गहन अर्थ संप्रेषित करती पंक्तियाँ ....बहुत खूब लिखा है दीपक जी ...यूँ ही सबको रोशन करते रहें ...शुक्रिया आपका
बहुत खूबसूरत रचना ... सत्य दर्शाती ...
ReplyDelete@ पटाली द विलेज जी
ReplyDelete@ डा मोनिका शर्मा जी
@ संजय भास्कर
@ शिवा जी
@ अरीबा जी
@ केवल राम जी
@ क्षितिजा जी
आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद
जीवन सच - बहुत सुंदर - यही सोच बनी रहे
ReplyDeleteDEEPAK BHAI PLZSEND UR EMAIL ID.
ReplyDeleteAND MOBILE NO...
I M COMMING ON SHARANPUR 31 JAN
ISILIYE
AGAR TIME MILA TO AAPSE MILNE KA SIBGAYA MIL JAYEGA
MY EMAIL ID...sanjay.kumar940@gmail.com
ReplyDeleteखोये रहते है इसी शोर में
ReplyDeleteहजारों पाप की गठरी लादे
चले जाते है भूल कर उचित अनुचित
मगन रहते है इसी शोर में
हमारी जिंदगी का कटु यथार्थ यही है
आईना दिखाती बेहतरीन रचना
बधाई
आभार
बहुत ही गूढ रचना ..
ReplyDeleteऔर क्या लिखु इसके सिवा। उत्तम। इससे ज्यादा इसकी तारीफ और कुछ नही हो सकती।
ReplyDeleteशायद इसीलिए कहते हैं की हर शांति आनेवाले तूफ़ान का इशारा होती है...
ReplyDeleteबहुत खूब पिरो दिया भावनाओं को...
bahut sunder rachana hai..
ReplyDeleteमगन रहते है
ReplyDeleteइसी शोर में
जो क्षणिक है
अन्जान बने रहते है
उस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
सुन्दर और शाश्वत अभिव्यक्ति.
यह सन्नाटा भी तो एक तरह का शोर ही है ...
ReplyDeleteमाया की समझना आसान नही . ... गहरी अनुभूति से लिखी रचना है ...
अन्जान बने रहते है
ReplyDeleteउस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
....
बहुत खूबसूरत और भावपूर्ण रचना । बधाई ।
अन्जान बने रहते हैं
ReplyDeleteइस सन्नाटे से
जो द्सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बात
विचारणीय अभिव्यक्ति। आज बस पैसे क्जी भागम भाग मे लोग खुदे के अन्दर झाँकना नही चाहते। अन्दर झाँकें तो सब रहस्य पा लें। सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
अन्जान बने रहते है
ReplyDeleteउस सन्नाटे से
जो सत्य है
जो निश्चित है
हर शोर के बाद
गहरी सोच सार्थक सन्देश। बधाई।
@ राकेश कौशिक जी
ReplyDelete@ क्रिएटिव मंच जी
@ अमित निवेदिता जी
@ अहसास ( अमित भाई)
@ पूजा जी
@ हरीश जोशी जी
@ विवेक मिश्र जी
@ कुवँर कुसुमेश जी
@ दिगम्बर नासवा जी
@ दीपायन जी
@ निर्मला कपिल जी
आपने जो स्नेह दिया है उसके लिए धन्यवाद
दीपक भाई आपकी इस रचना को कविता मंच ब्लॉग पर साँझा किया गया है
ReplyDeleteकविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in