गीत प्रेम के गाओ फिर से
आओ गले लग जाओ फिर से
बहुत रह चुका विरान गुलशन
फूल बन खिल जाओ फिर से
अलग थलग बहुत हो लिये
अब तो एक हो जाओ फिर से
मेरी सुनो, मै सुनू तुम्हारी
कहानी कोई बनाओ फिर से
झगडो से मन ऊब गया है
पैगाम अमन का लाओ फिर से
नफरत की आंधी मे जो बुझ गया
दीपक वो प्यार का जलाओ फिर से
गीत प्रेम के गाओ फिर से
ReplyDeleteआओ गले लग जाओ फिर से ...
Achha sandesh diya hai aapne is rachna ke dwaara ...
गीत प्रेम के गाओ फिर से
ReplyDeleteआओ गले लग जाओ फिर से
बहुत बढ़िया रचना ....
झगडो से मन ऊब गया है
ReplyDeleteपैगाम अमन का लाओ फिर से
नफरत की आंधी मे जो बुझ गया
दीपक वो प्यार का जलाओ फिर से
थोड़ी सी टाइपिंग त्रुटियाँ हैं......
वैसे बड़े प्रभावी तरीके से आपने अपने भावों को कविता के रूप में व्यक्त किया है........ सशक्त कविता.
बेहद ही सार्थक संदेश देती, कविता!!
ReplyDeleteझगडो से मन ऊब गया है
ReplyDeleteपैगाम अमन का लाओ फिर से
... bahut sundar !!!
सार्थक सन्देश देती सुन्दर रचना -आभार।
ReplyDeleteMeaningful and creative poem.
ReplyDeleteपहली बार आ पाया हूँ , अच्छे भाव प्रकट किये हैं ! हार्दिक शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteनफरत की आंधी मे जो बुझ गया
ReplyDeleteदीपक वो प्यार का जलाओ फिर से
very nice. keep it up.
अच्छे संदेश देती यह मासूम सी कविता!
ReplyDeleteनफरत की आंधी मे जो बुझ गया
ReplyDeleteदीपक वो प्यार का जलाओ फिर से
.............सार्थक सन्देश देती रचना |
bahut khoob deepak bhai..........me to fan ho gaya apka
ReplyDelete@ दिगम्बर नासवा जी,
ReplyDelete@ महेन्द्र मिश्र जी,
ब्लाग पर आकर उत्साहवर्धन करने के धन्यवाद
@ सिंहएसडीएम जी,
@ सुज्ञ जी,
आप पहली बार आये है आपका स्वागत है
आपके बार बार आने की आरजू रहेगी
@ उदय जी,
@ झील जी,
@ भूषण जी,
उत्साहवर्धन करने के धन्यवाद
आपका स्नेह यूंही मिलता रहे
@ सतीश सक्सेना जी,
आज आप पहली बार आये है आप का स्वागत है
मै तो आपके ब्लाग पर दो बार जा चुका हूं परन्तु
इत्तेफाक देखिये जब भी उपस्थिती दर्ज करानी चाही
नेट ने साथ ना दिया।
खैर........... आपका प्यार का आकाक्षी रहूगा
@ एहसास जी,
धन्यवाद
@ चला बिहारी ब्लागर बनने जी
आज आप पहली भी बार आये है आप का स्वागत है
आते रहियेगा
@संजय भास्कर भाई
आप तो आज फैन हुये है हम तो पहली बार मे ही
आपके एंे0 सी0 हो गये थे ।
फिर से...अच्छी बातों को दोहराना अच्छी बात है......
ReplyDeleteआयेगा जरूर, अच्छा समय फ़िर से आयेगा। शुभकामनायें।
ReplyDeleteनफरत की आंधी मे जो बुझ गया
ReplyDeleteदीपक वो प्यार का जलाओ फिर से
दीपक जी ... बहुत खूबसूरत रचना hai ...
दीपक वो प्यार का जलाओ फिर से
ReplyDeleteदीपक हाज़िर है श्रीमान......
बढिया कविता.
न जाने क्यूं लोग भूल गए हैं ऐसी बातें...
ReplyDeleteकुछ करो... उन्हें ये सब याद दिलाओ फ़िर से...
बहुत उम्दा...
@ राजेश कुमार नचिकेता जी,
ReplyDelete@ मो सम कौन जी,
@ क्षितिजा जी,
@ दीपक बाबा जी,
@ पूजा जी,
ब्लाग पर आकर उत्साहवर्धन करने के लिए धन्यवाद
अमन का पैगाम देती हुई कविता अच्छी लगी !
ReplyDelete-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
बहुत सुन्दर भावना!
ReplyDeleteबहुत रह चुका विरान गुलशन
ReplyDeleteफूल बन खिल जाओ फिर से
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बहुत अच्छा सन्देश है ...शुक्रिया