Thursday, January 18, 2018

बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम

           न तुमने कभी कोशिश की
           न हमने कभी बढाया कदम
           फिर क्यों दूरिया हम दोनो की
           होने लगी इतनी कम
            न तुम सोचते हो हमारे लिए
            न हम सोचते है तुम्हारे लिए
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
      दिल मे तुम्हारे न कुछ राज है
      कोई बात न मेरे दिल में रही
      नजरे कभी न मिलायी है तुमने
      न मेरी नजर कभी तुम तक गयी
      तुम खोये रहे अपनी दुनिया मे
      और अपनी मेरी दुनिया रही
       न हीरो कभी तुमको मुझमे दिखा
       न तुम में दिखा मुझको मेरा सनम
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
     यूँ तो बहुत सी बातें की तुमने
     मगर कोई  बात ना  कभी ऐसी कही
     जिसे देखकर मन हो जाता दीवाना
     कभी तेरी ऐसी ना अदाएं रही
     लुभाने की तुमको ना कभी सोची मैने
     कभी तेरी चुन्नी ना सर से गयी
     मैं भी हमेशा ही गुमसुम रहा
     तुझको भी मुझसे लगती थी शरम
बेचैनीया ये फिर किसलिए किसके लिए है परेशान हम
   

5 comments: