अंखिया रात भर रोयी
ना मैं सोया, ना वो सोयी
बरसो से प्यासे बरसे थे
इस दिन को कितना तरसे थे
सीमा अपने सब्र की खोयी
ना मैं सोया, ना वो सोयी
अरसे के बाद ये रात आयी
जब मुझसे मिली मेरी परछाई
उसे देख दिल भर आया,
मुझे देख वो भी रोयी
ना मैं सोया, ना वो सोयी
खामोश वो भी रहे खामोश मैं भी रहा
एक शब्द भी न उसने कहा न मैंने कहा
यू ही रात सुहानी खोयी
ना मैं सोया, ना वो सोयी
No comments:
Post a Comment