Thursday, November 11, 2010

भावनाये

इस छोटे से मन मे
भावनाये अनेक बसती है
नये नये रंगो से प्रतिदिन
रंगोलिया नई सजती है
         सजते है नित सपने नये
         आशायें जन्म लेती है
         उडती प्रेमाकाश मे
         खोल परो को लेती है
नववधु बनकर मुस्काती
घुंघट खोल रिझाती है
कौन अपना कौन पराया
सब को गले लगाती है
          खिलती गुलाब सी, तुम्हे देखकर
          आँख मिले तो शर्माती है
          ये भावना है मन की
          तुम पर प्रेम लुटाती है
तुम मिलो तो आये चैन
ना मिलो तेा घबराती है
तुम्हारे वियोग के नाम से
रोती है , डर जाती है
        सब अन्त हो जाता है
        और सांसे  भी रूक जाती है
         जब कभी किसी मन की
         भावनाये बिखर जाती है

16 comments:

  1. जब कभी किसी मन की
    भावनाये बिखर जाती है

    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों के साथ भावमय प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब ...दीपक भाई, आप तो अच्छा लिखते हैं ही और आपका नियमित लेखन भी अच्छा है |

    ReplyDelete
  3. सजते है नित सपने नये
    आशायें जन्म लेती है
    उडती प्रेमाकाश मे
    खोल परो को लेती है
    नववधु बनकर मुस्काती
    घुंघट खोल रिझाती है
    कौन अपना कौन पराया
    सब को गले लगाती है....

    ----

    भावुक कर देने वाली रचना !...आपने इतनी सुन्दर कविता लिखना कहाँ से सीखा ?

    .

    ReplyDelete
  4. सब अन्त हो जाता है
    और सांसे भी रूक जाती है
    जब कभी किसी मन की
    भावनाये बिखर जाती है

    तारिफ करें भी तो कैसे करें समझ मे नहीं आता कभी-कभी
    अच्छी कविता

    ReplyDelete
  5. किसकी बात करें-आपकी प्रस्‍तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्‍ददायक हैं।

    ReplyDelete
  6. @ sada
    ब्लाग पर आप का स्वागत है
    हौसला बढाने के लिए धन्यवाद।

    @ शेखर सुमन जी,
    एक बार फिर धन्यवाद। आपका प्यार इसी तरह मिलता रहे।

    @ ZEAL जी,
    समय आदमी को सब कुछ सीखा देता है।

    ReplyDelete
  7. @ आशीष मिश्रा जी
    ब्लाग पर आप का स्वागत है
    आकर तारिफ करने के लिए शुक्रिया

    @ DIMPLE SHARMA जी
    ब्लाग पर आप का स्वागत है

    @ संजय भास्कर
    सब आप जैसे भाईयो का प्रेम है।

    ReplyDelete
  8. @ दीपक भाई
    ज़रूर ऐसा ही होगा
    ईश्वर करे आपकी ये आदत सबको लग जाये।
    आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

    ReplyDelete
  9. दीपक, खूबसूरत जज़्बात पेश किये हैं, बधाई। यार, ये कविता, गज़ल कैसे लिख केते हो तुम लोग? :))

    ReplyDelete
  10. भावनाएं बिखरने के बाद की कहानी में मेरी दिलचस्पी है.....
    आशीष
    ---
    पहले ख़ुमार और फिर उतरा बुखार!!!

    ReplyDelete
  11. @ मो सम कौन
    बडे भाई हमारी उंगलिया कमजोर हैं
    इसलिए बस कविता ही लिखी जाती है।
    हा हा हा

    @आशीष जी
    पधारकर बुखार उतारने के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  12. bahut hi khubsurat. dil ke sare zazbato ko ek saath sametati hui rachna.

    ReplyDelete
  13. सुन्दर शब्द संयोजन .. सुन्दर प्रस्तुति !

    बाल दिवस की शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  14. @ ehsas
    @ Indranil Bhattacharjee

    आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

    ReplyDelete
  15. ये है इस पहेली का सही जवाब
    पंडित जवाहर लाल नेहरु

    जवाब की जाँच के लिए इस लिंक का प्रयोग करे
    http://thebollywoodactress।com/pandit-jawaharlal-nehru-biography/

    आप अपना जवाब यहाँ पर दे सकते है
    http://i555.blogspot.com/2010/11/4_14.html

    ReplyDelete