इस छोटे से मन मे
भावनाये अनेक बसती है
नये नये रंगो से प्रतिदिन
रंगोलिया नई सजती है
सजते है नित सपने नये
आशायें जन्म लेती है
उडती प्रेमाकाश मे
खोल परो को लेती है
नववधु बनकर मुस्काती
घुंघट खोल रिझाती है
कौन अपना कौन पराया
सब को गले लगाती है
खिलती गुलाब सी, तुम्हे देखकर
आँख मिले तो शर्माती है
ये भावना है मन की
तुम पर प्रेम लुटाती है
तुम मिलो तो आये चैन
ना मिलो तेा घबराती है
तुम्हारे वियोग के नाम से
रोती है , डर जाती है
सब अन्त हो जाता है
और सांसे भी रूक जाती है
जब कभी किसी मन की
भावनाये बिखर जाती है
जब कभी किसी मन की
ReplyDeleteभावनाये बिखर जाती है
बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ भावमय प्रस्तुति ।
बहुत खूब ...दीपक भाई, आप तो अच्छा लिखते हैं ही और आपका नियमित लेखन भी अच्छा है |
ReplyDeleteसजते है नित सपने नये
ReplyDeleteआशायें जन्म लेती है
उडती प्रेमाकाश मे
खोल परो को लेती है
नववधु बनकर मुस्काती
घुंघट खोल रिझाती है
कौन अपना कौन पराया
सब को गले लगाती है....
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भावुक कर देने वाली रचना !...आपने इतनी सुन्दर कविता लिखना कहाँ से सीखा ?
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सब अन्त हो जाता है
ReplyDeleteऔर सांसे भी रूक जाती है
जब कभी किसी मन की
भावनाये बिखर जाती है
तारिफ करें भी तो कैसे करें समझ मे नहीं आता कभी-कभी
अच्छी कविता
बहुत सुंदर रचना ....
ReplyDeletesparkindians.blogspot.com
किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।
ReplyDelete@ sada
ReplyDeleteब्लाग पर आप का स्वागत है
हौसला बढाने के लिए धन्यवाद।
@ शेखर सुमन जी,
एक बार फिर धन्यवाद। आपका प्यार इसी तरह मिलता रहे।
@ ZEAL जी,
समय आदमी को सब कुछ सीखा देता है।
@ आशीष मिश्रा जी
ReplyDeleteब्लाग पर आप का स्वागत है
आकर तारिफ करने के लिए शुक्रिया
@ DIMPLE SHARMA जी
ब्लाग पर आप का स्वागत है
@ संजय भास्कर
सब आप जैसे भाईयो का प्रेम है।
@ दीपक भाई
ReplyDeleteज़रूर ऐसा ही होगा
ईश्वर करे आपकी ये आदत सबको लग जाये।
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
दीपक, खूबसूरत जज़्बात पेश किये हैं, बधाई। यार, ये कविता, गज़ल कैसे लिख केते हो तुम लोग? :))
ReplyDeleteभावनाएं बिखरने के बाद की कहानी में मेरी दिलचस्पी है.....
ReplyDeleteआशीष
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पहले ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!
@ मो सम कौन
ReplyDeleteबडे भाई हमारी उंगलिया कमजोर हैं
इसलिए बस कविता ही लिखी जाती है।
हा हा हा
@आशीष जी
पधारकर बुखार उतारने के लिए धन्यवाद
bahut hi khubsurat. dil ke sare zazbato ko ek saath sametati hui rachna.
ReplyDeleteसुन्दर शब्द संयोजन .. सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबाल दिवस की शुभकामनायें !
@ ehsas
ReplyDelete@ Indranil Bhattacharjee
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
ये है इस पहेली का सही जवाब
ReplyDeleteपंडित जवाहर लाल नेहरु
जवाब की जाँच के लिए इस लिंक का प्रयोग करे
http://thebollywoodactress।com/pandit-jawaharlal-nehru-biography/
आप अपना जवाब यहाँ पर दे सकते है
http://i555.blogspot.com/2010/11/4_14.html